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विधानसभा चुनाव से पहले भिड़े लालू के दो करीबी, एक-दूसरे पर छोड़े जुबानी तीर

रघुवंश ने लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाने के साथ ही उसमें बदलाव की नसीहत दी है। उन्होंने जगदानंद सिंह के काम करने के अंदाज की आलोचना की है। राजद के एक और वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने रघुवंश की बातों का समर्थन करके आग में घी डाल दिया है।

SK Gautam
Published on: 13 Jan 2020 9:53 AM GMT
विधानसभा चुनाव से पहले भिड़े लालू के दो करीबी, एक-दूसरे पर छोड़े जुबानी तीर
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पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक है मगर चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल के दो बड़े नेताओं व सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दो करीबियों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। राजद के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह व राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बीच ठन गई है।

रघुवंश ने लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाने के साथ ही उसमें बदलाव की नसीहत दी है। उन्होंने जगदानंद सिंह के काम करने के अंदाज की आलोचना की है। राजद के एक और वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने रघुवंश की बातों का समर्थन करके आग में घी डाल दिया है।

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जब इस बाबत जगदानंद सिंह से पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि ऐसे पत्रों को तवज्जो देने की जरुरत नहीं है। ऐसे सुझाव आते रहते हैं। यह पार्टी का अंदरूनी मामला है। जगदानंद सिंह के इस बयान पर रघुवंश प्रसाद और बिफर गए। उन्होंने जगदानंद सिंह हमला करते हुए कहा कि वे जयकारा टीम के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं वही बातें बोलता हूं जो पार्टी हित में होती हैं।

जगदानंद के इस बयान पर शुरू हुआ विवाद

दरअसल जगदानंद सिंह ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव महागठबंधन के समन्यवयक हैं और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं। इसे लेकर कोई विवाद नहीं है। जगदानंद के इस बयान पर विकासशील इंसान पार्टी को छोडक़र महागठबंधन के अन्य घटक दलों ने आपत्ति जताई। उन्होंने महागठबंधन की समन्वय समिति के गठन की मांग करते हुए कहा कि ये बातें समन्वय समिति की बैठक में तय की जानी चाहिए। रघुवंश प्रसाद ने जगदानंद के इस बयान की आलोचना करते हुए उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।

रघुवंश बोले-इससे तो बिगड़ जाएगी बात

पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे रघुवंश ने कहा कि इस तरह की भाषा की कोई जरूरत नहीं है। तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष हैं। विधानसभा में सबसे बड़े दल के 81 विधायकों के शीर्ष नेता हैं। हमें किसी से सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं है। चुनाव से पहले सहयोगी दल अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए दावे करते हैं, जिसे गलत नहीं कहा जा सकता है। किंतु सबसे बड़े दल होकर हम भी उन्हीं की तरह बोलने लगें तो बात बनने की जगह बिगड़ सकती है। रघुवंश ने भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने पर जोर दिया। चुनाव से पहले किसी के लिए दरवाजा बंद करना उचित नहीं है।

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संगठन की कमजोरियों पर खड़े किए सवाल

रघुवंश के नाराज होने का एक और कारण भी बताया जा रहा है। उन्होंने इस बाबत राजद मुखिया लालू प्रसाद को पत्र लिखकर संगठन की कमजोरियों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इस पत्र की कॉपी जगदानंद सिंह को भी भेजी है, जिसमें कहा गया है कि विधानसभा चुनाव में अब मात्र तीन सौ दिन बचे हैं। फिर भी अभी तक पार्टी पदाधिकारियों का चयन अभी तक नहीं किया जा सका है।

उन्होंने लिखा है कि संगठनात्मक चुनाव के महीना भर बीतने के बावजूद पार्टी की कमेटियां नहीं बनी हैं। जरुरत इस बात की है कि संगठन को जल्द से जल्द खड़ा करके ज्वलंत समस्याओं पर आंदोलन शुरू किया जाए। पार्टी का वफादार सिपाही होने के कारण उचित सलाह देना उनका फर्ज है। प्रतिद्वंद्वी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं मगर हम अभी तक बेकार बैठे हैं।

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रघुवंश के पत्र पर जगदानंद बिफरे

रघुवंश के इन पत्रों पर जगदानंद सिंह बिफर पड़े हैं। लालू के करीबी माने जाने वाले जगदानंद सिंह ने कहा कि वे ऐसे पत्र को कोई तवज्जो नहीं देते। ऐसे सुझाव आते रहते हैं। यह पार्टी का अंदरूनी मामला है।

रघुवंश के समर्थन में शिवानंद तिवारी

दूसरी ओर लालू के एक और करीबी शिवानंद तिवारी रघुवंश के समर्थन में खुलकर आ गए हैं। ऐसी स्थिति के लिए उन्होंने पार्टी में संवादहीनता को जिम्मेवार ठहराया है। उन्होंने कहा कि यकीनन संवादहीनता है। तभी तो रघुवंश बाबू को पत्र लिखकर अपनी बात रखनी पड़ी। उनकी चि_ी में कुछ भी गलत नहीं है।

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पत्र में राजद के हित की बात लिखी गई है। जगदानंद के अनुशासन पर सवाल उठाते हुए शिवानंद ने कहा कि अनुशासन के नाम इतनी सख्ती भी नहीं होनी चाहिए कि पार्टी के अंदर के लोकतंत्र ही खत्म हो जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों लालू प्रसाद के मजबूत स्तंभ हैं। साथ बैठेंगे तो सारी कटुता खत्म हो जाएगी। उन्होंने दोनों को बातचीत की भी सलाह दी।

दो करीबियों की भिड़ंत से राजद में हडक़ंप

लालू के दो करीबियों की इस भिड़ंत से पार्टी में हडक़म्प मच गया है। उधर पार्टी के नेता मृत्युंजय तिवारी ने सफाई देते हुए कहा कि राजद की खूबसूरती ही यही है कि इसमें सभी अपनी राय दे सकते हैं। इस घमासान पर सियायत भी गरमा गई है। राजग के नेता महागठबंधन पर हमलावर हैं। भाजपा नेता और मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा कि राजद में नेता व नेतृत्व का झगड़ा तो होना ही है। अब यह साफ है कि महागठबंधन पूरी तरह बिखर गया है। उनके नेताओं को पहले ही हार का डर सताने लगा है।

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