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नड्डा पर भरोसा: बिहार में होगी असली परीक्षा, इन नेताओं के लिए अहम है चुनाव

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू और राजद के बीच गठबंधन था और कांग्रेस भी इस गठबंधन में शामिल थी मगर इस बार इस महागठबंधन का चेहरा पूरी तरह बदला हुआ है। 

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 10 Oct 2020 3:33 PM GMT
नड्डा पर भरोसा: बिहार में होगी असली परीक्षा, इन नेताओं के लिए अहम है चुनाव
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, बिहार में चुनाव प्रभारी बनाए गए

नई दिल्ली बिहार चुनाव भाजपा के लिए कई नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा के लिए इस बार पिछले चुनाव से स्थितियां पूरी तरह बदली हुई है। पिछले चुनाव में राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में उतरने वाली जदयू के साथ भाजपा इस बार फिर चुनाव मैदान में उतरी है। दूसरी ओर एनडीए में भाजपा की सहयोगी पार्टी लोजपा ने एनडीए से बाहर जाकर जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए हैं।

ऐसी जटिल स्थितियों में भाजपा की नई टीम की पहली परीक्षा बिहार में ही होगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, बिहार में चुनाव प्रभारी बनाए गए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के लिए यह चुनाव बड़ी चुनौती साबित होगा।

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इस बार बदल गई हैं स्थितियां

बिहार में इस बार 2015 के विधानसभा चुनाव से स्थितियां बिल्कुल बदली हुई हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू और राजद के बीच गठबंधन था और कांग्रेस भी इस गठबंधन में शामिल थी मगर इस बार इस महागठबंधन का चेहरा पूरी तरह बदला हुआ है।

जदयू एक बार फिर अपनी पुराने सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी है जबकि लोजपा ने एनडीए से किनारा करते हुए जदयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारने का एलान कर दिया है। इस बदले हुए माहौल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भाजपा के नए रणनीतिकारों की भी परीक्षा होगी।

bjp सोशल मीडिया से फोटो

गठबंधन वाले राज्यों में रणनीति बनाना कठिन

गठबंधन वाले राज्यों में वैसे भी चुनावी रणनीति बनाना किसी भी दल के लिए काफी कठिन काम होता है। इस काम में सहयोगी दल का मूड मिजाज भांपने के साथ ही उसे साधे रखने और अपने दल को मजबूत बनाने की भी जटिल चुनौती का सामना करना पड़ता है।

भाजपा के सामने ऐसी ही जटिल स्थिति बिहार में सामने आ गई है। भाजपा राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत भी बनाना चाहती है और जदयू के साथ संबंधों को बिगड़ने से बचाना भी चाहती है।

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ऐसे में पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों पर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। इन रणनीतिकारों पर पार्टी को मजबूत बनाने के साथ ही जदयू के साथ सहज संबंध बनाए रखने की बड़ी चुनौती है।

चिराग ने चुनौतियों को और जटिल बनाया

लोजपा मुखिया चिराग पासवान ने भाजपा के रणनीतिकारों के लिए चुनौती को और जटिल बना दिया है। वे लगातार जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं मगर भाजपा के प्रति उनका रवैया नरम है।

नीतीश पर हमले के साथ ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करने में भी जुटे हुए हैं। ऐसे में भाजपा और लोजपा के रिश्ते को लेकर जदयू में संदेह पैदा होना स्वाभाविक है।

भाजपा के रणनीतिकारों पर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि वे जदयू के भीतर किसी प्रकार की आशंका न पैदा होने दें और जदयू और भाजपा के रिश्ते पहले की तरह ही सहज बने रहें।

bihar सोशल मीडिया से फोटो

फडणवीस की मदद में भूपेंद्र को लगाया

यदि बिहार में भाजपा की रणनीति को देखा जाए तो पिछले दो दशकों के दौरान अरुण जेटली, अनंत कुमार, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान जैसे नेता बिहार में पार्टी की चुनावी जिम्मेदारी को संभालते रहे हैं। इस बार भाजपा की ओर से यह बड़ी जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपी गई है।

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फडणवीस को पहली बार महाराष्ट्र से बाहर पार्टी के चुनावी मोर्चे पर लगाया गया है। फडणवीस के साथ संगठन प्रभारी के रूप में भूपेंद्र यादव पार्टी की रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं।

फडणवीस को इसलिए सौंपी गई बड़ी जिम्मेदारी

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फडणवीस को सोच समझकर बिहार चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में पांच वर्ष तक गठबंधन की सरकार को कामयाबी से चलाया है।

हालांकि पिछले साल दोनों दोनों के बीच सत्ता की लड़ाई में गलतफहमी पैदा हो गई और शिवसेना ने अलग रास्ता चुन लिया। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी फडणवीस को राष्ट्रीय राजनीति में लाना चाहती है और अब बिहार के जरिए इस काम को पूरा किया जा रहा है।

नड्डा के नेतृत्व और रणनीति की होगी परीक्षा

भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हाल में पार्टी के संगठन में बदलाव करके उसे नया रूप दिया है। बिहार चुनाव उनके लिए भी बड़ी चुनौती है और इस चुनाव में उनके संगठन कौशल और फैसलों की अग्निपरीक्षा होगी।

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उन्होंने जनवरी में पार्टी के अध्यक्ष का पद संभाला था और उसके बाद दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को हार झेलनी पड़ी थी। हालांकि इस हार का ठीकरा उनके सिर नहीं फोड़ा गया क्योंकि उस चुनाव की रणनीति उनके पूर्व के अध्यक्ष अमित शाह के कार्यकाल में ही बना ली गई थी। इस तरह से बिहार विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व कौशल की पहली अग्निपरीक्षा साबित होने जा रहा है।

अंशुमान तिवारी

Suman  Mishra | Astrologer

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एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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