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बदलाव जरूरी: सरकार शिक्षाविदों से ले मदद, बदल जाएगी स्कूलों की तस्वीर

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 खत्म हो गया। नये सरकार का गठन होने जा रहा है। सरकार के सामने बेहतर शिक्षा को लेकर बड़ी चुनौती है। एक तरफ दिल्ली सरकार ने अपने कार्यशैली से यह दिखा दिया कि सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट जैसी शिक्षा दी जा सकती है।

Newstrack
Published on: 13 Nov 2020 1:01 PM IST
बदलाव जरूरी: सरकार शिक्षाविदों से ले मदद, बदल जाएगी स्कूलों की तस्वीर
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बदलाव जरूरी: सरकार शिक्षाविदों से ले मदद, बदल जाएगी स्कूलों की तस्वीर

बिहार: आज दिल्ली के सरकारी स्कूल की चर्चा देश-विदेश में खूब हो रही है। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी सरकारी स्कूल से पढ़कर दिल्ली के छात्र-छात्राओं ने इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता पाई। आईआईटी प्रवेश परीक्षा और नीट में भी अपना परचम लहराया। इसका सारा श्रेय दिल्ली सरकार के बेहतर शैक्षणिक मॉडल को जाता है जिसने सरकारी स्कूल की शिक्षा प्राइवेट जैसी कर दी। क्या बिहार की भी सरकारी स्कूलों की सूरत बदलेगा?

सरकार को इन शिक्षाविदों की मदद लेनी चाहिए

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 खत्म हो गया। नये सरकार का गठन होने जा रहा है। सरकार के सामने बेहतर शिक्षा को लेकर बड़ी चुनौती है। एक तरफ दिल्ली सरकार ने अपने कार्यशैली से यह दिखा दिया कि सरकारी स्कूलों में भी प्राइवेट जैसी शिक्षा दी जा सकती है। अब ये अन्य राज्यों के लिये चुनौती बन चुका है कि कैसे सरकारी स्कूल से पढ़कर सरकारी स्कूल के सैकड़ों स्टूडेंट्स प्रत्येक वर्ष आईआईटी और नीट प्रवेश परीक्षा में सफल हो रहे हैं।

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कौन हैं ये शिक्षाविद जिससे बिहार सरकार मदद ले तो बदल सकती है बिहार के सरकारी स्कूलों की तस्वीर

वैसे तो बिहार में सैकड़ों ऐसी प्रतिभा है जिनसे सरकार मदद ले तो शिक्षा में बड़ा बदलाव आ सकता है। आज हम उन बिहार के प्रतिभा के बारे में बात कर रहे हैं जो अपने शैक्षणिक कार्यशैली के लिये मशहूर हैं। बिहार देशभर में अनूठे एकेडमिक्स की वजह से भी चर्चित है। अभयानंद और आनंद कुमार ( Anand Kumar) ने गरीब बच्चों को आईआईटी (IIT) जैसे संस्थानों में भेजकर ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके काम को सलाम करती है।

एक मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) भी गज़ब तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं। आरके चुटकले और कबाड़ों के जरिए खेल-खेल में बच्चों को गणित की मुश्किल पढ़ाई करवाते हैं। कबाड़ को जुगाड़ से खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज करते हैं। वो सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, सवाल हल करना बताते हैं। आरके 52 तरीके से पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) को सिद्ध कर दुनिया को हैरान कर चुके हैं। 540 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके हैं।

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एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव

बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं आरके श्रीवास्तव की प्रशंसा

आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।

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इन लोगों के अलावा भी बिहार में ऐसे सैकड़ों प्रतिभा हैं यदि सरकार इनसे सलाह ले तो बिहार के सरकारी स्कूलों से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स और सरकारी स्कूलों की सुरत बदल सकती है।

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