Anand Mohan Case: राजीव गांधी के हत्यारों की हो सकती है रिहाई तो फिर आनंद मोहन की क्यों नहीं, SC में बोली बिहार सरकार

Anand Mohan Case: नीतीश सरकार ने बाहुबली नेता की रिहाई को सही बताते हुए इसके पक्ष में कई तर्क दिए हैं। सरकार ने कहा कि जेल में आनंद मोहन ने तीन किताबें लिखीं। जो भी काम दिया गया, उसे पूरा किया।

Krishna Chaudhary
Published on: 15 July 2023 7:29 AM GMT
Anand Mohan Case: राजीव गांधी के हत्यारों की हो सकती है रिहाई तो फिर आनंद मोहन की क्यों नहीं, SC में बोली बिहार सरकार
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Anand Mohan Case (photo: social media )

Anand Mohan Case: बाहुबली राजनेता और जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोह़न की रिहाई के मामले में बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें नीतीश सरकार ने बाहुबली नेता की रिहाई को सही बताते हुए इसके पक्ष में कई तर्क दिए हैं। सरकार ने कहा कि जेल में आनंद मोहन ने तीन किताबें लिखीं। जो भी काम दिया गया, उसे पूरा किया।

बिहार सरकार ने अपने हलफऩामे में कहा कि जब दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहाई मिल सकती है तो फिर आऩंद मोहन को क्यों नहीं। दरअसल, 27 अप्रैल 2023 को आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया गया था। जिसके अलावा दिवंगत आईएएस अधिकारी का परिवार सुप्रीम कोर्ट चला गया। शीर्ष अदालत ने 8 मई को पूर्व सांसद और बाहुबली नेता की रिहाई को लेकर बिहार सरकार से पूरा रिकॉर्ड मांगा था। कोर्ट ने राज्य सरकार से आनंद मोहन की रिहाई संबंधी सिफारिश की पूरी फाइल तलब की थी।

नियमों को बदलने को लेकर क्या बोली सरकार

नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई से पहले नियमों में किए गए संशोधन पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सरकार ने कहा है कि किसी दोषी व्यक्ति की रिहाई केवल इसलिए नहीं रोकी जा सकती, क्योंकि उन पर लोक सेवक की हत्या का आरोप है। आम जनता या लोक सेवक की हत्या का सजा एक समान है। उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को केवल इसलिए छूट देने से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि मारा गया पीड़ित एक लोकसेवक था।

दरअसल, बिहार सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को कारा हस्तक 2021 के नियम 481 आई में एक संशोधन किया था। इस संशोधन के जरिए ही आनंद मोहन की एक दशक से अधिक समय बाद जेल से रिहाई संभव हो सकी। पहले ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक की हत्या के मामले में दोषी को आजीवन यानी मरने तक जेल में ही रहने का प्रावधान था। जिसे खत्म कर दिया, जिसके बाद अब आम आदमी और लोक सेवक की हत्या की सजा एक जैसी हो गई है। इस संशोधन के बाद आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया गया था।

क्या है जी. कृष्णैया हत्याकांड ?

जी. कृष्णैया हत्याकांड ने 1990 के दशक में बिहार ही नहीं पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी की भीड़ ने पीट-पीटकर और फिर गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस दौरान सूबे के मुखिया लालू प्रसाद यादव थे। आरोप था कि जब कृष्णैया मुजफ्फरपुर से गुजर रहे थे, तब वहां मौजूद आक्रोशित भीड़ ने आनंद मोहन के ही उकसावे पर डीएम पर जानलेवा हमला किया था। इस मामले में पुलिस ने आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद समेत 6 लोगों को नामजद किया था। जी. कृष्णैया तेलंगाना से थे और दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे।

3 अक्टूबर 2007 को कोर्ट ने आनंद मोहन समेत तीन को फांसी और कुछ को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में तब 29 लोगों को बरी कर दिया था। ये आजाद भारत के इतिहास का पहला मौका था, जब कोर्ट ने किसी राजनेता को फांसी की सजा सुनाई थी। 10 दिसंबर 2008 को आनंद मोहन को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली और उच्च न्यायालय ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। 24 अप्रैल 2023 को नीतीश सरकार ने आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहाई का आदेश दिया था। 27 अप्रैल 2023 को बाहुबली नेता 16 साल जेल में गुजारने के बाद रिहा हुए थे।

बता दें कि आनंद मोहन का बेटा चेतन आनंद वर्तमान में शिवहर से राजद विधायक है।

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