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मंदिरों के सोने पर बवाल! कांग्रेस नेता का जवाब, BJP सरकारों ने शुरू की ये स्कीम
कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कोरोना संकट में सरकार से धार्मिक ट्रस्टों में रखे सोने को कब्जे में लेने के बात कही। पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान के बाद सियासी बवाल मच गया।
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कोरोना संकट में सरकार से धार्मिक ट्रस्टों में रखे सोने को कब्जे में लेने के बात कही। पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान के बाद सियासी बवाल मच गया। पूर्व मुख्यमंत्री के सोना कब्जे में लेने के बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर चौतरफा हमला बोला है।
बीजेपी के हमले के बाद अब पृथ्वीराज चव्हाण सफाई दी है और नया दावा किया है। कांग्रेस नेता ने तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के संसद में दिए गए बयान का हवाला दिया और कहा कि मंदिरों के सोने पहले भी जमा किए जा चुके हैं। यह गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत किया गया है।
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पृथ्वीराज चव्हाण ने दिया था ये बयान
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने 13 मई को ट्वीट के जरिए सोने को कब्जे में लेना का सुझाव सरकार को दिया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्र को आर्थिक संकट से उबारने के लिए देशभर के मंदिर ट्रस्टों के पास पड़ा सोना अपने कब्जे में ले ले जिससे सरकार को लगभग 76 लाख करोड़ रुपये की मदद मिलेगी।
कांग्रेस नेता ने कहा था कि यह सोना राष्ट्र की संपत्ति है और राष्ट्र के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि अगर केंद्र सरकार चाहे, तो 1 या 2% ब्याज पर यह सोना मंदिर ट्रस्टों से लिया जा सकता है। चव्हाण ने अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का हवाला दिया और कहा कि देश के मंदिर ट्रस्टों के पास लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थात 75 लाख करोड़ रुपये मूल्य का सोना पड़ा हुआ है।
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बवाल बढ़ने पर दी ये सफाई
जब पृथ्वीराज चव्हाण के इस बयान की बीजेपी नेताओं और साधु-संतों ने तीखी आलोचना की, तब उन्होंने सफाई दी। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि पृथ्वीराज चव्हाण की नजर मंदिरों में रखे सोने पर है। विवाद बढ़ने बाद पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मेरी सलाह सभी धार्मिक ट्रस्टों के लिए है, लेकिन मीडिया के एक वर्ग में इसे तोड़मरोड़ कर पेश किया।
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि साल 1999 में अटल बिहारी बाजपेयी सरकार ने गोल्ड डिपॉजिट योजना की शुरुआत की थी। 2015 में मोदी सरकार ने इसका नाम बदलकर गोल्ड मोनेटाइजेशन योजना कर दिया। तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के लोकसभा में दिए गए बयान के मुताबिक कई मंदिरों ने अपना सोना डिपॉजिट कर रखा है।
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2952 ट्रस्टों ने जमा कराया सोना
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक स्कीम के शुरू होने से 31 जनवरी, 2020 तक गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत 2952 विभिन्न ट्रस्टों ने गोल्ड जमा कराया है। इन ट्रस्टों ने 11 बैंकों में 20 टन से अधिक सोना जमा किया है। पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि मेरे बयान के साथ जिन लोगों ने खिलवाड़ किया है, इसको लेकर कानूनी सलाह के साथ आगे का फैसला लूंगा। इसके साथ ही पृथ्वी राज चव्हाण ने एक दस्तावेज भी ट्वीट किया है।
दस्तावेज में कही गई ये बातें
दरअसल, ये दस्तावेज संसद में किए गए लिखित सवाल जवाब का है। दस्तावेज के मुताबिक सांसद ध्रुव नारायण ने वित्त मंत्री से 4 सवाल पूछे थे। उन्होंने पूछा था कि गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम, 2015 के तहत कितने मंदिरों या धार्मिक संस्थाओं ने सोने को डिपॉजिट कर रखा है। इसके साथ ही अन्य डिटेल भी मांगी थी।
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इसके जवाब में तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बताया कि कुल 8 मंदिरों ने स्कीम के तहत गोल्ड डिपॉजिट कर रखा है। इनमें तमिलनाडु के 4 मंदिर, महाराष्ट्र के दो, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के क्रमश: एक-एक मंदिर शामिल हैं। हालांकि, जयंत सिन्हा ने लिखित जवाब में ये भी कहा कि मंदिरों को सोने की डिपॉजिट के लिए कोई अनिवार्यता नहीं है।
जानिए गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के बारे में
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के तहत आप अपना सोना बैंक में जमा कर सकते हैं। इस पर आपको बैंक ब्याज देंगे। इस स्कीम की खास बात यह भी है कि पहले आप अपने सोने को लॉकर में रखते थे, लेकिन अब आपको लॉकर लेने की जरूरत नहीं हैं और निश्चित ब्याज भी मिलता है। स्कीम के तहत इसमें कम से कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होगा। इसमें बैंक गोल्ड-बार, सिक्के, गहने (स्टोन्स रहित और अन्य मेटल रहित) मंजूर करेंगे। गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम वर्ष 2015 में शुरू की गई थी।