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MP: BJP नेता का विवादित बयान, कहा- देवता भी पीते थे शराब, मैंने मृत्युंजय में पढ़ा है

बीजेपी नेता ने कहा कि शराब शुद्ध मिलना चाहिए और इसे सीमा में पियें। उनका कहना है कि आत्म अनुशासन तो व्यक्ति को खुद बनाना पड़ेगा, क्योंकि यह सब काम पुरातन काल से होते आ रहे हैं। बस इसे सही समय सीमा में लेना चाहिए।

Dharmendra kumar
Published on: 23 Jan 2021 2:01 PM IST
MP: BJP नेता का विवादित बयान, कहा- देवता भी पीते थे शराब, मैंने मृत्युंजय में पढ़ा है
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बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने ग्वालियर में कहा कि अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे। मैंने खुद मृत्युंजय में पढ़ा है।

ग्वालियर: मध्य प्रदेश में शराब को लेकर घमासान माच हुआ है। अब इस बीच बीजेपी नेता ने विवादित बयान दिया है। बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी ने ग्वालियर में कहा कि अपने यहां तो देवता भी शराब पीते थे। मैंने खुद मृत्युंजय में पढ़ा है।

उन्होंने कहा कि इसमें लिखा है कि जब महाभारत के युद्ध की घोषणा हुई तो आयुध और शराब के उत्पादन बढ़ाने का आदेश दिया गया था। इसलिए यह सब तो पुरातन काल से चला आ रहा है।

चतुर्वेदी से पत्रकारों ने सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि शराब शुद्ध मिलना चाहिए और इसे सीमा में पियें। उनका कहना है कि आत्म अनुशासन तो व्यक्ति को खुद बनाना पड़ेगा, क्योंकि यह सब काम पुरातन काल से होते आ रहे हैं। बस इसे सही समय सीमा में लेना चाहिए।

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आबकारी आयुक्त के बयान पर बवाल

मध्य प्रदेश में शराब आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने एक आदेश जारी किया जिसके बाद बवाल मच गया। उन्होंने राब को लेकर सभी जिलों के कलेक्टर को यह दिया था। इस आदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जानकारी मिली उन्होंने इसे तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया।

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बता दें हाल ही नें प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शराब की नई दुकानें खोलने को लेकर बयान दिया था। लेकिन इसके कुछ ही घंटे बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके बावजूद 21 जनवरी को आबकारी आयुक्त राजीव दुबे ने सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर दिया। उन्होंने जिलों में 20 प्रतिशत नई दुकानें खोलने के लिए प्रस्ताव मंगवाए इसके बाद ही बवाल मच गया।

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आबकारी विभाग की सफाई

शराब की नई दुकानें खोलने के मुद्दे मचे बवाल के बाद आबकारी विभाग ने सफाई दी। विभाग की तरफ से कहा गया है कि हमने कलेक्टरों से नई दुकानों के सुझाव मांगे हैं, क्योंकि यह सिर्फ एक रुटीन प्रक्रिया है। प्रस्ताव रद्द क्यों किए, इस पर कुछ नहीं कहना है।

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