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गुजरात: BJP सांसद मनसुख वसावा ने वापस लिया इस्तीफा, कही ये चौंकाने वाली बात
मनसुख वसावा ने इस्तीफा वापस लेने के बाद कहा है कि ‘मैंने आज मुख्यमंत्री से इस पर चर्चा की है। अब, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से आश्वासन मिलने के बाद, मैंने इस्तीफा वापस लेने का निर्णय लिया है।
अहमदाबाद: गुजरात में भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनसुख वसावा ने वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत के बाद अपना इस्तीफा वापस ले लिया।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से मिलने के बाद वसावा ने कहा, ‘पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझे बताया कि सांसद पद पर बने रहने पर ही मैं, अपनी कमर और गले के दर्द का मुफ्त इलाज करा सकता हूं।
सांसद के तौर पर इस्तीफा देने पर यह संभव नहीं होगा। पार्टी नेताओं ने मुझे आराम करने की सलाह दी है और साथ ही यह आश्वासन भी दिया है कि पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता मेरी ओर से काम करेंगे।’
गुजरात: BJP सांसद मनसुख वसावा ने वापस लिया इस्तीफा, कही ये चौंकाने वाली बात (फोटो:सोशल मीडिया)
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मंगलवार को की थी इस्तीफे की घोषणा
इससे पहले वसावा ने मंगलवार को बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद कहा था कि वह संसद के बजट सत्र में लोकसभा के सदस्य के तौर पर भी इस्तीफा दे देंगे।
लेकिन अब यू टर्न लेते हुए वसावा ने कहा, ‘राज्य और केंद्र सरकार ‘इको सेंसिटिव जोन’ से जुड़े मुद्दे को सुलझाने की हर संभव कोशिश कर रही है। मुझे पार्टी या सरकार से कोई परेशानी नहीं है। बल्कि, मैं इस पर बात दृढ़ता से विश्वास करता हूं कि पिछली सरकार की तुलना में बीजेपी शासन में आदिवासियों का अधिक विकास हुआ है।’
बता दें कि मनसुख वसावा लंबे समय से आदिवासियों की राजनीति करते आ रहे हैं। वह खुद भी इस समाज से आते हैं।गुजरात के जनजाति बहुल भरूच से छह बार सांसद रहे वसावा (63) ने कहा था कि पार्टी के साथ उनका कोई मुद्दा नहीं है। वह स्वास्थ्य कारणों से पार्टी छोड़ रहे हैं।
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गुजरात: BJP सांसद मनसुख वसावा ने वापस लिया इस्तीफा, कही ये चौंकाने वाली बात (फोटो:सोशल मीडिया)
सांसद के रूप में जारी रखूंगा अपनी सेवाएं
वसावा ने इस्तीफा वापस लेने के बाद कहा है कि ‘मैंने आज मुख्यमंत्री से इस पर चर्चा की है। अब, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से आश्वासन मिलने के बाद, मैंने इस्तीफा वापस लेने का निर्णय लिया है। मैं बतौर सांसद अपनी सेवाएं जारी रखूंगा।’
गौरतलब है कि आदिवासी नेता वसावा ने इससे पहले दावा किया कि यह गलत धारणा है कि वह नर्मदा जिले के आदिवासियों से संबंधित कुछ मुद्दों, विशेष रूप से ‘इको सेंसिटिव जोन’ में 121 गांवों को शामिल करने को लेकर, सरकार के रवैये से दुखी हैं।
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