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बंगाल में यूपी फॉर्मूला: क्या हिट होगा भाजपा के लिए, चलेगा शाह का जादू

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया था कि पार्टी के पास चुनाव जीतने लायक अच्छे नेताओं की कमी है।

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Published on: 2 Dec 2020 7:47 AM GMT
बंगाल में यूपी फॉर्मूला: क्या हिट होगा भाजपा के लिए, चलेगा शाह का जादू
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लखनऊ। पश्चिम बंगाल में भाजपा का ऑपरेशन कमल शुरू हो चुका है। ममता सरकार के प्रमुख मंत्री शुभेंदु अधिकारी के बाहर निकलने के साथ ही भाजपा नेतृत्व ने बंगाल में सत्ता परिवर्तन की तैयारी तेज कर दी है। पश्चिम बंगाल में पार्टी का मजबूत जनाधार नहीं होने की वजह से पार्टी में चुनाव जिताऊ नेताओं की कमी है। इस कमी को पूरी करने के लिए पार्टी ने एक बार फिर यूपी फॉर्मूला आजमाने का फैसला कर लिया है।

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भाजपा को बड़ी कामयाबी नहीं

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया था कि पार्टी के पास चुनाव जीतने लायक अच्छे नेताओं की कमी है। शायद यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के 44 प्रतिशत मत आधार के मुकाबले लोकसभा चुनाव में 40 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के बावजूद भाजपा को बड़ी कामयाबी नहीं मिल सकी।

इससे सबक सीखते हुए भाजपा ने अब यूपी की तर्ज पर ही पश्चिम बंगाल में भी कमल खिलाने की जुगत बिठानी शुरू कर दी है। इसके तहत तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल और कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में पार्टी का राज्य व शीर्ष नेतृत्व बना हुआ है।

Trinamool Congress फोटो-सोशल मीडिया

बताया जा रहा है कि अगले 15 दिन के अंदर पश्चिम बंगाल के कुछ बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल कराया जाएगा। चर्चा यह भी है कि तृणमूल कांग्रेस में बड़े पैमाने पर टूट के आसार बन रहे हैं। अगर यह ऑपरेशन कामयाब रहा तो मुमकिन है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार भी गिर जाए। तब राष्ट्रपति शासन में प्रदेश के चुनाव कराए जा सकते हैं।

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क्या है यूपी फॉर्मूला

भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जब अमित शाह ने कार्यभार संभाला तो प्रदेश में भाजपा की हालत बहुत अच्छी नहीं थी। कई क्षेत्रों में भाजपा के पास अच्छे व चुनाव जीतने लायक नेता तक नहीं थे।

amit shah फोटो-सोशल मीडिया

ऐसे में ऑपरेशन यूपी के तहत भाजपा ने सबसे पहले दूसरे राजनीतिक दलों के जिताऊ नेताओं पर ध्यान केंद्रित किया। पार्टी तब बड़े पैमाने पर बहुजन समाज पार्टी के नेताओं को अपने साथ लाने में कामयाब रही। कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी को भी भाजपा ने अपना साथी बना लिया।

बसपा से स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक सरीखे नेताओं को साथ लाकर अपनी सरकार में मंत्री का ओहदा भी दिया। भाजपा की इस रणनीति ने प्रदेश की राजनीति में तीसरे पायदान पर खड़ी भाजपा को सरकार बनाने लायक ताकत दे दी। अब पश्चिम बंगाल में भी पार्टी इसी फॉर्मूले पर अमल करने जा रही है।

पिछले साल भर के अंदर पश्चिम बंगाल में विभिन्न राजनीतिक दलों से लोगों को भाजपा में शामिल कराया गया है। पार्टी मानकर चल रही है कि चुनाव जीतने में सक्षम इन नेताओं के साथ आने से पार्टी का जनाधार भी बढ़ेगा और विधानसभा में ताकत भी।

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दूसरे दलों से भाजपा में आए प्रमुख नेता

अर्जुन सिंह- तृणमूल कांग्रेस विधायक

अनुपम हाजरा- पूर्व सांसद व टीएमसी नेता

दुलालचंद्र बर- कांग्रेस विधायक

खगेन मुर्मू- माकपा विधायक

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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी

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