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Opposition Unity: विपक्षी एकजुटता की कवायद से भाजपा बेफिक्र, 2024 में इस चुनावी रणनीति से जवाब देगी पार्टी

Opposition Unity: भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की कवायद से पहले ही पार्टी ने विभिन्न राज्यों में चुनावी मशक्कत शुरू कर दी थी। पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने दम पर 303 सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी नेता इस बार इससे ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं

Anshuman Tiwari
Published on: 25 Jun 2023 2:56 PM IST
Opposition Unity: विपक्षी एकजुटता की कवायद से भाजपा बेफिक्र, 2024 में इस चुनावी रणनीति से जवाब देगी पार्टी
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पीएम मोदी और विपक्षी नेता ( सोशल मीडिया)

Opposition Unity: 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। इन दिनों विपक्षी एकजुटता की कवायद से भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए की चुनावी संभावनाओं पर पड़ने वाले असर को लेकर खूब चर्चा हो रही है। दूसरी ओर भाजपा विपक्ष की एकजुटता की कवायद से बेफिक्र नजर आ रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पटना की बैठक को महज फोटो सेशन बताया है।

दरअसल पार्टी ने लोकसभा के उन 160 सीटों पर पहले से ही फोकस कर रखा है जिन पर पार्टी की स्थिति कमजोर है और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा नेताओं का मानना है कि विपक्षी एकजुटता से 2024 में एनडीए की चुनावी संभावनाएं ज्यादा प्रभावित नहीं होगी। भाजपा को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है तो कई इलाकों में पार्टी की सीटों में इजाफा भी होगा। पुराने सहयोगियों के साथ छोड़ने के बाद नए सहयोगियों के जुड़ने से भी पार्टी को कई सीटों पर चुनावी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में पार्टी नेताओं का मानना है कि संख्या बल के लिहाज से 2024 में ज्यादा अंतर आने की संभावना नहीं है।

विपक्षी दलों में सीट शेयरिंग पर फंसेगा पेंच

पटना में 23 जून को हुई बैठक के दौरान 15 राजनीतिक दलों के प्रमुख नेता जुटे थे। इस बैठक के बाद सभी दलों के मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान तो किया गया मगर विपक्षी एकजुटता की राह में कई अड़चनें भी मानी जा रही हैं। बैठक के बाद दिल्ली के अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में घमासान छिड़ गया है जिसका असर कई प्रदेशों के चुनावों पर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पटना में जुटे राजनीतिक दलों के पास लोकसभा के 136 सीटें हैं और इनमें 49 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे आगे है।

बैठक में हिस्सा लेने वाले दलों के कई राज्यों में आपसी हित टकरा रहे हैं। इस कारण सीटों का बंटवारा भी आसान नहीं माना जा रहा है। पटना की बैठक के दौरान विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व और सीट शेयरिंग के फार्मूले पर कोई चर्चा नहीं हुई है। माना जा रहा है कि जुलाई में शिमला में होने वाली बैठक के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की जा सकती है। इस चर्चा के पूर्व आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी के बीच जिस प्रकार की बयानबाजी चल रही है, उससे साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में यह घमासान और बढ़ सकता है।

कमजोर सीटों पर भाजपा का विशेष फोकस

दूसरी ओर भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की कवायद से पहले ही पार्टी ने विभिन्न राज्यों में चुनावी मशक्कत शुरू कर दी थी। पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में अपने दम पर 303 सीटों पर जीत हासिल की थी और पार्टी नेता इस बार इससे ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि विपक्षी एकजुटता से उसे कई सीटों पर नुकसान जरूर उठाना पड़ सकता है मगर पार्टी उन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन भी कर सकती है जिन पर 2019 के चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।

देश की 160 सीटों पर भाजपा की नजर

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी जीती हुई सीट पर कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी और इसके साथ ही उन सीटों पर भी पूरी ताकत लगाएगी जिन सीटों पर पार्टी की स्थिति अभी तक कमजोर मानी जाती रही है। ऐसे में कुछ सीटों का सियासी नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई होने की भी संभावना बनी हुई है। पार्टी की ओर से ऐसी 160 सीटों पर पिछले साल से ही तैयारी की जा रही है। इन सीटों पर पार्टी को कम वोटों से जीत हासिल हुई थी या पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। इन क्षेत्रों में कई केंद्रीय मंत्रियों को लगाया गया था और पार्टी को इस कवायद का सकारात्मक नतीजा दिखने की उम्मीद है। इसके अलावा कई मजबूत क्षेत्रीय दलों ने भी विपक्षी एकजुटता की कवायद से दूरी बना रखी है और इसका भी चुनाव पर काफी असर पड़ेगा।

पीएम मोदी के मुकाबले कोई मजबूत चेहरा नहीं

भाजपा को सबसे मजबूत भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि विपक्षी एकजुटता की कवायद के बीच पीएम पद के चेहरे को लेकर विवाद सुलझने के आसार नहीं दिख रहे हैं। विपक्ष के कई बड़े नेता चुनाव के बाद इस मुद्दे को हल करने पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में विपक्ष पीएम मोदी के मुकाबले कोई मजबूत चेहरा पेश करने की स्थिति में नहीं दिख रहा है।

दूसरी ओर सीट शेयरिंग का कोई फार्मूला भी अभी तक नहीं बन सका है कई राज्यों में विपक्ष में शामिल दलों के आपसी हित टकरा रहे हैं।
इस कारण सीटों का बंटवारा भी आसान साबित नहीं होगा। चुनाव नजदीक आने पर यह टकराव और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। भाजपा के एक प्रमुख नेता का कहना है कि विपक्ष की ओर से सरकार या विकास का कोई एजेंडा अभी तक पेश नहीं किया गया है। जनता इस बात को देख रही है कि सिर्फ पीएम मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए ही विपक्षी दलों के बीच यह एकजुटता हो रही है जबकि मोदी के मुकाबले विपक्ष के पास कोई मजबूत चेहरा भी नहीं है।



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Anshuman Tiwari

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