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कालेधन का खुलासा! भारतीयों के खातों की ये सच्चाई, जरा आप भी जान लें
भारतीयों का काला धन स्विस बैंक से जुड़े होने की जानकारी मिलने के बाद से दुनिया के सबसे तेज प्लेटफॉर्म यानी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में यह दावा भी किया जा रहा है कि भारत को स्विस बैंक से सिर्फ 31 लाख खातों के बारें में जानकारी प्राप्त हो पाई है।
नई दिल्ली : भारतीयों का काला धन स्विस बैंक से जुड़े होने की जानकारी मिलने के बाद से दुनिया के सबसे तेज प्लेटफॉर्म यानी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में यह दावा भी किया जा रहा है कि भारत को स्विस बैंक से सिर्फ 31 लाख खातों के बारें में जानकारी प्राप्त हो पाई है। और आश्चर्य की बात तो यह है कि इसमें सबसे ज्यादा खाते यानी 90 % खाते गुजरातियों के हैं।
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हालांकि मीडिया से हुई पड़ताल में यह दावा गलत साबित हो रहा है।
आखिर क्या है इस वायरल पोस्ट में?
सोशल मीडिया पर पोस्ट को वायरल करते हुए लिखा गया है, ‘काले धन वालों की लिस्ट मोदी ने दहशत में खा गये और फ्लश कर दिया!’
वायरल हो रही इस पोस्ट में लिखा गया है, ‘भारत को स्विस बैंक में 31 लाख खातों की जानकारी मिली है। विदेशी बैंकों के 31 लाख खातों में 90% खाते गुजरातियों के हैं, मोदी का हलक सूख गया। सार्वजनिक करने के अपने वादे से पीछे हटे।’
आपको बता दें कि इस वायरल पोस्ट की जांच किए जाने तक इस पोस्ट को लगभग 350 से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं।
जारी हुई पड़ताल
इस वायरल पोस्ट में पहले दावे के अनुसार, भारत को स्विट्जरलैंड की तरफ से कुल 31 लाख खातों की जानकारी मिली है।
मिली इस जानकारी के अनुसार, भारत को स्विस बैंक में जमा भारतीयों की ब्लैक मनी के बारे में जानकारी की पहली खेप मिल चुकी है। स्विट्जरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने ऑटोमैटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज की प्रक्रिया के जरिए भारत को स्विस बैंक के खातों के बारे में जानकारी सौंपी है, जिसमें काले धन को रखा गया है।
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आपको बता दें कि एफटीए की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, भारत उन 75 देशों में शामिल है, जिसे एफटीए ने फाइनेंस की सारी जानकारी सौंपी है।
31 लाख खातों की जानकारी
मिली जानकारी के मुताबिक, एफटीए ने पार्टनर देशों को लगभग 31 लाख खातों की जानकारी सौंपी है। हालांकि, इस वायरल हो रही पोस्ट में यह दावा किया गया है कि सिर्फ भारत को 31 लाख वित्तीय खातों की जानकारी दी गई है।
बता दें कि इसलिए यह दावा गलत है कि भारत को स्विट्जरलैंड की तरफ से 31 लाख खातों की सूची मिली है।
मीडिया से मिली खबरों के अनुसार, भारत को इस प्रक्रिया के तहत अगली जानकारी सितंबर 2020 में मिलेगी। इस रिपोर्ट के अनुसार, खातों की पहचान, वित्तीय सूचनाएं, नाम, पत्ता, रहने की जगह और टैक्स पहचान संख्या, बैलेंस और कैपिटल आय की जानकारी एफटीए ने देशों को सौंपी हैं।
पड़ताल में दूसरा दावा
इस वायरल पोस्ट में यह दावा किया गया है कि विदेशी बैंकों के 31 लाख खातों में 90% खाते कथित रूप से गुजरातियों के हैं और इसलिए मोदी सरकार इस मामले की जानकारियों को सार्वजनिक करने के वादे से पीछे हट गई है। मीडिया रिपोर्ट्स से ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जहां भारत सरकार ने इन जानकारियों को सार्वजनिक किया हो।
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आपको बता दें कि एफटीए के अनुसार, 12 देशों को स्विट्जरलैंड की तरफ से जानकारी नहीं दी गई। इसका कारण यह रही कि जिन देशों ने अपने नागरिकों के विदेशी खातों के बारे में जानकारी मांगी थी, वह इन जानकारियों को गोपनीय रखे जाने और डाटा की सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानक को पूरा नहीं कर पा रहे थे या फिर उन्होंने यह जानकारी लेना सही नहीं समझा।
मिली रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय डाटा की सुरक्षा और सूचनाओं की गोपनीयता के मामले में इंटरनेशनल मानकों को पूरा नहीं कर पाने के कारण एफटीए ने जिन देशों को जानकारी नहीं दी है उसमें बुल्गारिया, कोस्टा रिका, रोमानिया और साइप्रस जैसे देश हैं। इसके साथ जिन देशों ने डाटा लेना ठीक नहीं समझा उन देशों में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और कैमन आइलैंड जैसे देश शामिल हैं।
90% खाते कथित रूप से गुजरातियों के
सही में इन देशों के बीच सूचनाओं का यह आदान-प्रदान गोपनीयता की कड़ी शर्तों के तहत हुआ है और इसी का हवाला देते हुए एफटीए के अधिकारियों ने स्विस बैंक में जमा भारतीयों के खाते और उससे जुड़ी अन्य जानकारियों को देने से मना कर दिया। जब भारत से जुड़ी जानकारी के बारे में पूछा गया, तो एफटीए के प्रवक्ता ने कहा, ‘सांख्यिकी विवरण भी गोपनीयता के दायरे में आता है।’
मतलब भारत को जो जानकारी मिली, उसमें गोपनीयता एक जरूरी शर्त है। इसलिए सरकार ने उन जानकारियों को सार्वजनिक नहीं किया। ऐसे में खाताधारकों की पहचान के सामने आने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
लेकिन, वायरल पोस्ट में यह दावा किया गया है कि जो जानकारी एफटीए की तरफ से भारत को मिली है उसके अनुसार, 90% खाते कथित रूप से गुजरातियों के हैं।
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आयकर विभाग के जनसंपर्क विभाग के ओएसडी सुरभि अहलूवालिया ने मीडिया को बताया कि, ‘जो जानकारी सरकार को मिली है, वह बहुत गोपनीय है। उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।’
आगे उन्होंने कहा कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच इन जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए गोपनीयता एक जरूरी और कड़ी शर्त है।
अंत में बताते चलें कि स्विस बैंक खातों के बारे में मिली जानकारी को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट का दावा गलत है। भारत को स्विस बैंक में भारतीयों के काले धन के बारे में जो जानकारी मिली है, वह गोपनीय डाटा है, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है और यह एक कड़ी शर्त है।