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अर्नब गोस्वामी को बेल मिलेगी या फिर जेल? बॉम्बे हाई कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
मुंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि वह शुक्रवार को अन्वय की पुत्री आज्ञा की याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें उसने अपने पिता के सुसाइड के मामले की पुन: जांच की मांग की है।
मुंबई: रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट में आज एक बार फिर से सुनवाई होगी। गुरुवार को अर्नब गोस्वामी को हाइकोर्ट से राहत नहीं मिली थी।
अदालत ने यह कहते हुए सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी कि वह इस मामले को विस्तार से सुनना चाहती है। अब आज इस मामले में एक बार फिर से हाई कोर्ट में सुनवाई होगी, ऐसे में ये देखना होगा कि क्या अर्नब को आज कोर्ट से राहत मिलेगी? या फिर उन्हें 14 दिनों के लिए जेल में ही रहना होगा।
बता दें कि मुंबई पुलिस ने सुसाइड के एक केस में अर्नब से पूछताछ के लिए कोर्ट से उन्हें 14 दिनों तक पुलिस की हिरासत में रखने की अनुमति मांगी है। जिस पर आज कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
अर्नब गोस्वामी (फोटो:सोशल मीडिया)
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बीते 48 घंटे में कोर्ट के अंदर क्या-क्या हुआ था?
बुधवार देर रात अलीबाग कोर्ट ने एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या के मामले में अर्नब गोस्वामी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
जिसके बाद अर्नब ने जमानत के साथ-साथ अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए खुद पर लगे आरोपों को रद करने की याचिका उच्च न्यायालय में दायर कर रखी थी। लेकिन, उनकी तरफ से कई नामचीन वकीलों की जिरह के बावजूद उन्हें कोर्ट से राहत नहीं मिल सकी।
गुरूवार को न्यायमूर्ति एसएस शिंदे एवं एमएस कार्णिक ने कहा कि वे दोनों पक्षों को सुनने के बाद शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाएंगे। पीठ ने अर्नब से अपनी याचिका में मृत इंटीरियर डिजाइनर अन्वय की पत्नी तथा अन्य सूचना देने वालों के अलावा केंद्र सरकार को भी पार्टी बनाने एवं उन्हें याचिका की प्रतियां उपलब्ध कराने को कहा है।
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वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (फोटो:सोशल मीडिया )
अर्नब के वकीलों ने जमानत के लिए कोर्ट के आगे दी ये दलील
इतना ही नहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि वह शुक्रवार को अन्वय की पुत्री आज्ञा की याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें उसने अपने पिता के सुसाइड के मामले की पुन: जांच की मांग की है।
अर्नब के दोनों वकीलों ने कोर्ट के आगे जमानत को लेकर काफी देर तक जिरह की। वकील आबाद पोंडा ने कहा कि बंद हो चुके मामले की फिर से जांच शुरू किया जाना स्थापित फौजदारी सिद्धांतों के ही खिलाफ है।
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे भी अर्नब का केस देख रहे हैं। उन्होंने कोर्ट से तत्काल राहत देने की मांग करते हुए कहा कि अंतरिम जमानत दे देने से महाराष्ट्र में आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
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