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शोक की लहर: दादी हृदय मोहिनी का निधन, ब्रह्म कुमारीज की थी मुख्य प्रशासक

दादी गुलजार ने अपने नाम को पूरा सार्थक किया है, वे जहां भी जाती थीं वहां गुल खिलते थे। उनकी एक दृष्टि से ही जैसे लाखों आत्माओं को सुकून मिल जाता था।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 11 March 2021 1:21 PM GMT
शोक की लहर: दादी हृदय मोहिनी का निधन, ब्रह्म कुमारीज की थी मुख्य प्रशासक
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सोशल मीडिया से फोटो

मुंबई: चेहरे पर सदा मीठी मुस्कान और आंखों में परमात्मा के प्यार की चमक रखने वाली प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका दादी हृदय मोहिनी जी उर्फ दादी गुलजार ने आज अपना पार्थिव शरीर त्याग किया।

राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी

प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुखिया राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी का गुरुवार सुबह 10:30 बजे देहांत हो गया। 93 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के सैफी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। एयर एंबुलेंस से उनके पार्थिव शरीर को राजस्‍थान के आबू रोड शांतिवन में अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय ले जाया जाएगा। 12 मार्च को उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए शांतिवन में रखा जाएगा। इसके बाद 13 मार्च को सुबह माउंट आबू के ज्ञान सरोवर अकादमी में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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भावपूर्ण श्रद्धांजलि

दादी के निधन पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है। ब्रह्मकुमारीज के सूचना निदेशक बीके करुणा ने बताया कि राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जी का स्वास्थ्य कुछ समय से ठीक नहीं चल रहा था। मुम्बई के सैफी हॉस्पिटल में आपका स्वास्थ्य लाभ चल रहा था।

140 देशों में स्थित सेवाकेन्द्रों

दादीजी के निधन की सूचना पर संस्थान के भारत सहित विश्व के 140 देशों में स्थित सेवाकेन्द्रों पर शोक की लहर दौड़ गई। साथ ही ब्रह्मकुमारीज के आगामी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया है। विश्वभर में योग साधना का दौर चल रहा है। एक साल पहले दादी जानकी के निधन के बाद दादी हृदयमोहिनी को ब्रह्माकुमारीज की मुख्य प्रशासिका नियुक्त किया गया था।

शब्द की कोई जगह नहीं थी, जिन्होंने सदा मुस्कुराकर सिर्फ विश्व की सभी आत्माओं के कल्याण के बारे में सोचा, ऐसी दादी जी के नक्शे कदम पर चलना ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि देना होगा। दादी गुलजार ने अपने नाम को पूरा सार्थक किया है, वे जहां भी जाती थीं वहां गुल खिलते थे। उनकी एक दृष्टि से ही जैसे लाखों आत्माओं को सुकून मिल जाता था।

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खुदको परमात्मा के संदेश

कराची में जन्म लेने के बावजूद उन्होंने पूरे विश्व को अपना घर समझा और खुदको परमात्मा के संदेश को फैलाने का एक जरिया। सिर्फ भारत ही नहीं उन्होंने विदेशों में भी परमात्मा के ज्ञान का परिचय दिया है। आज दादी जी के चले जाने से सबकी आंखें नम हैं, लेकिन उन्होंने लाखों आत्माओं के दिल में जो हिम्मत और स्नेह का चिराग जलाया है, वो हमेशा यूंही रोशन होता रहेगा।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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