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महिलाओं की स्थिति पर स्टडी: 78% ने पब्लिक प्लेस पर झेली हिंसा, 38% सह गईं
दुनियाभर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन इससे पहले भारत की महिलाओं की स्थिति को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है।
नई दिल्ली: दुनियाभर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन इससे पहले भारत की महिलाओं की स्थिति को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अस्वीकार्य बनाने के लिए काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू इंडिया ने आज बायस्टेंडर बिहेवियर पर अपनी पहली स्टडी जारी की। इस स्टडी में कई हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं।
दरअसल, ब्रेकथ्रू इंडिया ने एक सर्वे किया था। 721 लोगों के बीच हुए ऑनलाइन सर्वे और 91 लोगों से सीधे इंटरव्यू के माध्यम से की गई इस स्टडी में बिहार, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तेलंगाना राज्यों के लोग शामिल थे। इसमें अधिकांश प्रतिभागियों, विशेष रूप से महिलाओं ने हिंसा को एक व्यापक शब्द के रूप में पहचाना, जिसमें शारीरिक, मानसिक, मौखिक और यौन शोषण शामिल थे।
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'इग्नोर नो मोर' कैंपेन
2020 में उबर ने ग्लोबल ड्राइविंग चेंज कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए ब्रेकथ्रू के साथ मिलकर यह स्टडी किया गया था, जिसके बाद इसी के तहत ब्रेकथ्रू ने उबर के साथ मिल कर सार्वजनिक जगहों से लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने और बायस्टेंडर को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित करने के लिए एक कैंपेन शुरू किया था। इस कैंपेन का नाम था 'इग्नोर नो मोर'।
सर्वे के निष्कर्षों पर बात करते हुए ब्रेकथ्रू की अध्यक्ष और सीईओ सोहिनी भट्टाचार्य ने कहा ऐसे अभियानों को शुरू करने में ब्रेकथ्रू का उद्देश्य यह है कि लोग महिला हिंसा को निजी मामला न मानते हुए समुदाय का मुद्दा मानें और एक साझा जिम्मेदारी लें और सामुदायिक कार्रवाई करें।
मालूम हो कि लोग मदद सिर्फ इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि वे परवाह नहीं करते हैं। बल्कि हिंसा के लिए दोषी ठहराए जाने का डर, पुलिस और कानूनी प्रक्रियाओं में फंसना कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जो लोगों को दख़ल देने से रोकती हैं। ऐसी स्थितियों में क्या करना है, यह न जानना भी लोगों को हिंसा को रोकने में दख़ल देने से रोकती है।
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क्या आया इस सर्वे में सामने
- 54.6% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना को रोकने में हस्तक्षेप किया है।
- 55.3% उत्तरदाताओं ने हिंसा का सामना करने वाली महिला/लड़की की परेशानी को देखा।
- 67.7% उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके हस्तक्षेप से हिंसा रुक गई।
- 78.4% महिलाओं कहा कि उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा का अनुभव किया है
- 68% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक परिवहन लेते समय हिंसा का अनुभव किया है।
- 70% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे आदर्श रूप से हस्तक्षेप / बोलने से लिंग आधारित हिंसा के परिदृश्य में मदद करना चाहेंगे।
- 45.4% उत्तर दाताओं ने कहा कि उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना में हस्तक्षेप नहीं किया है।
- 31% ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित थे।
- 11.5% को लगता है कि उन्हें पुलिस / कानूनी मामलों में घसीटा जायेगा।