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बजट 2019 : निर्मला ने लगभग 2 घंटे पढ़ा बजट, दुकानदारों को तो कुछ समझ ही नही आया

प्रांतीय चिकित्सक एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. सचिन वैश्य का कहना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट से कुछ भी नहीं मिलना काफी निराशाजनक है। विश्व में जितने भी विकसित देश है, उनमे जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा वह अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करते है। आबादी के हिसाब से नंबर एक की ओर बढ़ रहे हमारे देश में स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकता की अनदेखी किया जाना निराश करता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट बढ़ाये जाने की आवश्यकता थी।

SK Gautam
Published on: 6 July 2019 8:39 AM IST
बजट 2019 : निर्मला ने लगभग 2 घंटे पढ़ा बजट, दुकानदारों को तो कुछ समझ ही नही आया
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नई दिल्ली : व्यवसायी नरेश अग्रवाल का कहना है कि मोदी-2 सरकार के बजट में स्पेशल कुछ भी नहीं है। उनका कहना है कि यह केवल एक औपचारिकता मात्र है। बजट में सरकार का उद्योगों या व्यवसाइयों के लिए कोई विजन नहीं दिख रहा है। कुल मिलाकर यह बजट देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है इससे पहले से सुस्त पड़े बाजार में और ज्यादा सुस्ती आ जायेगी।

स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकता की अनदेखी किया जाना निराश करता है : प्रांतीय चिकित्सक एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. सचिन वैश्य

प्रांतीय चिकित्सक एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. सचिन वैश्य का कहना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट से कुछ भी नहीं मिलना काफी निराशाजनक है। विश्व में जितने भी विकसित देश है, उनमे जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा वह अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करते है। आबादी के हिसाब से नंबर एक की ओर बढ़ रहे हमारे देश में स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकता की अनदेखी किया जाना निराश करता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट बढ़ाये जाने की आवश्यकता थी।

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सरकार केवल लाइन दे रही है। टैक्स में कोई राहत नहीं दी गयी है, जीएसटी में भी कुछ खास राहत नहीं है :वकील देवेंद्र प्रताप सिंह चैहान

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में वकील देवेंद्र प्रताप सिंह चैहान का कहना है कि सरकार केवल लाइन दे रही है। टैक्स में कोई राहत नहीं दी गयी है, जीएसटी में भी कुछ खास राहत नहीं है। अधिवक्ता समाज का एक सम्मानित वर्ग है, अधिवक्ताओं के लिए बजट में कुछ नहीं है।

पेट्रोल-डीजल दो-दो रुपये महंगा होने से देश में हर चीज महंगी हो जायेगी :सैयद अब्बास रिजवी

लखनऊ स्थित लखनऊ अर्बन काओपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक सैयद अब्बास रिजवी का कहना है कि पेट्रोल-डीजल दो-दो रुपये महंगा होने से देश में हर चीज महंगी हो जायेगी। इससे जहां घरेलू सामान महंगा हो जायेगा वही खेती किसानी पर भी असर पडेगा। मिडिल क्लास के लिए 45 लाख तक के आवास ऋण पर तीन लाख की छूट का कदम अच्छा है, आयकर में पांच लाख की छूट का फायदा नौकरीपेश लोगों को मिलेगा। सिगरेट महंगी कर दी यह भी अच्छा कदम है इससे युवा पीढी इस बुरे व्यसन से दूर होगी।

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मध्यम आय वर्ग वाले लोगों के टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गयी है :अरूण सिंह

निजी कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत अरूण सिंह कहते है कि बजट ने सभी उम्मीदों पर पानी फेरते हुये और मोदी सरकार के पारम्परिक रवैये को अपनाते हुये वित मंत्री ने इस बार के बजट से आम जनता को काफी निराश किया है। जैसा कि मोदी सरकार के पिछले वित मंत्री करते थे, उसी तरह के आकंडों के खेल मौजूदा वित मंत्री ने भी किया है। इस बजट ने सबसे ज्यादा निराश मध्यम आय वर्ग के लोगों को हुई है, क्योंकि मध्यम आय वर्ग वाले लोगों के टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गयी है।

होम लोन को आईटीएसी में 80 सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा को भी नहीं बढ़ाया गया। पहले से महंगाई की मार झेल रही जनता पर पेट्रोल-डीजल पर एक रुपये का अतिरिक्त बोझ एक तरह से ज्यादती है। सोने को और अधिक महंगा करके महिलाओं के साथ अन्याय किया गया है। बेरोजगारी खत्म करने की तरफ कोई प्रयास इस बजट से तो नहीं लग रहा है। कुल मिलाकर यह बजट आर्थिक त्रासदी, बेरोजगारी और मंदी झेल रही जनता पर एक और प्रहार है।

इलेक्ट्रिक वाहन के ऋण में ब्याज पर छूट दी गयी है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन अभी बाजार में आये नही है :बैंक अधिकारी विजय नारायन

बैंक अधिकारी विजय नारायन कहते है कि इस बजट में आम जनता के लिए कुछ नहीं है। बजट में इलेक्ट्रिक वाहन के ऋण में ब्याज पर छूट दी गयी है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन अभी बाजार में आये नही है। इसके साथ ही बजट में पेट्रोल-डीजल पर एक रुपये का सेस लगा देने से हर चीज महंगी हो जायेगी। 45 लाख रुपये तक के होम लोन के ब्याज पर बढ़ी छूट का फायदा जरूर मध्यम वर्ग को होगा लेकिन कुल मिला कर इस बजट में आम जनता के खुश होने के लिए ज्यादा कुछ नहीं हैं।

जीडीपी का अनुमान 8 प्रतिशत है जबकि आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में इसे 7 प्रतिशत बताया गया है :माइक्रो फाइनेंस कंपनी में वाइस प्रसीडेंट इमरान जमीर

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माइक्रो फाइनेंस कंपनी में वाइस प्रसीडेंट इमरान जमीर मोदी-2 सरकार के पहले बजट को औसत दर्जे का केंद्रीय बजट करार देते है। संभवतः सबसे लंबे बजट भाषण में भारतीय अर्थव्यवस्था को इसकी कमियों से बाहर निकालने के लिए कुछ भी नहीं था। प्रस्तुत बजट वास्तव में धारणाओं पर आधारित है। यह जीडीपी का अनुमान 8 प्रतिशत है जबकि आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में इसे 7 प्रतिशत बताया गया है। वास्तविकता यह है कि वित्त वर्ष 19 की अंतिम तिमाही में जीडीपी 6.8 प्रतिशत है।

वित मंत्री से यह अपेक्षा की गई थी कि वे बेरोजगारी, नए अवसरों, सार्वजनिक शिक्षा, उच्च शुल्क संरचना से संबंधित कुछ देंगी लेकिन बजट में ऐसा कही नहीं मिला। बजट में मध्यम वर्ग के लिए कोई कर कटौती नहीं है तो बजट भाषण में कृषि का कोई उल्लेख नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में स्थितियों में सुधार के बारे में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। रेलवे इन्फ्रा, बिजली सुधार, जलमार्ग पर बहुत सारे प्रस्ताव व वादे किये गये लेकिन कोई विशेष घोषणा नहीं की गई। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि से मुझे डर है कि मुझे राष्ट्र निर्माण के नाम पर अधिक कर चुकाने होंगे। अंत में मैं केंद्रीय बजट 2019 पेश करने के लिए भारत की पहली महिला वित्त मंत्री को बधाई देता हूं।



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SK Gautam

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