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CAA बवाल: कांग्रेस आज करेगी राजघाट पर प्रदर्शन तो तेजस्वी पर दर्ज होगा केस
हिंसक प्रदर्शन में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल हैं जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।इसी क्रम में शनिवार को बिहार बंद को लेकर सड़कों पर जगह-जगह उपद्रव देखने को मिला, जिस पर अब पटना पुलिस तेजस्वी यादव समेत पार्टी के बड़े नेताओं और उत्पात मचाने वालों पर केस दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
पटना: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश के कई राज्यों में लागातार हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं, हिंसक प्रदर्शन में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल हैं जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।इसी क्रम में शनिवार को बिहार बंद को लेकर सड़कों पर जगह-जगह उपद्रव देखने को मिला, जिस पर अब पटना पुलिस तेजस्वी यादव समेत पार्टी के बड़े नेताओं और उत्पात मचाने वालों पर केस दर्ज करने की तैयारी कर रही है।
दरअसल, बंद समर्थकों द्वारा की गई हिंसा और उत्पात पर पटना पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। इस पर संज्ञान लेते हुए शनिवार (21 दिसंबर) की देर रात पुलिस प्रशासन कागजी कार्रवाई में जुट गया है। इस दौरान स्थिति की समीक्षा और सीसीटीवी फुटेज जैसे साक्ष्य और मजिस्ट्रेट के बयान के आधार पर पटना पुलिस एक साथ कई केस दर्ज करने की तैयारी में जुटी है।
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जयपुर में शांति मार्च निकाला जाएगा
राजस्थान की राजधानी जयपुर में शांति मार्च निकाला जाएगा। इसकी अगुवाई सीएम अशोक गहलोत करेंगे। सीएम ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। सीएम ने लोगों से हिंसा और अफवाहों से बचने की नसीहत दी, वहीं हिंसा करने वालों को चेताया भी। उन्होंने कहा कि शांति मार्च के जरिए जयपुर से पूरे प्रदेश को शांति का संदेश जाना चाहिए। वहीं, जयपुर में सुरक्षा के लिहाज से इंटरनेट को बंद कर दिया गया है। और मैट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया है।
कांग्रेस आज करेगी राजघाट पर प्रदर्शन
CAA और NRC के खिलाफ कांग्रेस आज राजघाट पर धरना प्रदर्शन करेगी। सूत्रों के अनुसार इस धरने में अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के भाग लेने की संभावना है।
CAA के समर्थन में उतरीं 1100 हस्तियां
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजनीतिक दलों के विरोध और आम लोगों के प्रदर्शन के बीच बुद्धिजीवियों का एक धड़ा इसके समर्थन में उतर आया है। 1100 शिक्षाविदों, रिसर्च स्कॉलर्स, वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों ने सीएए के समर्थन में एक बयान जारी किया है।
चंद्रशेखर की याचिका खारिज
कोर्ट ने खारिज की भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की याचिका खारिज कर दिया है, और 14 दिन की हिरासत में भेज दिया है।
मीडियाकर्मियों को बनाया गया निशाना
पटना के कोतवाली थाना में मजिस्ट्रेट के बयान के अलावा पुलिस दो मीडियाकर्मियों द्वारा भी केस दर्ज करवाने का इंतज़ार किया जा रहा है। पटना पुलिस की मानें तो एक नेशनल चैनल के संवाददाता ने रविवार तक का समय लिया है, जबकि एक समाचारपत्र के फोटोग्राफर के गंभीर रूप से घायल होने की वजह से भी पुलिस रविवार तक का इंतज़ार करेगी।
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वीडियो फुटेज से पहचानप्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, प्रबंधित क्षेत्र में गैरकानून तरीके से मजमा लगाने के अलावा अराजकता फैलाने के आरोप तय किए हैं। उधर, वीडियो फुटेज के जरिए उपद्रवियों की पहचान कर ली गई है।
वक्फ बोर्ड मृतकों को देगा 5-5 लाख रुपए की सहायता
इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने बड़ी घोषणा की है। आम आदमी पार्टी के विधायक और बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्ला का कहना है कि हर एक मृतक के परिवार को वक्फ बोर्ड की ओर से 5-5 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। यह सहायता देश भर में मारे गए सभी धर्मों के मृतकों को दी जाएगी।
वक्फ बोर्ड ने जारी की है 20 मृतकों की सूची
दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्ला ने देशभर में हो रहे सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन में मारे गए 20 लोगों की एक सूची जारी की है. सूची पर गौर करें तो इसमें सबसे ज्यादा 13 लोग यूपी में मारे गए हैं। इसके बाद असम में 5 और कर्नाटक में 2 लोग मारे गए हैं।
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क्यों हो रहा है इस कानून का विरोध
संशोधित नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण देश में शरण लेने आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के उन लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर लिया था। ऐसे सभी लोग भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। वहीं इस कानून के विरोधियों का कहना है कि इसमें सिर्फ गैर मुस्लिमों को ही नागरिकता देने की बात कही गई है, इसलिए यह कानून धार्मिक भेदभाव वाला है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
12 दिसंबर को लागू हो गया कानून
बता दें कि नॉर्थ-ईस्ट खासकर असम में नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों, आगजनी, कर्फ्यू लगने, इंटरनेट बंद होने के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस बिल पर 12 दिसंबर 2019 को हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद नागरिकता कानून, 1955 में संबंधित संशोधन देश भर में लागू हो गया। सरकार की अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद देश भर में यह कानून लागू हो गया है।