असम पर सरकार का प्लान: पस्त हो जाएंगे विरोधी, लागू होगा ये कानून

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट पर सभी की नजर है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक सीएए पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन सीएए का विरोध करने वाले सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई पूरी होने तक इसके लागू करने पर रोक लगाने की मांग सकते हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 20 Jan 2020 4:24 AM GMT
असम पर सरकार का प्लान: पस्त हो जाएंगे विरोधी, लागू होगा ये कानून
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है। जहां एक तरफ गैर-भाजपा शासित राज्य इसका विरोध कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ 10 जनवरी को सीएए की अधिसूचना जारी करने के बाद सरकार अब इसे लागू किये जाने के नियमों व कायदों को अंतिम रूप देने में जुटी है।

लेकिन आपको बता दें कि असम के लिए इस कानून के नियम-कायदे बाकि देश से अलग हो सकते हैं। माना जा रहा है कि इन नियमों और कायदों को फरवरी के पहले हफ्ते में अधिसूचित किया सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट 22 जनवरी को इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा।

असम के लिए अलग नियम-कायदे बनाने का सुझाव

सूत्रों की मानें तो असम सरकार की ओर से सीएए के लिए विशेष नियम-कायदे बनाने का सुझाव आया है। जिसमें इसे तीन महीने की अवधि में पूरा करना और असम में चले एनआरसी से जोड़ना शामिल है। सीएए में असम के लिए विशेष प्रावधान करने के राज्य सरकार के अनुरोध पर विचार किया जा रहा है।

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ऑनलाइन आवेदन करने का होगा प्रावधान

वैसे तो राज्य सरकारें सीएए को लागू करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं, लेकिन गृह मंत्रालय का मानना है कि इसके बावजूद इसे लागू करने में अड़चन डालने की कोशिश हो सकती है। इसे देखते हुए नागरिकता के लिए आवेदन को ऑनलाइन किया जाना तय माना जा रहा है। ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए छह धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सीएए के तहत आवेदन करने में कोई दिक्कत न हो।

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एक बार आवेदन हो जाने के बाद उनके सत्यापन की जरूरत पड़ेगी, जो सामान्य रूप से जिलाधिकारी के माध्यम से होता रहा है। चूंकि जिलाधिकारी राज्य सरकार के मातहत काम करता है, इसीलिए सीएए के नियम-कायदे में वैकल्पिक व्यवस्था का भी उल्लेख हो सकता है।

कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट पर सभी की नजर है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक सीएए पर कोई रोक नहीं लगाई है, लेकिन सीएए का विरोध करने वाले सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई पूरी होने तक इसके लागू करने पर रोक लगाने की मांग सकते हैं।

Shivakant Shukla

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