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कोरोना वैक्सीन पर बड़ी खुशखबरी: उल्टी गिनती शुरू, लोगों को जल्द मिलेगी दवा
दुनिया में कोरोना वायरस महामारी के मामलों में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अमेरिका और यूरोप के देशों में रोजाना हजारों केस मिलने लगे हैं। ऐसे में हर किसी को कोरोना से बचाने वाली वैक्सीन का इंतज़ार है।
लखनऊ: दुनिया में कोरोना वायरस महामारी के मामलों में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अमेरिका और यूरोप के देशों में रोजाना हजारों केस मिलने लगे हैं। ऐसे में हर किसी को कोरोना से बचाने वाली वैक्सीन का इंतज़ार है। अच्छी बात ये है कि वैक्सीन की दिशा में इधर तेजी से प्रगति हुई है और अब आशा की किरण दिखाई देने लगी है कि बहुत जल्द वैक्सीन बाजार में आ जायेगी। अलग-अलग देशों में 52 वैक्सीन का इंसानों पर परीक्षण किया जा रहा है। उनमें से 11 वैक्सीन का परीक्षण अंतिम चरण में है। फिलहाल, ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दावेदारी के मामले में आगे चल रही है।
2021 की शुरुआत में मिल सकता है टीका
भारत समेत दुनिया के कई देशों ने वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन और लगाने की तैयारियां तेज कर दी हैं। भारत में फरवरी 2021 तक वैक्सीन उपलब्ध होने की बात कही जा रही है। ऐसे में वैक्सीन को जुलाई 2021 तक 25-30 करोड़ भारतीयों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके लिए पहले से मौजूद टीकाकरण तंत्र को दुरुस्त किया जा रहा है।
फाइजर की वैक्सीन
अमेरिका की दवा कम्पनी फाइजर और जर्मनी की बायोएनटेक कम्पनी की कोरोना वैक्सीन एमआरएनए पर आधारित है। इसका फेज-3 का ट्रायल यूरोप और उत्तरी अमेरिका के विभिन्न शहरों में हो चुका है। कंपनी ने दावा किया है कि वह क्रिसमस से पहले अपनी वैक्सीन ब्रिटेन के बाजार में उतार देगी। इसकी वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाव पर 90 फीसदी सफल है।
मॉडर्ना
अमेरिका की मॉडर्ना कम्पनी की वैक्सीन भी एमआरएनए टेक्निक पर आधारित है। इस वैक्सीन का फेज-3 का ट्रायल कैसर पर्मानेंटे वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुआ है। मॉडर्ना का दावा है कि उसकी वैक्सीन कोरोना वायरस पर 94.5 फीसदी प्रभावी है। अगर इसे नियामक से अनुमति मिलती है तो ये कंपनी अपनी वैक्सीन साल के अंत तक अमेरिका समेत दुनिया के कई बाजारों में उतार देगी।
कैनसीनो
ये चीन में डेवलप की जा रही है। चीन में जहां से कोरोना वायरस फैला उसी शहर यानी वुहान में इस वैक्सीन का फेज-3 ट्रायल पूरा किया जा चुका है। यह वैक्सीन रीकॉम्बीनेंट हैं यानी एडिनोवायरस टाइप-5 वेक्टर आधारित इलाज प्रक्रिया पर काम करता है। इस दवा के फेज-3 के ट्रायल में पाकिस्तान, सऊदी अरब और मेक्सिको के 40 हजार लोगों ने भाग लिया है। चीन की मिलिट्री ने इस वैक्सीन को एक साल तक उपयोग के लिए अनुमति दे दी है।
ऑक्सफोर्ड आस्ट्रा जेनेका
यूनाइटेड किंगडम की इस वैक्सीन से दुनिया को सबसे ज्यादा उम्मीद है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने इसे डेवलप किया है। इसका भी फेज-3 का ट्रायल पूरा हो चुका है। इंसानी परीक्षण के लिए अमेरिका और भारत को चुना गया था। इस वैक्सीन को भारत में कोविशिल्ड के नाम से बेचा जाएगा। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस वैक्सीन की 3 करोड़ डोज़ बना भी ली हैं और एक खुराक की कीमत 250 रुपये हो सकती है। सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ आदर पूनावाला ने कहा है कि इस साल दिसंबर महीने तक कोरोना वैक्सीन तैयार किए जाने की संभावना है और ये बाजार में जनवरी तक आ सकती है। हालांकि वैक्सीन का तैयार होना काफी हद तक ब्रिटेन की टेस्टिंग और डीसीजीआई के अप्रूवल पर निर्भर करेगा। अगर ब्रिटेन डेटा साझा करता है तो इमर्जेंसी ट्रायल के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय में आवेदन किया जाएगा। मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही टेस्ट भारत में भी किये जा सकते हैं।
कोरोनावैक
चीन की दवा कंपनी साइनोवैक फार्मास्यूटिकल ने ये वैक्सीन बनाई है। यह इनएक्टीवेटेड वैक्सीन (फॉर्मेलीन और एलम एडजुवेंट) आधारित पद्धत्ति पर बनाई गई है। इसके फेज-3 का ट्रायल साइनोवैक रिसर्च एंड डेवलपमेंट करवा रहा है। कंपनी का दावा है कि उनकी वैक्सीन सेफ है। ब्राजील में एक मरीज की मौत के बाद ट्रायल रोक दिया गया था लेकिन अब ये फिर से शुरू हो चुका है।
कोवैक्सीन
हैदराबाद स्थित दवा कंपनी भारत बायोटेक इस वैक्सीन को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर बना रही है। इसका भी फेज-3 ट्रायल चल रहा है। आईसीएमआर के महानिदेशक 27 अक्टूबर को कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल की अनुमति दी थी। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वैक्सीन को अगले साल फरवरी में बाजार में लाया जाएगा।
जॉनसन एन्ड जॉनसन
अकेरिकी कम्पनी की ये वैक्सीन नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर इलाज पद्धति पर आधारित है। ये वैक्सीन अपनी तीसरे फेज के ट्रायल के अंतिम चरण में है। इसे ऑपरेशन वार्प स्पीड के तहत बनाया जा रहा है। अमेरिका और ब्राजील में इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है।
नोवावैक्स
ये वैक्सीन भी अमेरिका में बन रही है। कोरोना को हराने के लिए यह दुनिया की पहली नैनोपार्टिकल आधारित वैक्सीन है। नोवावैक्स को अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से फास्ट ट्रैक डेसिगनेशन के तहत काम पूरा करने की अनुमति मिली है। इसके फेज-3 का ट्रायल फिलहाल ब्रिटेन में चल रहा है। अमेरिका में इसका ट्रायल नवंबर महीने के अंत में शुरू होगा। माना जा रहा है कि ये भी एक प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन बनकर सामने आएगी।
स्पुतनिक-5
स्पुतनिक-5 को रूस की गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट और आसेललेना कॉन्ट्रैक्ट ड्रग रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने मिलकर बनाया है। रूस की सरकार और दवा कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन 92 फीसदी सफल है। रूस में लोगों को ये वैक्सीन दी भी जा रही है। यहां तक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके परिवार ने भी इस वैक्सीन की डोज ली थी। अभी स्पुतनिक-5 के तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण बेलारूस, यूएई, वेनेजुएला और अन्य देशों के साथ-साथ भारत में भी चल रहा है।
साइनोफार्म
चीन की दवा कंपनी चाइना नेशनल फार्मास्यूटिकल ग्रुप और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स की वैक्सीन का भी फेज-3 ट्रायल चल रहा है। इसका ट्रायल हेनान प्रोविंशियल सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन में किया जा रहा है। इसके अलावा इसका ट्रायल यूएई, मोरक्को और पेरू में चल रहा है।
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भारत के लिए चुनौती
अमेरिकी कंपनी फाइज़र की कोरोना वैक्सीन को लेकर कुछ चुनौतियाँ भी हैं। इस वैक्सीन को माइनस 80 डिग्री पर रखना होगा और इस तापमान की कोल्ड चेन बनाये रखना भारत जैसे देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। करोड़ों डोज को इतने कम तापमान में स्टोर करने के लिए फ्रीजर कपैसिटी बढ़ानी होगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसके लिए दुनिया के किसी भी देश के पास तैयारी नहीं है। एक्पर्ट्स का कहना है कि इस तरह के कोरोना वैक्सीन महंगे होंगे और उनकी स्टोरेज और डिलिवरी की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती होगी। वैसे, भारत में कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज की व्यापक तैयारियां हो रही हैं। केंद्र सरकार के निर्देश पर सभी राज्य उचित संख्या में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था कर रहे हैं। इसमें केद्र सरकार भी राज्यों की मदद कर रही है।
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नाक में स्प्रे वाली वैक्सीन
दुनिया को कोरोना के चंगुल में धकेलने वाला चीन अब इस बीमारी की नयी वैक्सीन ले कर आया है। बीजिंग वान्ताई बायोलॉजिकल फार्मेसी एंटरप्राइज इस महीने कोरोना वायरस की नेजल स्प्रे का ट्रायल शुरू करेगा। इस स्प्रे से श्वास नाली में कोरोना एके प्रति इम्यूनिटी उत्पन्न होती है। ये ट्रायल 720 लोगों पर किया जाएगा।
नीलमणि लाल
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