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Cash for Query Case: दुर्गा, द्रौपदी, शूर्पणखा...अब महुआ मोइत्रा के Cash for Query की लड़ाई रामायण-महाभारत पर पहुंच आई!

Cash for Query Case: अब टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी मामले में सियासी घमासान शुरू हो गया है। एथिक्स कमेटी द्वारा लोकसभा में रिपोर्ट पेश करते ही विपक्षी सांसदों ने इस पर जमकर हंगामा किया। रिपोर्ट में कमेटी ने महुआ के खिलाफ आरोपों को गंभीर बताया है और उनकी संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 8 Dec 2023 2:06 PM IST
Mahua Moitra
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Mahua Moitra (photo: social media )

Cash for Query Case: महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। अब कैश-फॉर-क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने शुक्रवार को महुआ के खिलाफ संसद में रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोप गंभीर हैं। कमेटी ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। साथ ही इस मामले में भारत सरकार से गहन कानूनी जांच की भी सिफारिश की है।

महुआ मोइत्रा पर क्या कार्रवाई होगी ये तो समय ही बताएगा। लेकिन इससे पहले ये मामला सियासी तौर पर रामायण से महाभारत की जंग तक पहुंच गया है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार सुबह संसद पहुंचने पर खुद को ‘दुर्गा‘ बताया। उन्होंने कहा कि आप ‘महाभारत का रण‘ देखेंगे। यहीं नहीं इससे पहले जब महुआ एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुई थीं तब उन्होंने उनसे पूछे गए सवालों की तुलना ‘वस्त्रहरण‘ से की थी।

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वस्त्रहरण से शुरू हुआ था अब द्रौपदी- शूर्पणखा तक पहुंचा

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को कहा, ‘‘मां दुर्गा आ गई हैं, अब देखेंगे...जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। उन्होंने ‘वस्त्रहरण‘ शुरू किया अब आप ‘महाभारत का रण‘ देखेंगे।‘‘ वहीं महुआ के इस बयान पर बीजेपी ने भी पलटवार किया। बीजेपी ने इस जंग को द्रोपदी से शूर्पणखा तक ला दिया।

वहीं बीजेपी बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘‘चीरहरण द्रौपदी का हुआ था, शूर्पणखा का नहीं। इस मामले में महाभारत नहीं होगा। महाभारत के कृष्ण और अर्जुन तो इधर हैं, पीएम मोदी और अमित शाह... महाभारत धर्म की रक्षा के लिए हुआ था। महुआ ने अधर्म किया है। महाभारत में भी अधर्म की हार हुई थी और धर्म की जीत हुई थी। इस बार भी धर्म की जीत होगी।‘‘


महुआ को विपक्ष का समर्थन

कैश-फॉर-क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा को विपक्षी सांसदों का समर्थन मिला है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ संसद में रिपोर्ट पेश होते ही विपक्षी सांसदों ने इस पर जमकर हंगामा किया और नारेबाजी की। इसके बाद लोकसभा की कार्रवाई स्थगित कर दी गई। टीएमसी के अलावा, कांग्रेस, शिवसेना, आरएसपी के सांसदों ने महुआ के खिलाफ एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है जिसमें कहा कि अभी रिपोर्ट पेश करना और प्रस्ताव लाना ठीक नहीं है, सासंदों को रिपोर्ट पढ़ने का समय देना चाहिए और रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, यह सरकार की ओर से एक दुस्साहस है, अगर वे इस दुस्साहस में शामिल होते हैं, तो मैं केवल इतना कह सकता हूं कि वे 2024 में फिर से चुनाव में महुआ में 50,000 अतिरिक्त वोट जोड़ने जा रहे हैं... मुझे नहीं लगता कि यह एक निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रक्रिया रही है। हम चाहते हैं कि वह संसद में बनी रहें। अपने खिलाफ आवाजों को दबाने की यह भाजपा की एक सामान्य शैली है, यह एक और प्रयास है। बेशक, हम हैं इसका विरोध कर रहे हैं।

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वहीं, शशि थरूर ने कहा, अविश्वसनीय रूप से अपर्याप्त रिपोर्ट है। इसमें कोई उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। आरोप लगाने वालों से चर्चा करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। साथ ही सदस्यता रद्द करने की सजा, बिना गंभीरता से विचार किए इस निष्कर्ष पर पहुंचना वास्तव में अपमानजनक है। विपक्ष, भारत गठबंधन के सभी दल पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि यह न्याय का मखौल है, यह भविष्य के लिए एक बहुत ही अवांछनीय मिसाल कायम करेगा।


क्या है कैश-फॉर-क्वेरी केस?

बता दें कि इस पूरे मामले की शुरुआत भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों से शुरू हुई। निशिकांत दुबे ने पिछले दिनों टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रियल स्टेट कारोबारी हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। निशिकांत दुबे ने ये आरोप महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत देहाद्रई की शिकायत के आधार पर लगाए थे। निशिकांत की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कमेटी का गठन किया था। निशिकांत दुबे ने बिरला को लिखे लेटर में गंभीर ‘विशेषाधिकार के उल्लंघन‘ और ‘सदन की अवमानना‘ का मामला बताया था। कमेटी ने महुआ मोइत्रा, निशिकांत दुबे समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए थे। विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में ‘कैश-फॉर-क्वेरी‘ के आरोप पर महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पहले पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।

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वहीं विपक्षी दलों से संबंधित पैनल के 4 सदस्यों ने असहमति नोट पेश किए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच‘ करार दिया था।

अब ऐथिक्स कमेटी की रिपोर्ट लोकसभा में पेश कर दी गई है। महुआ की संसद की सदस्यता जाना तय माना जा रहा है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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