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उत्तराखंड आपदा की वजह अभी तक पता नहीं, वैज्ञानिक इसलिए हुए हैरान

जिस तरह से अचानक पहाड़ों से पानी आया था उससे यही अंदाज लगाया जा रहा है कि ये ग्लेशियर की झील फटने से आयी बाढ़ थी। इसे तकनीकी भाषा में ‘ग्लोफ़’ यानी ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड कहा जाता है।

Shreya
Published on: 8 Feb 2021 8:55 AM GMT
उत्तराखंड आपदा की वजह अभी तक पता नहीं, वैज्ञानिक इसलिए हुए हैरान
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उत्तराखंड आपदा की वजह अभी तक पता नहीं, वैज्ञानिक इसलिए हुए हैरान

नीलमणि लाल

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में कल आयी अचानक बाढ़ की वजह क्या थी, ये अभी तक साफ़ पता नहीं चल पाया है। इसकी वजहों में ग्लेशियर झील का टूटना, बादल फटना या हिमस्खलन– कुछ भी हो सकता है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन और विकास कार्य भी इस आपदा का कारण हो सकते हैं। सर्दी के इस मौसम में इस तरह की घटना शायद ही कभी हुई होगी इसलिए वैज्ञानिक हैरान हैं।

चमोली के पहाड़ियों का दौरा करने पहुंचे वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों का एक दल चमोली के पहाड़ियों का दौरा करने आज गया है। ये दल उन जगहों पर जाएगा जहां से पानी अचानक आया था। घटना से दो दिन पहले उसी इलाके में हिमस्खलन हुआ था, इसलिए उसकी वजह से झील फटी हो इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। कुछ जानकारों का कहना है कि इस इलाके में किसी बड़ी ग्लेशियल झील के होने की किसी को जानकारी नहीं थी। संभव है कि कोई छोटी झील रही हो और उसमें किसी वजह से अचानक पानी बढ़ गया हो।

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अभी तो झील टूटने का ही अंदेशा

जिस तरह से अचानक पहाड़ों से पानी आया था उससे यही अंदाज लगाया जा रहा है कि ये ग्लेशियर की झील फटने से आयी बाढ़ थी। इसे तकनीकी भाषा में ‘ग्लोफ़’ यानी ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड कहा जाता है। पहाड़ों की बर्फीली ऊँचाइयों पर जब कोई झील का तटबंध टूटता है तो अचानक भरी मात्रा में पानी नीचे की ओर बह जाता है जिससे बाढ़ आ जाती है। 2013 के हादसे में भी ऐसा ही हुआ था।

Glacier (फोटो- सोशल मीडिया)

क्या होता है ग्लेशियर?

ग्लेशियर बर्फ के बड़े बड़े टुकड़े होते हैं जो अक्सर नदियों के उद्गम पर स्थान होते हैं। इन्हें हिमनदी या बर्फ की नदी भी कहा जाता है, लेकिन ये बनते हैं जमीन पर। इनका आकार बदलता रहता है और इनकी बर्फ भी पिघलती रहती है। ग्लेशियर बनते समय जमीन को काट कर उसमें गड्ढे बन जाते हैं और पिघलती हुई बर्फ जब इन गड्ढों में गिरती है तो उससे ग्लेशियल झीलें बनती हैं।

इनमें अक्सर काफी पानी होता है और किसी वजह से जब ये झीलें फटती हैं तो इनमें जमा पानी पहाड़ों के मलबे के साथ नीचे की तरफ गिरता है। इस समय जानकार यही अनुमान लगा रहे है कि इसी तरह की किसी झील के फटने से पानी और मलबा अलकनंदा नदी में गिर गया जिसकी वजह से अचानक नदी में बाढ़ आ गई।

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करोड़ों क्यूबिक मीटर होता है पानी

इस तरह की झीलें अलग अलग आकार की होती हैं। बड़ी झीलों में करोड़ों क्यूबिक मीटर तक पानी हो सकता है। उदाहरण के तौर पर एक अनुमान के मुताबिक नेपाल की शो रोल्पा ग्लेशियर झील में करीब 10 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी है जो करीब 150 मीटर ऊंचे प्राकृतिक बांध से घिरा हुआ है। इस तरह के बांध जब टूट जाते हैं तब झीलें फट जाती हैं और उनका पानी ढेर सारा मलबा लिए नीचे गिरने लगता है। झील फटने के कई कारण होते हैं।

कई बार धीरे धीरे झीलों में बहुत ज्यादा पानी भर जाता है और उस पानी के अपने दबाव से ही बांध टूट जाता है। कई बार हिमस्खलन और बर्फ के नीच भूकंप या ज्वालामुखी के फटने की वजह से भी झीलें फट जाती हैं।

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