सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, हर थाने के कोने-कोने में लगेगा सीसीटीवी

सीसीटीवी कैमरों को ऐसे रिकॉर्डिंग सिस्टम के साथ इंस्टॉल किया जाना चाहिए, ताकि जो डेटा स्टोर किया गया है। वह 18 महीने की अवधि के लिए संरक्षित रहे। यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसकी समीक्षा सभी राज्यों द्वारा की जाएगी, ताकि उपकरणों की खरीद की जा सके, जो कि बाजार में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होते हैं

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Published on: 3 Dec 2020 10:56 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, हर थाने के कोने-कोने में लगेगा सीसीटीवी
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सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, हर थाने के कोने-कोने में लगेगा सीसीटीवी

रिपोर्ट,

नीलमणि लाल

लखनऊ: सु्प्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश अपने सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना सुनिश्चित करें। इनकी रिकॉर्डिंग को कम से कम एक साल तक के लिए सुरक्षित रखना होगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत के निर्देशों को अक्षरश: जल्द से जल्द लागू किया जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सीबीआई, एनआईए, ईडी आदि केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में भी सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे।

जनहित याचिका पर आया आदेश

सर्वोच्च अदालत ने ये निर्देश परमवीर सिंह सैनी द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा करते हुए जारी किए। याचिका में बयानों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के बारे में मुद्दे उठाए गए थे।

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शीर्ष न्यायालय की पीठ ने निर्देश जारी

शीर्ष न्यायालय की पीठ ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि चूंकि ये निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत भारत के प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों को आगे बढ़ाते हैं और चूंकि हमारे दिनांक 3 अप्रैल 2018 के पिछले आदेश के बाद ढ़ाई साल से अधिक समय तक इस संबंध में कुछ भी पर्याप्त नहीं किया गया है। इसलिए कार्यकारी/ प्रशासनिक/ पुलिस अधिकारियों को इस आदेश को ‘लेटर और आत्मा’ दोनों में जल्द से जल्द लागू करना है। अदालत ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन के लिए सटीक समय सीमा के साथ कार्य योजना पर प्रत्येक न्यायालय/केंद्र शासित प्रदेश के प्रमुख सचिव / कैबिनेट सचिव/गृह सचिव द्वारा शपथ पत्र दाखिल किया जाएगा। यह आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाना है।

कोर्ट के आदेश

यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी पुलिस स्टेशन का कोई हिस्सा खुला न बचे, यह तय करना अनिवार्य है कि सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगे हों।थाने का मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप, सभी गलियारे, लॉबी और रिसेप्शन क्षेत्र, सभी बरामदे और आउटहाउस, इंस्पेक्टर का कमरा, सब-इंस्पेक्टर का कमरा, लॉक-अप रूम के बाहर के क्षेत्र, स्टेशन हॉल, पुलिस स्टेशन परिसर के सामने, टॉयलेट-वाशरूम के बाहर, ड्यूटी ऑफिसर का कमरा, थाने का पिछला हिस्सा आदि में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे।

सीसीटीवी सिस्टम लगाने के आदेश

जिन सीसीटीवी सिस्टम को स्थापित किया जाना है, उन्हें नाइट विजन से लैस किया जाना चाहिए और इसमें आवश्यक रूप से ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी होना चाहिए। जिन क्षेत्रों में या तो बिजली/इंटरनेट नहीं है, यह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का कर्तव्य होगा कि वे सौर, पवन ऊर्जा सहित बिजली प्रदान करने के किसी भी तरीके का उपयोग शीघ्रता से करें।प्रदान की जाने वाली इंटरनेट प्रणालियाँ भी ऐसी प्रणालियाँ होनी चाहिए जो स्पष्ट इमेज रिज़ोल्यूशन और ऑडियो प्रदान करती हों। सीसीटीवी कैमरा फुटेज का स्टोरेज डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर/नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर में किया जा सकता है।

18 महीने की अवधि तक संरक्षित रहें डेटा

सीसीटीवी कैमरों को ऐसे रिकॉर्डिंग सिस्टम के साथ इंस्टॉल किया जाना चाहिए, ताकि जो डेटा स्टोर किया गया है। वह 18 महीने की अवधि के लिए संरक्षित रहे। यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसकी समीक्षा सभी राज्यों द्वारा की जाएगी, ताकि उपकरणों की खरीद की जा सके, जो कि बाजार में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होते हैं, जो 18 महीने के लिए डेटा को स्टोर करने में सक्षम है।

cctv

सीसीटीवी की जिम्मेदारी होगी थाने के एसएचओ

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार द्वारा दायर किए जाने वाले अनुपालन का हलफनामा स्पष्ट रूप से इंगित करेगा कि तारीख के अनुसार उपलब्ध सर्वोत्तम उपकरण खरीदे गए हैं। सीसीटीवी के कार्य, रखरखाव और रिकॉर्डिंग के लिए कर्तव्य और जिम्मेदारी संबंधित थाने के एसएचओ की होगी। एसएचओ का यह कर्तव्य और दायित्व होगा कि वह डीएलओसी को उपकरण या सीसीटीवी की खराबी के बारे में तुरंत रिपोर्ट करें। यदि सीसीटीवी किसी विशेष पुलिस स्टेशन में काम नहीं कर रहे हैं, तो संबंधित एसएचओ उक्त अवधि के दौरान उस पुलिस स्टेशन में की गई गिरफ्तारी / पूछताछ के डीएलओ को सूचित करेगा और उक्त रिकॉर्ड को डीएलओसी को अग्रेषित करेगा। एसएचओ को सीसीटीवी डेटा रखरखाव, डेटा बैकअप, गलती सुधार आदि के लिए भी जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।

सीसीटीवी और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने के आदेश

केंद्रीय एजेंसियों के कार्यालयों में भी सी.सी.टी.वी., न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह अपने कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाए। केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो, राजस्व खुफिया विभाग, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय या कोई अन्य एजेंसी जो पूछताछ करती है और गिरफ्तारी की शक्ति रखती है। इन एजेंसियों में से अधिकांश अपने कार्यालय (कार्यालयों) में पूछताछ करते हैं, सीसीटीवी अनिवार्य रूप से सभी कार्यालयों में स्थापित किए जाएंगे, जहां इस तरह के पूछताछ और आरोपियों की पकड़ उसी तरह से होती है, जैसे कि एक पुलिस स्टेशन में होती है।

राज्य और जिलास्तरों पर निगरानी समितियों का गठन

राज्य और जिला स्तरों पर निगरानी समितियों का गठन किया जाना चाहिए। राज्य स्तर की निगरानी समिति में निम्नलिखित शामिल होने चाहिए। सचिव/अतिरिक्त सचिव, गृह विभाग, सचिव/अतिरिक्त सचिव, वित्त विभाग, पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष/सदस्य। जिले के जिला मजिस्ट्रेट, उस जिले के एक पुलिस अधीक्षक और जिले के भीतर एक नगर पालिका के महापौर/ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत के एक प्रमुख समिति में रहेंगे। मानव अधिकार आयोग/न्यायालय सीसीटीवी फुटेज के लिए समन कर सकते हैं।

शिकायतों के निवारण होगा मानव अधिकार न्यायालय में

अदालत ने कहा है कि जब भी पुलिस थानों में बल प्रयोग की सूचना मिलती है, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर चोट/हिरासत में मौतें होती हैं, तो यह आवश्यक है कि व्यक्ति उसकी शिकायत करने के लिए स्वतंत्र हों। ऐसी शिकायतें केवल राज्य मानवाधिकार आयोग को ही नहीं दी जा सकती हैं, जो कि तब अपनी शक्तियों का उपयोग करता है। बल्कि विशेष रूप से मानव अधिकारों के संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 17 और 18 के तहत ऐसी शिकायतों के निवारण के लिए मानव अधिकार न्यायालयों द्वारा किया जा सकता है। इस अधिनियम की धारा 30 के तहत प्रत्येक राज्य / केंद्र शासित प्रदेश के प्रत्येक जिले में मानव अधिकार न्यायालय स्थापित किए जाने चाहिए।

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सीसीटीवी कैमरे से प्रताड़ना पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में प्रताड़ना से जुड़े एक मामले के निपटारे के दौरान इस साल जुलाई में 2017 के एक केस पर ध्यान दिया था, जिसमें उसने सभी पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। जिससे मानवाधिकारों के हनन की जांच की जा सके। साथ ही घटनास्थल की वीडियोग्राफी कराई जा सके। इसी के साथ कोर्ट ने हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को इसके लिए एक समिति बनाने को भी कहा था। कोर्ट ने राज्यों को छह सप्ताह के भीतर कैमरे लगाने का समय देते हुए, एक्शन टेकन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि व्यक्ति का अधिकार है कि उसके मानवाधिकारों की रक्षा हो।

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