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Delhi News: ट्रांसफर-पोस्टिंग केस को लेकर SC में केंद्र की याचिका दाखिल..11 मई के फैसले पर पुनर्विचार की मांग

Transfer-Posting in Delhi: शुक्रवार को केंद्र सरकार के अधिकारों को लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया। अध्यादेश के अनुसार, दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल ही करेंगे।

Krishna Chaudhary
Published on: 20 May 2023 1:48 PM IST (Updated on: 20 May 2023 5:20 PM IST)
Delhi News: ट्रांसफर-पोस्टिंग केस को लेकर SC में केंद्र की याचिका दाखिल..11 मई के फैसले पर पुनर्विचार की मांग
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Transfer-Posting in Delh (photo: social media )

Transfer-Posting in Delhi: दिल्ली सरकार का असली बॉस कौन होगा, इसको लड़ाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले आने के बाद भी जारी है। साल 2015 से जारी इस जंग का उस वक्त पटाक्षेप होता नजर आया, जब शीर्ष अदालत ने एक निर्णायक फैसला सुनाते हुए दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल से छिनकर मुख्यमंत्री को दे दिया। लेकिन केंद्र सरकार ने अपने ताजा कदम से स्पष्ट कर दिया है कि वो पीछे नहीं हटने वाले।

दरअसल, शुक्रवार को केंद्र सरकार के अधिकारों को लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया। अध्यादेश के अनुसार, दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल ही करेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री का इसमें कोई दखल नहीं होगा। इतना ही नहीं छह महीने के अंदर संसद से इससे जुड़ा कानून भी पारित कराया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के बाद दिल्ली की सियासत एकबार फिर गरमा गई।

पिछले दरवाजे से एलजी की एंट्री

शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई गई है। इसमें दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, मुख्य सचिव और गृह सचिव समेत तीन सदस्य होंगे। यह कमेटी बहुमत का आधार पर फैसला करेगी। अकेले मुख्यमंत्री के पास फैसले लेने का अधिकार होगा। अगर किसी फैसले को लेकर कमेटी में विवाद होता है, तब आखिरी फैसला उपराज्यपाल का मान्य होगा। अध्यादेश से साफ है कि केंद्र सरकार ने पिछले दरवाजे से एकबार दिल्ली के एलजी के हाथों में वो शक्तियां दे दी है, जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद छिनती नजर आ रही थी।

दिल्ली का चढ़ा सियासी पारा

केंद्र के इस कदम ने दिल्ली की सियासत का पारा चढ़ा दिया है। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी केंद्र के फैसले के खिलाफ हमलावर है। शुक्रवार को अध्यादेश आने की खबर सामने के साथ ही आप के नेता और मंत्रियों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आने लगी। केजरीवाल सरकार के मंत्रियों गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, आतिशी मार्लेना और कैलाश गहलोत एलजी आवास के बाहर धरने पर बैठ गए। आम आदमी पार्टी की ओर से जारी बयान में इस केंद्र के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट का अवमानना करार दिया गया है।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकबार फिर साबित किया है कि वे एक तानाशाह हैं। वे लोकतंत्र, संविधान और सुप्रीम कोर्ट में यकीन नहीं रखते हैं। वहीं शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि यह अजीब बात है कि दिल्ली की जनता ने 90 प्रतिशत सीट अरविंद केजरीवाल को दी है, मगर दिल्ली की सरकार अरविंद केजरीवाल नहीं चला सकते।

भाजपा का पलटवार

दिल्ली की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने आम आदमी पार्टी के आरोपों पर पलटवार किया है। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जिस तरह अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के शासन को बदनाम कर मनमानी करने का प्रयास किया है। उसके चलते केंद्र सरकार को ये अध्यादेश लाना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी इसका स्वागत करती है।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला ?

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बीते 11 मई को दिल्ली का बॉस कौन होगा, इसे लेकर बड़ा फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में साफ कर दिया था कि अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे अहम अधिकार राज्य के निर्वाचित सरकार के पास होगा। 5 जजों की संविधान पीठ ने एक सुर में कहा कि जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी सभी मामलों में उप-राज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे। इस फैसले को केजरीवाल सरकार की केंद्र सरकार पर बड़ी जीत की तरह देखा जा रहा था।



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Krishna Chaudhary

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