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बड़ा एलान: मोदी सरकार लोगों के लिए लाई ये स्कीम, सभी को होगा फायदा

बता दें कि सरकार ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना को 1 जून, 2020 से पूरे देश में लागू करना चाहती है। इस योजना के पूरे देश में लागू होने के बाद कोई भी कार्डधारक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत किसी भी राज्य में राशन की दुकान से अपना राशन ले सकेगा।

Shivakant Shukla
Published on: 19 Dec 2019 2:21 PM
बड़ा एलान: मोदी सरकार लोगों के लिए लाई ये स्कीम, सभी को होगा फायदा
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नई दिल्ली: केंद्र में दोबारा बीजेपी की सत्ता आने के बाद से मोदी सरकार एक के बाद एक बड़ा फैसला ले रही है। आर्टिकल 370 और नागरिकता संशोधन कानून के बाद अब सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ के अभियान को आगे बढ़ाते हुए राशन कार्ड का स्टैंडर्ड फॉर्मेट तैयार किया है।

बता दें कि सरकार ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना को 1 जून, 2020 से पूरे देश में लागू करना चाहती है। इस योजना के पूरे देश में लागू होने के बाद कोई भी कार्डधारक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत किसी भी राज्य में राशन की दुकान से अपना राशन ले सकेगा।

कार्ड को पोर्टेबिलिटी की मिलेगी सुविधा

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'राष्ट्रीय स्तर पर राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लक्ष्य को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि विभिन्न राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जो भी राशन कार्ड जारी करें।

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राशन कार्ड की ये होगी खासियत

उन्होंने बताया कि राज्यों से कहा गया है कि वो मानक राशन कार्ड दो भाषाओं में जारी करें। एक स्थानीय भाषा के साथ ही इसमें दूसरी भाषा हिन्दी अथवा अंग्रेजी का इस्तेमाल करें। इससे राष्ट्रीय स्तर पर राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी को अमल में लाने में मदद मिलेगी। राज्यों से कहा गया है कि वह 10 अंकों वाला राशन कार्ड जारी करें जिसमें पहले दो अंक राज्य कोड होगा और अगले अंक राशन कार्ड संख्या के अनुरूप होंगे। इसमें अगले दो अंक राशन कार्ड में परिवार के प्रत्येक सदस्य की पहचान के तौर पर शामिल होंगे।

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अधिकारी ने बताया कि विभिन्न राज्यों में जो भी राशन कार्ड जारी किये जा रहे थे उन सभी के तौर तरीकों को प्रारूप को मद्देनजर रखते हुए पूरे देश के लिए एक मानक प्रारूप तैयार किया गया है। राज्यों से कहा गया है कि वह जब भी नया राशन कार्ड जारी करें इसे नए प्रारूप के अनुरूप ही जारी करें। गौरतलब है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में 81.35 करोड़ लाभार्थियों के लक्ष्य के मुकाबले अब तक 75 करोड़ लाभार्थियों को शामिल किया गया है।

Shivakant Shukla

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