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बिहार का लाल अब नोबल पुरस्कार विजेताओं की लैब में करेगा शोध

आईआईटी प्रशिक्षित इंजीनियर चैतन्य ने मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव  को जापान से कॉल कर भविष्य के लिये आशीर्वाद लिया। चैतन्य बोधगया के  एक गरीब परिवार का एक मेधावी बालक है जिसने गया के मगध सुपर-३० में निःशुल्क कोचिंग प्राप्त किया

suman
Published on: 30 May 2020 8:46 PM IST
बिहार का लाल अब नोबल पुरस्कार विजेताओं की लैब में करेगा शोध
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पटना : आईआईटी प्रशिक्षित इंजीनियर चैतन्य ने मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव को जापान से कॉल कर भविष्य के लिये आशीर्वाद लिया। चैतन्य बोधगया के एक गरीब परिवार का एक मेधावी बालक है जिसने गया के मगध सुपर-३० में निःशुल्क कोचिंग प्राप्त किया और अब वह जापान में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत है और एक महत्वपूर्ण शोध के लिए स्वीटजरलैंड जा रहा है। आरके श्रीवास्तव ने बताया की जापान से चैतन्य का फोन आया , मन बहुत खुश हो गया, बहुत गर्व के साथ खुशी हो रहा है देश के जिन संस्थाओ मे मैं शिक्षा दे रहा हूं वहा के स्टूडेंट्स विश्व मे अपना परचम लहरा रहे।

मगध सुपर 30 के स्टूडेंट्स को पढ़ाने का मेरा अलग अनुभव है, वे स्टूडेंट्स को लगातार 15 घंटे गणित पढ़ाते हैं तो भी उनके स्टूडेंट्स कभी थकते नही, उनका एक ही जुनून है आईआईटी में सफलता प्राप्त कर सफल इंसान बनना ।आज चैतन्य जैसे स्टूडेंट्स पर मगध सुपर 30 सहित पूरे देश के लिए गर्व है। चैतन्य ने बिहार सहित अपने देश का नाम रौशन किया नोबल पुरस्कार विजेताओं के प्रयोगशाला में चैतन्य कृत्रिम मस्तिष्क की जटिलता पर करेगा शोध- स्वीटजरलैंड ज्यूरिख में है अंतरराष्ट्रीय भौतिक विज्ञान का शोध व प्रयोगशाला केंद्र।

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गया का है दिल्ली आईआईटी से एमटेक चैतन्य

भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में चार नोबल पुरस्कार विजेताओं के शोध व प्रयोगशाला केंद्र में गया जिला का चैतन्य "आर्टिफिशियल ब्रेन विद नैनोवायरस टू फंक्शनिंग आफ ब्रेन"की जटिलता पर शोध करेंगे। चैतन्य आर्य दिल्ली आईआईटी से एमटेक हैं। इसके पूर्व चैतन्य सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का इंटर्न रहें हैं। फिलहाल चैतन्य जापान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में बतौर इंटर्न के रुप में रिसर्च कर रहा हैं।

चैतन्य आर्य ने आज बताया कि उन्हें अमेरिका के आईबीएम रिसर्च एंड डेवलपमेंट शाखा की ओर से पीएचईडी के लिए स्वीटजरलैंड के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शोध व प्रयोगशाला केंद्र में चयन किया गया है। आईबीएम का 170 देशों में ब्रांच है।छह उप महाद्वीप में 12 अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध और प्रयोगशालाएं है।

गया जिला के बोधगया प्रखंड के मोचारिम गांव के वित्तरहित शिक्षक डा.स्व.मिथिलेश कुमार और सरिता देवी के ज्येष्ठ पुत्र चैतन्य का छोटा भाई भी आईआईईएसटी, शिवपुर से सिविल ब्रांच से बीटेक कर रहा है। चैतन्य आर्य बताते हैं कि उनके पिता स्व.मिथिलेश कुमार हमेशा उन्हें बड़ा सपना देखने को कहते थे। चैतन्य आर्य कहते हैं कि एक साधारण और अल्प आय परिवार की पृष्ठभूमि के कारण शायद बहुत बड़ा सपना देखने की इच्छा शायद पूरी नहीं हो पाती। यदि समाज के सहयोग से गुरुकुल परंपरा के तहत संचालित संस्था ने मदद नही किया होता।

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चार भौतिक शास्त्र के वैज्ञानिकों को मिला है नोबल पुरस्कार

स्वीटजरलैंड के ज्यूरिख शोध व प्रयोगशाला केंद्र के भौतिक विज्ञान के गर्ड बीनिंग और हेनरिक रोहर्र को 1986 में इंवेंशन आफ स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप पर शोध के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। वहीं,इसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति के शोध और प्रयोगशाला केंद्र के भौतिक शास्त्र के वैज्ञानिक जार्ज बेडनोर्ज और एलेक्स मूल्लर को 1987 में हाई टेम्प्रेचर सुपर कंडक्टिविटी पर शोध के लिए नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ था।

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