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Supreme Court: अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती: जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता और मौलिक अधिकारों पर संकट

Supreme Court: याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि निरस्तीकरण असंवैधानिक था इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।

Sukanya Awasthi
Published on: 28 Aug 2023 9:29 PM IST
Supreme Court: अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती: जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता और मौलिक अधिकारों पर संकट
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Supreme Court (photo: social media )

Supreme Court: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि निरस्तीकरण असंवैधानिक था इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।

याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलीलें

  • अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर के लोगों की सहमति के बिना संशोधित या निरस्त नहीं किया जा सकता था। हालांकि, 5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया।
  • याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना भारत सरकार का एकतरफा निर्णय था और इसमें उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
  • अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता और विशेष स्थिति का क्षरण हुआ है। इस प्रावधान के तहत, जम्मू-कश्मीर राज्य को अपने संविधान को बनाने, अपने नागरिकों को नागरिकता देने, और अपने भूमि, जल, और खनिज संसाधनों का प्रबंधन करने का अधिकार था। अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद, इन सभी शक्तियों को भारत सरकार को सौंप दिया गया है।
  • भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के निर्णय का बचाव करते हुए तर्क दिया है कि यह जम्मू-कश्मीर को भारत की मुख्यधारा में एकीकृत करने और राज्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक था। सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 को हटाना जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुनवाई अभी भी जारी है और उम्मीद है कि कोर्ट आने वाले महीनों में इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा।

भारत में अनुच्छेद 370 का निरसन एक बेहद विवादास्पद मुद्दा रहा है। इस फैसले का कुछ लोगों ने स्वागत किया है, जिनका मानना है कि इससे जम्मू-कश्मीर का विकास होगा। हालाँकि, इस फैसले की अन्य लोगों ने भी आलोचना की है, जिनका मानना है कि इससे राज्य की स्वायत्तता और विशेष स्थिति खत्म हो गई है। जम्मू-कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जम्मू-कश्मीर के भविष्य पर खासा असर पड़ने की संभावना है।



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Sukanya Awasthi

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