TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग के लिए तैयार ISRO, मिशन सफल बनाने के लिए की खास तैयारी

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) अगले साल चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग करने जा रहा है। इस मिशन पर लैंडर और रोवर जाएंगे।

Shreya
Published on: 28 Aug 2020 12:17 PM IST
चंद्रयान-3 के लॉन्चिंग के लिए तैयार ISRO, मिशन सफल बनाने के लिए की खास तैयारी
X
Chandrayaan-3 will Launch next year

नई दिल्ली: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (Indian Space Research Organisation- ISRO) अगले साल चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग करने जा रहा है। इस मिशन पर लैंडर और रोवर जाएंगे। लैंडर और रोवर का चांद के चारों ओर घूम रहे चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के ऑर्बिटर के साथ संपर्क बनाया जाएगा। केवल इतना ही नहीं, इस मिशन को सफल बनाने के ले चांद को जमीन पर उतारने की भी तैयारी है।

तैयार किए जाएंगे चांद के नकली गड्ढे

दरअसल, चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर अच्छे से चांद के गड्ढों पर लैंडिंग कर सके, इसके लिए बेंगलुरु से 215 किलोमीटर दूर छल्लाकेरे के पास उलार्थी कवालू में नकली चांद के गड्ढे बनाए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ISRO के सूत्रों ने बताया है कि छल्लाकेरे इलाके में चांद के गड्ढे बनाने के लिए टेंडर जारी किया गया है। उम्मीद है कि सितंबर की शुरुआत तक वो कंपनी मिल जाएगी, जो ये काम पूरा करेगी।

यह भी पढ़ें: JEE-NEET परीक्षा पर बवाल: भूख हड़ताल पर बैठे ये लोग, कांग्रेस का हल्लाबोल

Chandrayaan-3

क्यों तैयार किए जा रहे नकली चांद के गड्ढे

सूत्रों के मुताबिक, नकली चांद के गड्ढे तैयार करने में 24.2 लाख रुपये की लागत आएगी। ये गड्ढे 10 मीटर व्यास और तीन मीटर गहरे होंगे। सूत्र का कहना है कि इन गड्ढों को इसलिए तैयार किया जा रहा है, जिससे हम चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के मूवमेंट की प्रैक्टिस कर सकें। साथ ही उसमें लगने वाले सेंसर्स की जांच की जा सके। इसमें लैंडर सेंसर परफॉर्मेंस की जांच की जाएगी। जिससे हमें लैंडर की कार्यक्षमता का पता चलेगा।

यह भी पढ़ें: चारा घोटाले में जेल में बंद लालू यादव की जमानत याचिका पर HC में सुनवाई टली

अगले साल होगा लॉन्च

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन अगले साल लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-3 में ज्यादातर प्रोग्राम पहले से ही ऑटोमेटेड होंगे। इसमें सैकड़ों सेंसर्स लगे होंगे, जो ये काम बखूबी करने में मदद करेंगे। ये सेंसर्स लैंडिंग की जगह, लैंडर के लैंडिंग के वक्त ऊंचाई, गति, पत्थरों से लैंडर को दूर रखने आदि में मदद करेंगे।

यह भी पढ़ें: BJP के इस विधायक ने की हदें पार, अनुशासनहीनता चरम पर, ये है वजह…

ISRO

दो किलोमीटर की ऊंचाई पर काम करने लगेंगे सेंसर्स

चंद्रयान-3 का लैंडर नकली चांद के गड्ढों पर सात किलोमीटर की ऊंचाई से उतरेगा। इसके सेंसर्स दो किलोमीटर की ऊंचाई पर आते ही काम करने लगेंगे। उनके मुताबिक ही लैंडर अपनी दिशा, गति और लैंडिंग की जगह का निर्धारण करेगा। इसरो के वैज्ञानिक इस बार चंद्रयान-2 जैसी गलती नहीं दोहराना चाहते, इसलिए चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के सेंसर्स पर काफी बारीकी से काम कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: खुले 40 करोड़ खाते: PM मोदी की इस योजना के 6 साल, पूरा हुआ मकसद

चंद्रयान-2 की भूल ना दोहराने की तैयारी

इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि वे पूरी तरह से तैयार लैंडर की टेस्टिंग इसरो सैटेलाइट नेविगेशन एंड टेस्ट इस्टैब्लिशमेंट में कर रहे हैं। उनका कहना है कि परीक्षण करना जरूरी है, ताकि चंद्रयान-2 वाली गलती न होने पाए। बता दें कि चंद्रयान-2 के लिए इसरो ने ऐसे ही नकली गड्ढे तैयार किए थे। उस पर परीक्षण भी किया गया था, लेकिन चांद पर पहुंचने के बाद विक्रम लैंडर के साथ हादसा हो गया।

कहा जा रहा है कि विक्रम लैंडर के साथ जिस तकनीकी खामी की वजह से वह हादसा हुआ था, उसे चंद्रयान-3 के लैंडर में दूर कर लिया गया है।

यह भी पढ़ें: Realme पर भारी डिस्काउंटः मिल रहा गजब का ऑफर, बचेंगे इतने पैसे

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Shreya

Shreya

Next Story