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Chhattisgarh Election 2023: एक और नौकरशाह के राजनीति में आने की चर्चा, IAS नीलकंठ टेकाम बीजेपी से लड़ सकते हैँ चुनाव
Chhattisgarh Assembly Election 2023: पार्टी ने चुनाव के ऐलान से पहले ही कुछ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर अपनी इस कवायद की गंभीरता को दिखा दिया है। छत्तीसगढ़ और बीजेपी के सियासी गलियारों में इन दिनों एक नौकरशाह की एंट्री की चर्चा जोरों पर है।
Chhattisgarh Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े छत्तीसगढ़ में सियासी सरगर्मी बढ़ रही है। कांग्रेस शासित इस राज्य में बीजेपी को पिछली बार करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। लिहाजा भगवा दल इस बार कमबैक करने के मूड में है। पार्टी ने चुनाव के ऐलान से पहले ही कुछ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर अपनी इस कवायद की गंभीरता को दिखा दिया है। छत्तीसगढ़ और बीजेपी के सियासी गलियारों में इन दिनों एक नौकरशाह की एंट्री की चर्चा जोरों पर है।
इस अधिकारी का नाम नीलकंठ टेकाम है। कोंडागांव जिले के पूर्व डीएम टेकाम राजनीति में दस्तक देने के लिए वीआरएस के लिए आवेदन दे चुके हैं। 1994 बैच के अविभाजित मध्य प्रदेश के पीसीएस अधिकारी राज्य के सीनियर अधिकारियों में गिने जाते हैं। उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें काफी समय से चल रही हैं। इतना ही नहीं वे विधानसभा चुनाव भी लड़ सकते हैं।
23 अगस्त को बीजेपी में शामिल होने की अटकलें
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आईएएस नीलकंठ टेकाम के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, टेकाम परसों यानी बुधवार 23 अगस्त को केशकाल में बीजेपी के छत्तीसगढ़ प्रभारी के समक्ष भगवा परिवार में शामिल होंगे। इतना ही नहीं बीजेपी उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट भी दे सकती है। टेकाम केशकाल या कोंडागांव से बीजेपी के प्रत्याशी हो सकते हैं।
एसटी श्रेणी में टॉपर रहे थे टेकाम
नीलकंठ टेकाम के बारे में बताया जाता है कि आदिवासी तबके से आने के बावजूद वे पढ़ाई-लिखाई में काफी मेधावी थे। साल 1994 में जब अविभाजित मध्य प्रदेश हुआ करता था, तब उन्होंने एमपी-पीसीएस की परीक्षा दी थी और एसटी श्रेणी में टॉपर रहे थे। उनकी ज्यादातर पोस्टिंग नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में रही। बाद में उन्हें पीसीएस अधिकारी से प्रमोशन देकर आईएएस कैडर मिला।
कोंडागांव के जिलाधिकारी रहते हुए उन्होंने जिले को नीति आयोग के आकांक्षी जिलों में देश में नंबर वन बनाया। उनके शानदार प्रदर्शन के कारण साल 2008 में उन्हें आईएएस अवार्ड भी मिल चुका है। नीलकंठ टेकाम की सर्विस 2028 तक बची है, लेकिन लाइफ में एक नई पारी की शुरूआत करने के लिए उन्होंने पांच साल पहले ही वीआरएस ले लिया।
छात्र जीवन से ही राजनीति में रही रूचि
नीलकंठ टेकाम उन नौकरशाहों में नहीं हैं, जो पद मिलने के बाद रिटायरमेंट आते-आते या उसके बाद राजनीति में प्रवेश करते हैं। टेकाम की सियासत में दिलचस्पी कॉलेज के दिनों से ही थी। मूल रूप से बस्तर संभाग के कांकेर जिले के अंतागढ़ सरईपारा के रहने वाले नीलकंठ टेकाम अपने कुशल नेतृत्व के कारण छात्रसंघ का अध्यक्ष भी बन चुके हैं।
इतना ही नहीं जब छात्र राजनीति से निकलकर उन्होंने नौकरशाही के गलियारे में कदम रखा, तब भी उनके अंदर की सियासी महत्वाकांक्षा रह-रह कर कुलांचे मार रही थी। अविभाजित मध्य प्रदेश में जब वे बड़वानी जिले में एसडीएम के पद पर कार्यरत थे, तब तो उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा तक दे दिया था। हजारों लोगों के साथ कलेक्टर ऑफिस पहुंचकर उन्होंने नामांकन दाखिल भी कर दिया। हालांकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनका इस्तीफा अस्वीकार करते हुए उन्हें नेतागिरी में उतरने से रोक लिया।
ऐसे में अबकी बार एकबार फिर उन्होंने नौकरशाही की गलियारों को छोड़कर नेतागिरी करने का बन बनाया है। एक नौकरशाह के तौर पर खूब नाम कमाने वाले नीलकंठ टेकाम क्या सियासत में भी कामयाबी के झंडे गाड़ पाएंगे, देखना दिलचस्प होगा।
बता दें कि इससे पहले साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी 2005 बैच के आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी ने इस्तीफा देकर बीजेपी से चुनाव लड़ा था। बीजेपी के टिकट पर खरसिया से कांग्रेस के उमेश पटेल के खिलाफ उन्होंने चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार मिली थी।