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Child stuck In Elevator: लिफ्ट में फंसा आठ साल का मासूम तो बैठकर पूरा कर लिया होमवर्क
Child stuck In Elevator: फरीदाबाद में दो दिन के भीतर दो अलग-अलग रेजिडेंशियल सोसाइटीज में लिफ्ट बंद होने के मामले सामने आए। इन दोनों मामलों में दो बच्चे लिफ्ट के अंदर घंटों बंद रहे और हैरानी की बात यह रही कि उनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं था। अगर जरा सी भी और देर हो जाती तो दोनों बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती थी।
Child stuck In Elevator: मल्टी स्टोरी में लिफ्ट बंद होने की घटनाएं अब आम हो गई हैं। रोजाना आपको कहीं न कहीं अचानक लिफ्ट बंद होने की घटनाएं अवश्य ही सुनने को मिल जाएंगी। लिफ्ट बंद होते ही जहां उसमें मौजूद लोगों की सांसें अटकने लगती हैं तो वहीं एक आठ साल का मासूम लिफ्ट बंद हो जाने के कारण तीन घंटे तक फंसा रहा, लेकिन इस दौरान न वह घबराया और न ही उसकी सांसें अटकीं लगीं। वह लिफ्ट में आराम से अपना होमवर्क पूरा करने लगा। जब काफी देर हो गई और बच्चा घर नहीं पहुंचा तो माता-पिता उसे ढू़ढने निकले तो पता चला की लिफ्ट बंद है। तो वे वहां जाकर लिफ्ट खुलवाए तो देखा की बेटा उसी में पड़ा था।
ध्यान भटकाने को करने लगा होमवर्क-
हरियाणा के फरीदाबाद की दो अलग-अलग रेजिडेंशियल सोसाइटीज में दो दिन के अंदर दो अलग-अलग मामले सामने आए, जिसमें बच्चे घंटों लिफ्ट में बंद रहे। आश्चर्य की बात तो यह रही कि इस दौरान उनकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं था। हलांकि, लिफ्ट में बंद एक बच्चे ने बिना घबराए अपनी सहनशीलता और साहस का परिचय दिया। वह ध्यान भटकाने के लिए लिफ्ट में ही होमवर्क करने लगा।
ये मामला फरीदाबाद के ओमेक्स रेसीडेंसी सोसाइटी का है। यहां शनिवार शाम को आठ साल का गौरवान्वित करीब तीन घंटे तक लिफ्ट में फंसा रहा। बच्चे ने बिना किसी घबराहट के इस स्थिति का सामना किया और लिफ्ट में आराम से बैठकर अपना स्कूल और ट्यूशन दोनों का होमवर्क पूरा कर लिया।
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जानकारी के मुताबिक, गौरवान्वित शाम 5ः00 बजे अपने घर से ट्यूशन के लिए 5 फ्लोर से लिफ्ट द्वारा नीचे गया था। वह अक्सर 6ः00 बजे तक ट्यूशन से घर वापस आ जाता है, लेकिन जब वह शाम 7ः00 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने ट्यूशन पढ़ाने वाले टीचर को फोन कर उसके बारे में जानकारी ली। पता चला कि वह आज ट्यूशन पढ़ने ही नहीं आया। यह सुनते ही घर वालों के होश उड़ गए। इसके बाद परिजनों ने उसे तलाशना शुरू किया तो पता चला कि लिफ्ट शाम 5ः00 बजे से बंद है। परिजनों को आशंका हुई कि कहीं उनका बेटा लिफ्ट में ही तो नहीं फंस गया है। इस बारे में तत्काल लिफ्ट प्रबंधक को जानकारी दी गई। जिसके बाद लिफ्ट को खोला गया तो देखा कि गौरवान्वित अंदर ही मौजूद था।
बच्चे के परिजन इस बात से काफी नाराज दिखे कि 3 घंटे से लिफ्ट बंद रही, लेकिन किसी ने भी यह जानने की जरूरत नहीं समझी कि लिफ्ट के अंदर क्या कोई बंद तो नहीं है। हालांकि, वहीं बच्चे का कहना है कि उसने कई बार जोर से आवाज भी लगाई और इमरजेंसी बटन भी दबाया। लेकिन कोई भी मदद के लिए नहीं आया। बच्चे ने बताया कि उसने अपना ध्यान भटकाने के लिए लिफ्ट में ही होमवर्क करना शुरू कर दिया।
वहीं दूसरा मामला फरीदाबाद के ही एसआरएस रेजिडेंशियल सोसायटी का है। सोसाइटी के सी-7 टावर में फ्लैट नंबर 406 में रहने वाले विकास श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी 11 साल की बेटी स्नेहा, जो छठी में पढ़ती है। रविवार शाम को लिफ्ट में फंसी रही। बच्ची के पिता ने बताया कि वह रोजाना दोपहर 3ः00 बजे से ट्यूशन जाती है और 5ः45 बजे तक वापस घर आ जाती है। रविवार को भी वह 5ः45 बजे तक वापस आ गई थी लेकिन 6ः00 बजे वह फिर से चली गई।
लिफ्ट में ढाई घंटे फंसी रही स्नेहा-
इसके बाद जब स्नेहा काफी देर तक नहीं आई तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। आस-पड़ोस में उसके बारे में पता किया, लेकिन कहीं से कुछ भी पता नहीं चल सका। स्नेहा के पिता उसे काफी देर ढूंढते रहे और जब ढूंढ कर थक गए तो उन्होंने इस टावर में फ्लैट नंबर 906 में रहने वाले अपने भाई को इसकी सूचना दी कि स्नेहा का कुछ पता नहीं चल रहा है। जिसके बाद उनके भाई ने हर टावर में बच्ची को तलाश करना शुरू किया। तब जाकर पता चला कि बच्ची ग्राउंड फ्लोर पर लिफ्ट में है और लिफ्ट करीब ढाई घंटे से बंद है। फिर कड़ी मशक्कत के बाद बच्ची को बाहर निकाल गया तो देखा की बच्ची की हालत बेहद खराब थी वह पसीने से पूरी तरह लथपथ थी। उनका कहना है कि ज्यादा देरी बच्ची के लिए घातक साबित हो सकती थी। फिलहाल बच्ची ठीक है। विकास श्रीवास्तव ने बताया कि इस दौरान किसी भी गार्ड ने यह चेक करने की या जानने की कोशिश नहीं की कि जब लिफ्ट काफी देर से बंद है तो क्या उसके अंदर कोई फंसा भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी समिति लिफ्ट मेंटिनेस के लिए जॉनसन कंपनी को प्रतिवर्ष 24 लाख रुपए देती है। इसके बावजूद लिफ्ट हमेशा खराब ही रहती है।
मैनेजमेंट स्टाफ की लापरवाही-
फरीदाबाद में 2 दिनों के भीतर दो अलग-अलग सोसाइटी में हुए इस तरह के मामले यह बताने के लिए काफी हैं कि लिफ्ट मैनेजमेंट स्टाफ किस कदर लापरवाह है। दोनों ही मामलों में अगर ज्यादा देर लिफ्ट बंद रहती तो गंभीर हादसे का रूप ले सकती थी। ऐसे में यह जरूरी है कि लिफ्ट की मेंटेनेंस करने वाली कंपनियां इस मामले को गंभीरता से लें और अपने स्टाफ को जागरूक करें ताकि आगे से इस तरह की कोई घटना सामने न आए।