TRENDING TAGS :
चीन की गहरी चालः भारत के खिलाफ पड़ोसी देशों को ऐसे बना रहा मोहरा
पिछले कई सालों से वो एक ऐसा हथियार तैयार कर रहा है, जिससे भारत को चारों तरफ से घेरा जा सके और चीन ने यह हथियार तैयार कर लिया है जिसका उपयोग उसने अब करना शुरु किया है।
नई दिल्ली: चीन लगातार भारत के खिलाफ षड़यंत्र रचता रहा है। अब वह बेहद आक्रामक हो गया है। वह चाहता है कि भारत कमजोर होकर उसके सामने झुक जाए। ताकि वह एशिया का सबसे ताकतवर देश बन जाए। पिछले कई सालों से वो एक ऐसा हथियार तैयार कर रहा है, जिससे भारत को चारों तरफ से घेरा जा सके और चीन ने यह हथियार तैयार कर लिया है जिसका उपयोग उसने अब करना शुरु किया है।
चीन का हथियार कर्ज नीति
चीन के इस नए हथियार के बारे में जानकर आप चौंक जायेंगे। यह हथियार है कर्ज नीति (Debt Policy)। चीन ने अपनी इस नीति के चलते भारत के चारों तरफ मौजूद छोटे-छोटे देशों को अपना कर्जदार बना दिया है। इसके जरिए वह भारत को चारों तरफ से घेरना चाहता है।
चीन चाहता है कि इसके जरिए जाएगा और अमेरिका को टक्कर दे पाएगा। आइए जानते हैं कि चीन ने भारत के किन पड़ोसी देशों को अपनी कर्ज नीति में कैसे फंसाया।
ये भी देखें: शहीद का पत्नी को आखिरी काॅल, चिंता मत करना, पलानी की कहानी जान रो देंगे आप
श्रीलंका-
चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह, एयरपोर्ट, कोल पावर प्लांट, सड़क निर्माण में 36,480 करोड़ रुपये का निवेश किया था। 2016 में यह कर्ज 45,600 करोड़ रुपये हो गया। श्रीलंका यह कर्ज नहीं चुका सका। इस पर उसे हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा।
पाकिस्तान-
पाकिस्तान ने चीन के सीपीईसी प्रोजेक्ट में 4।56 लाख करोड़ रुपये निवेश किए हैं। इसकी बड़ी रकम कर्ज के तौर पर है। इसकी ब्याज दर 7 फीसदी है। चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के पास नौसेना का बेस बनाना चाहता है।
बांग्लादेश-
चीन ने बांग्लादेश से बीआरआई प्रोजेक्ट में समझौता किया था। चीन ने बांग्लादेश में 2.89 लाख करोड़ रुपये लगाए हैं।
ये भी देखें: भारत-चीन विवाद: अमेरिका बनाए हुए है नजर, UN ने इस मुद्दे पर जताई चिंता
नेपाल-
चीन ने नेपाल के रसुवा में पनबिजली प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह तिब्बत से 32 किलोमीटर दूर है। इसमें चीन ने 950 करोड़ रुपये लगाए हैं।
मालदीव-
मालदीव ने 2016 में 16 द्वीपों को चीनी कंपनियों को लीज पर दिया था। अब चीन इन द्वीपों पर निर्माण कार्य कर रहा है। ताकि हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के आसपास होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भारत पर नजर रख सके।