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भारत के राफेल से कांप उठा चीन, डर के मारे जल्दी से यहां तैनात किये बमवर्षक विमान
भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। चीन एक तरफ सैन्य वार्ता का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ भारत को हमला बोलने की तैयारियों में जुटा है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। चीन एक तरफ सैन्य वार्ता का दिखावा कर रहा है और दूसरी तरफ भारत को हमला बोलने की तैयारियों में जुटा है।
अब बॉर्डर से खबर आ रही है कि चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) लगातार सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाती जा रही है। ओपन इंटेलिजेंस सोर्स Detresfa के हवाले से खबर है कि चीनी एयरफोर्स काशगर को एयरपोर्ट पर तैनात किया गया हैं। Detresfa ने ताजा तस्वीर जारी की है। इन तस्वीरों में बड़े बमवर्षक के साथ अन्य लड़ाकू विमान भी दिखाई दे रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने अपने एयरबेस पर 6 शियान H-6 बॉम्बर तैनात किये हैं और 12 शियान Jh-7 फाइटर बॉम्बर व 4 शेनयान्ग J11/16 फाइटर प्लेन भी तैनात हैं। जिसकी रेंज 3530 किलोमीटर बताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि लद्दाख से उस एयरबेस की दूरी 600 किलोमीटर है। जबकि H-6 बॉम्बर की रेंज 6000 किलोमीटर बतायी जा रही है। चीन की ये बॉम्बर परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं।
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चीनी फाइटर जेट को उड़ने और लैडिंग में ज्यादा मदद मिलेगी
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक चीन के युद्धपोत लियाओनिंग और शैनडोंग पर J-15 फाइटर जेट्स की लैंडिंग और टेकऑफ के लिए जंप रैक डेक्स हैं। वह कैटापॉल्ट जैसी पुरानी तकनीक का उपयोग नहीं करता।
इससे फाइटर जेट को उड़ने और लैडिंग में ज्यादा मदद मिलती है। पीएलए नेवल मिलिट्री स्टडीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के रक्षा विशेषज्ञ झांग जुंशी ने बताया कि अब चीन किसी भी मौसम में किसी भी समय अपने जे-15 में ईंधन भरने में सक्षम है। रात में ईंधन भरने की क्षमता विकसित करना उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
झांग जुंशी ने बताया कि इस क्षमता को विकसित करने के बाद चीन किसी भी समय किसी भी तरह के हमले को अंजाम दे सकता है। रीफ्यूलिंग तकनीक विकसित करने की वजह से जे-15 अब ज्यादा हथियार ले जा सकेंगे। जबकि, पहले फ्यूल बचाने के लिए कम हथियार लोड किए जाते थे।
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भारत ने चीनी एप्स पर लगाया बैन
चीन लगातार ऐसी हरकतें करता आ रहा है। जिससे सीमा पर तनाव कम होने की बजाये लगातार बढ़ता ही जा रहा है। भारत ने भी उसकी अक्ल ठिकाने लगाने का काम भी अब शुरू कर दिया है।
पहले चीनी एप्स पर बैन लगाया और अब उसकी पड़ोसी देश की भाषा को भी ठुकरा दिया है। हाल ही में कैबिनेट की ओर से मंजूर नई शिक्षा नीति में चाइनीज को विदेशी भाषाओं की उस सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिन्हें सेकेंड्री स्कूल लेवल पर छात्रों को पढ़ाया जाएगा।
इस सूची में फ्रेंच, जर्मन, जापानी, कोरियन, स्पैनिश, पोर्तगीज, रसियन, और थाई को विकल्प के रूप में रखा गया है, जिन्हें छात्र चुन सकते हैं। हालांकि, पिछले साल जब नई शिक्षा नीति का मसौदा जारी किया गया था तब इसमें फ्रेंच, जर्मन, जापानी और स्पैनिश के साथ चाइनीज का जिक्र भी था।
सूचना और प्रसारण मंत्री केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़केर और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल की ओर से बुधवार को जारी एनईपी में चाइनीज को हटा दिया गया है।
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