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चीन की बड़ी घुसपैठ: अब भी कई कंपनियां भारत में, ये आंकड़े हैरान कर देंगे
कई चीनी कम्पनियाँ भारत में ऑपरेट कर रही हैं। संडे गार्जियन की एक खबर में बताया गया है कि हाल में भारत के प्रतिस्पर्ध्य योग ने चीन की सीनोकम ग्रुप कंपनी लिमिटेड और चाइना नेशनल कंपनी कारपोरेशन लिमिटेड के विलय को मंजूरी दी है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद केंद्र सरकार ने चीन के खिलाफ कई सख्त कदम उठाये थे। चीन की कंपनियों के साथ कुछ परियोजनाओं के लिए किए गए करार रद्द किए गए, कई चीनी मोबाइल ऐप्सर और गेम्सल पर प्रतिबंध भी लगा दिया था। चीन की एक कंपनी को दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के एक सेक्शन का ठेका देने की बात थी लेकिन उस समय उसे रद्द कर दिया गया लेकिन अब इस कंपनी को इस सेक्शमन का ठेका अवार्ड कर दिया गया है। इस चीनी कंपनी का नाम एसटीईसी है। स्वदेशी जागरण मंच ने इस मसले पर गहरी आपत्ति जताते हुए ये ठेका रद करने की मांग की है।
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भारत में चीनी कम्पनियाँ
अब भी कई चीनी कम्पनियाँ भारत में ऑपरेट कर रही हैं। संडे गार्जियन की एक खबर में बताया गया है कि हाल में भारत के प्रतिस्पर्ध्य योग ने चीन की सीनोकम ग्रुप कंपनी लिमिटेड और चाइना नेशनल कंपनी कारपोरेशन लिमिटेड के विलय को मंजूरी दी है। ये कम्पनियाँ कृषि के काम में आनेवाले केमिकल बनाती हैं।
चीन के सबसे बड़े मोबाइल ऑपरेटर चाइना मोबाइल कम्युनिकेशन ग्रुप ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आईडिया लिमिटेड के साथ क्लाउड नेटवर्क स्थापित करने के बारे में बातचीत की है।
चीन की प्रमुख क्लाउड कंप्यूटिंग कंपनी इन्स्पुर ग्रुप पहले से ही भारत में इन्स्पुर टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से ऑपरेट कर रही है। इसके अलावा चीन की हिकविज़न भारत में प्रामा हिकविज़न इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से काम करती है।
भारी निवेश
भारत के कई सेक्टर में चीन की करीब 100 कंपनियां कारोबार कर रही हैं। चीनी कंपनियों के द्वारा भारत में करीब 1.98 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने का अनुमान है। भारतीय कंपनियां भी चीन में कारोबार कर रही हैं। हमारे कुल विदेशी व्यापार का करीब 10 फीसदी हिस्सा अकेले चीन से होता है।
ब्रुकिंग्स इंडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन की कंपनियों द्वारा भारत में कुल निवेश (मौजूदा और नियोजित) करीब 1.98 लाख करोड़ रुपये का है। चीन की कंपनियों ने बड़े पैमाने पर भारतीय स्टार्टअप में निवेश कर रखा है।
हाल में भारत सरकार ने अपने एफडीआई नीति को सख्त बनाया है और सीमा से सटे देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को गहराई से छानबीन के बाद इजाजत देने की बात कही है।
भारत में चीनी कंपनियां मुख्यत: इन्फ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और हार्डवेयर, कंज्यूमर ड्यूरेबल आदि फील्ड में हैं। चीन की कई दिग्गज सरकारी कंपनियों को भारत में मशीनरी और इन्फ्रास्ट्रक्चर के फील्ड में प्रोजेक्ट हासिल हुए हैं। इन कंपनियों में साइनोस्टील, शाउगैंग इंटरनेशनल, बायोशान आयरन ऐंड स्टील लिमिटेड, सैनी हैवी इंडस्ट्री लिमिटेड, चोंगक्विंग लाइफन इंडस्ट्री लिमिटेड, चाइना दोंगफैंग इंटरनेशनल, साइनो हाइड्रो कॉरपोरेशन आदि शामिल हैं। चीन की कई इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और हार्डवेयर कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं। इनमें हुवावे टेक्नोलॉजीज, जेटीई, टीसीएल, हायर आदि शामिल हैं। कई चीनी कंपनियां भारत के बिजली क्षेत्र के ईपीसी प्रोजक्ट में लगी हैं। इनमें शंघाई इलेक्ट्रिक, हार्बिन इलेक्ट्रिक, दोंगफैंग इलेक्ट्रिक, शेनयांग इलेक्ट्रिक आदि शामिल हैं।
चीनी कंपनी शाओमी भारत में सबसे ज्यादा स्मार्टफोन बेचने वाली कंपनी है, इसके अलावा विवो, ओप्पो, रियल मी जैसे ब्रांड का भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा है। इन सभी कंपनियों की भारतीय बाजार में करीब 65 फीसदी हिस्सेदारी है।
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आर्थिक साजिश
हाल ही में कुछ चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है जो देश में तत्काल लोन देने वाले ऐप का धंधा चला रहे थे। इन ऐप के जाल में फंस कर बहुत से लोग भरी दिक्कतों का सामना कर चुके हैं। बताया जाता है कि चीन भारत में इसी तरह से गहरी आर्थिक साजिश कर रहा है।
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