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CM Yogi News: राष्ट्रीय फलक पर छाते जा रहे हैं योगी, यूपी पर मजबूत पकड़ से बढ़ा सियासी कद, कई मौकों पर दिखाई ताकत
CM Yogi Adityanath News: योगी की अगुवाई में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मजबूत सियासी पकड़ बना रखी है। यही कारण है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद योगी को लगातार दूसरी पारी के लिए भी मुख्यमंत्री बनाए रखा।
CM Yogi Birthday Special: देश की सियासत में इन दिनों जो नेता सबसे ज्यादा चर्चा में बने रहते हैं,उनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हैं। देश की सियासत में उत्तर प्रदेश को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और योगी ने पिछले छह वर्षों से इस प्रदेश की कमान मजबूती से संभाल रखी है। योगी की अगुवाई में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मजबूत सियासी पकड़ बना रखी है। यही कारण है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद योगी को लगातार दूसरी पारी के लिए भी मुख्यमंत्री बनाए रखा।
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1972 में 5 जून को पैदा होने वाले योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। हाल के वर्षों में देश के विभिन्न एजेंसियों की ओर से किए गए सर्वे में योगी सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में उभरकर सबके सामने आए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि बढ़ते सियासी कद के कारण योगी राष्ट्रीय फलक पर छाते जा रहे हैं। योगी की लोकप्रियता को इसी से समझा जा सकता है कि दूसरे प्रदेशों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी योगी की जबर्दस्त डिमांड बनी रहती है। उत्तर प्रदेश में हाल में हुए निकाय चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने के बाद योगी का सियासी कद और बढ़ गया है।
प्रशासनिक क्षमता से जीता सबका दिल
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद जब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की कमान सौंपने का फैसला किया गया था तो कई सियासी दिग्गजों को इस फैसले पर हैरानी भी हुई थी। योगी के प्रशासनिक और सरकार चलाने की क्षमता को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे थे मगर पिछले छह वर्षों के अपने शासन के दौरान योगी ने अपनी प्रशासनिक क्षमता का बेहतरीन नमूना पेश किया है।
2017 से अब तक योगी शीर्ष नेतृत्व और जनता की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरे उतरे हैं और वे पूरी जिम्मेदारी के साथ सरकार की अगुवाई में कामयाब रहे हैं।
योगी का नेतृत्व इस मामले में भी नायाब रहा है कि उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी के किसी भी वर्ग में कभी भी कोई असंतोष नहीं दिखा। उन्होंने सबको साथ लेकर चलने का नेतृत्व कौशल दिखाया है और यही कारण है कि उनकी अगुवाई में पार्टी समाज के हर वर्ग में मजबूत पैठ बनाने में कामयाब रही है।
कई मौकों पर दिखाया नेतृत्व कौशल
उत्तर प्रदेश की कमान संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ कई मौकों पर विपक्षी दलों के मंसूबों को ध्वस्त करने में कामयाब रहे हैं। योगी की अगुवाई में भाजपा ने 2017 के नगर निगम चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव, 2022 के विधानसभा चुनाव और अब हाल में हुए निकाय चुनावों में बड़ी कामयाबी हासिल की है।
प्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को सपा-रालोद गठबंधन की ओर से मजबूत चुनौती मिली थी मगर योगी की अगुवाई में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल करते हुए इस गठबंधन को काफी पीछे छोड़ दिया।
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद योगी ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभालकर 37 साल बाद इतिहास रच डाला। इससे प्रदेश की सियासत पर योगी की मजबूत पकड़ भी उजागर होती है।
अपने दम पर निकाय चुनाव में दिलाई जीत
अभी हाल में हुए निकाय चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अकेले अपने दम पर भाजपा को बड़ी कामयाबी दिलाने में कामयाब रहे हैं। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव ऐसे समय में हुआ जब कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए जोरदार प्रचार चल रहा था। भाजपा के सारे बड़े नेता कर्नाटक चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में अकेले मोर्चा संभाल लिया और तूफानी दौरों के जरिए पूरे प्रदेश को मथ डाला। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भी योगी की जबर्दस्त डिमांड थी और इस कारण योगी को बीच-बीच में कर्नाटक का दौरा भी करना पड़ा। इसके बावजूद योगी उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने में कामयाब रहे। कर्नाटक में भाजपा को मिली बड़ी हार के जख्म पर उत्तर प्रदेश की इस जीत ने मरहम लगाने का काम किया।
2017 से भी बेहतर रहा नतीजा
योगी की अगुवाई में भाजपा प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में मेयर का चुनाव जीतने में कामयाब रही। नगर पंचायत और पालिका चुनावों में भी पार्टी ने सीट और वोट प्रतिशत के लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल करते हुए नया कीर्तिमान बना डाला। यदि 2017 के निकाय चुनावों से तुलना की जाए तो 2017 में भाजपा ने 14 नगर निगमों में जीत हासिल की थी। पार्टी को नगर पालिका परिषद में 70 पालिकाओं में अध्यक्ष पद पर कामयाबी मिली थी।
इस बार भाजपा ने 199 में से 87 नगर पालिकाओं में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है। 2017 में भाजपा ने 438 नगर पंचायतों में से 100 पर चुनाव जीता था और इस बार भाजपा ने 544 नगर पंचायतों में से 191 पंचायतों में अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है। भाजपा को मिली इस बड़ी जीत में योगी के सशक्त नेतृत्व को ही सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
राष्ट्रीय राजनीति में लगातार बढ़ रही महत्ता
देश की सियासत में उत्तर प्रदेश को सबसे महत्वपूर्ण राज्य माना जाता रहा है क्योंकि दिल्ली की गद्दी का फैसला करने में उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका होती है। प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को जीत दिलाने में उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका थी। अब उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े चेहरे के रूप में योगी आदित्यनाथ ने खुद को मजबूती से स्थापित कर लिया है।
धार्मिक प्रभुत्व और उग्र हिंदुत्व की छाप उनके शासन और प्रशासन में साफ तौर पर दिखाई पड़ती है। उत्तर प्रदेश में योगी की मजबूत पकड़ के कारण राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी महत्ता लगातार बढ़ती जा रही है। भाजपा के शीर्ष नेताओं की पहली पंक्ति में योगी का नाम भी शुमार किया जाता है।
भाजपा के चुनाव प्रचार में पूरे देश में डिमांड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बाद योगी आदित्यनाथ ही भाजपा में ऐसे नेता है जिन्होंने देश के हर हिस्से में जाकर पार्टी के लिए मजबूती से चुनाव प्रचार किया है। चाहे त्रिपुरा हो चाहे केरल, चाहे कर्नाटक हो या चाहे पश्चिम बंगाल,देश के हर हिस्से में योगी की भारी डिमांड बनी रहती है। मजे की बात है कि देश के किसी भी हिस्से पर जाने पर योगी आदित्यनाथ अपने यूपी मॉडल की चर्चा करना नहीं भूलते। इसके साथ ही वे हिंदुत्व के मुद्दे को भी धार देने की कोशिश करते हैं।
मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जैसे माफियाओं के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने के बाद योगी ने एक ब्रांड के रूप में खुद को और मजबूती से ही स्थापित कर लिया है। योगी की ओर से अपराधियों के खिलाफ शुरू की गई बुलडोजर कार्रवाई का देश के कई अन्य भाजपा शासित राज्यों में अनुसरण किया जा रहा है।
हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे
सियासी जानकारों का मानना है कि फायर ब्रांड नेता की छवि रखने वाले योगी आदित्यनाथ अब हिंदुत्व का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं। उनका गेरुआ वस्त्र उन्हें हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में स्थापित करने में मददगार साबित होता है। योगी आदित्यनाथ ने देश की सियासत में पहला ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जब कोई जनप्रतिनिधि संवैधानिक पद पर रहते हुए न केवल धार्मिक गद्दी पर विराजमान है बल्कि राजकाज में भी उसकी गहरी छाया दिखती हो।
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी हर महीने एक या दो बार गोरखपुर का दौरा जरूर करते हैं। इस दौरान गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ सही वे धार्मिक परंपराओं और त्योहारों का हिस्सा भी बनते हैं। काशी जाने पर वे बाबा विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेकना नहीं भूलते। मुख्यमंत्री के रूप में वे बाबा विश्वनाथ के दरबार में पूजा अर्चना और अभिषेक का शतक बनाने का रिकॉर्ड भी कायम कर चुके हैं। धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की योगी की तस्वीरें उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर हमेशा शेयर की जाती है। दरअसल योगी की यह बहुत बड़ी ताकत है और इसके जरिए उन्होंने हिंदू मतदाताओं के एक बड़े वर्ग पर अपनी मजबूत पकड़ बना ली है।
देश की सियासत में निभाएंगे बड़ी भूमिका
सियासी जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ की उम्र अभी कम है और उन्हें लंबा सियासी सफर तय करना है। योगी आदित्यनाथ अभी 51 वर्ष के हुए हैं और ऐसे में उन्हें अभी लंबी सियासी पारी खेलनी है। इस कारण माना जा रहा है कि भाजपा की मजबूती के साथ ही योगी आदित्यनाथ भी आगे चलकर देश की राजनीति में और मजबूती से स्थापित होंगे। छात्र राजनीति से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले योगी आदित्यनाथ सियासी पिच पर धुआंधार बैटिंग करने में जुटे हुए हैं और इसी कारण राष्ट्रीय फलक पर भी दिन-प्रतिदिन उनका महत्व बढ़ता जा रहा है।
देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में शुमार किए जाने वाले योगी आगे चलकर और महत्वपूर्ण भूमिका में दिख सकते हैं। कहने वाले तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराधिकारी तक बताने लगे हैं। अभी यह कहना जल्दबाजी होगी मगर इतना तो तय है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा करने के बाद देश की सियासत में योगी की महत्वपूर्ण भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।