TRENDING TAGS :
Judicial Service: न्यायिक सेवा के गठन को संविधान संशोधन होगा
Judicial Service: न्यायिक सेवा के गठन को संविधान संशोधन के माध्यम से बदलने का फैसला किया गया है। इसके अंतर्गत न्यायपालिका में आईएएस जैसे सिविल सेवा के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा। इससे न्यायपालिका को विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता वाले अधिकारियों की उपलब्धता मिलेगी जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में अधिक त्वरितता और दृढ़ता होगी।
Judicial Service: न्यायिक सेवा में सुधार की प्रक्रिया के तहत केंद्र सरकार अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन पर गंभीरता से विचार कर रही है। इस अखिल भारतीय संवर्ग का गठन किये जाने के लिए संविधान में संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार शीघ्र ही लाएगी। इस संबंध में केंद्र सरकार राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से भी बातचीत कर रही है। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी का गठन की दिशा में भी सरकार तेजी से काम कर रही है। गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद-312 में केंद्रीय सेवाओं के गठन का उल्लेख है।
Also Read
सूत्र बताते हैं कि इस नये संवर्ग के गठन के लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही संविधान में संशोधन का विधेयक लाएगी। न्यायिक सेवाओं के आधारभूत ढांचे में सुधार लाने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन और न्यायिक आयोग बनाये जाने पर भी केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद से आरंभ होगी। इसके नीचे के पद राज्य न्यायिक सेवा संवर्ग से भरे जाएगी। न्यायिक आयोग का काम जहां अखिल भारतीय संवर्ग के इन अधिकारियों की सेवा शर्तों को निर्धारित करना होगा। वहीं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति का दायित्व भी इसी आयोग को सौंपे जाने की संभावना है। सूत्र बताते हैं कि विधि मंत्रालय इस बात की कवायद में भी जुटा है कि न्यायिक कमीशन को किसी जरह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कतिपय फ़ैसलों की समीक्षा का अधिकार भी दे दिया जाए। न्यायपालिका में आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने के तहत जिला तथा सत्र न्यायलयों के नये भवनों का निर्माण एवं पुराने भवनों का आधुनिकीकरण तो किया ही जाएगा साथ ही न्यायालय परिसर में वकीलों के बैठने की भी समुचित जगह उपलब्ध कराई जाएगी।
न्यायिक सुविधाओं के आधारभूत ढांचे में किये जाने वाले सुधार पर व्यय होने वाली धनराशि का पचास फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार वहन करेगी । जबकि पचास फीसदी धनराशि राज्य सरकारों को वहन करना पड़ेगा। लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों में इस मद पर जो भी धनराशि व्यय होगी उसे पूरा केंद्र वहन करेगा। इस मद के लिए केंद्र ने पिछले वित्तीय वर्ष में 55 करेाड़ रुपये आवंटित किये थे। जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में इसे बढ़ा कर 74.95 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
(मूल रूप से दैनिक जागरण के नई दिल्ली संस्करण में दिनांक 26 मई, 2000 को प्रकाशित)