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लाशों में बदलेगा भारत: MIT ने जारी की ये चेतावनी, हर रोज होंगे 3 लाख केस
कोरोना के केस लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन को लेकर दावे किए जा रहे हैं, पर अभी तक कोरोना की सटीक वैक्सीन नहीं मिल पाई है।
नई दिल्ली। कोरोना के केस लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन को लेकर दावे किए जा रहे हैं, पर अभी तक कोरोना की सटीक वैक्सीन नहीं मिल पाई है। ऐसे में अमेरिका के जाने-माने मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के रिसर्चरों ने दावा किया है कि अगर महामारी कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं मिल पाती है तो भारत में हालात बहुत ज्यादा खराब हो सकते हैं। महामारी को लेकर वैज्ञानिकों के अगर अगले साल तक वैक्सीन नहीं मिलती है तो 2021 की सर्दियों के अंत तक भारत में रोजाना संक्रमण के 2.87 लाख नये मामले सामने आ सकते हैं। साथ ही वैज्ञानिकों ने एक कोविड-19 के लिए एक मॉडल तैयार किया है जिसके मुताबिक भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ सकता है।
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महामारी मॉडल तैयार
अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोना महामारी पर 84 देशों में भरोसेमंद जांच आंकड़ों के आधार पर गतिशील महामारी मॉडल तैयार किया है। इन 84 देशों में दुनिया की 4.75 अरब लोग रहते हैं।
साथ ही इस रिसर्च पेपर में एमआईटी के प्रोफेसर हाजिर रहमानदाद और जॉन स्टरमैन, पीएचडी छात्र से यांग लिम ने संक्रमण से प्रभावित शीर्ष 10 देशों के दैनिक संक्रमण दर के आधार पर संभावनाएं जताई है कि भारत में वर्ष 2021 की सर्दियों के अंत तक रोजाना 2.87 लाख नये मामले आ सकते हैं।
इसके बाद अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ईरान, इंडोनेशिया, ब्रिटेन, नाइजरिया, तुर्की, फ्रांस और जर्मनी का स्थान होगा।
मामले बढ़ने का खतरा कम हो सकता
रिसर्चरों ने ये भी स्पष्ट किया कि पूर्वानुमान केवल संभावित खतरे को बताता है न कि भविष्य में मामलों की भविष्यवाणी करता है। रिसर्चरों ने कहा कि कड़ाई से जांच और संक्रमितों से संपर्क को कम करने से भविष्य में मामले बढ़ने का खतरा कम हो सकता है जबकि लापरवाह रवैये और खतरे को सामान्य मानने से महामारी विकराल रूप ले लेगी।
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आगे रिसर्चरों ने कहा कि 2021 का पूर्वानुमान टीका नहीं विकसित होने की स्थिति को लेकर आधारित है। एमआईटी ने भारत में टेस्ट रेट कम होने के लिए भी चिंता व्यक्त की है। भारत में फ़िलहाल 10 लाख लोगों में से 7,782 का ही टेस्ट किया जा रहा है जबकि अमेरिका में ये दर 1,19,257 और ब्राजील में भी 21000 से ज्यादा है।
इसके अलावा इस मॉडल में 84 देशों के आंकड़ों के आधार पर कई अहम और हैरान करने वाले खुलासे भी हुए हैं। रिसर्चरों के अनुसार, 18 जून से अबतक मामलों और मृत्युदर आधिकारिक आंकड़ों के मुकाबले क्रमश: 11.8 और 1.48 गुना अधिक है।
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