×

इलाज का नया तरीका: अब कोरोना का ऐसे होगा ट्रीटमेंट, लिया गया बड़ा फैसला

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के ट्रायल का नतीजा सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मौजूदा समय में कोरोना के ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल की समीक्षा करने का फैसला किया है। 

Shreya
Published on: 17 Oct 2020 6:16 AM GMT
इलाज का नया तरीका: अब कोरोना का ऐसे होगा ट्रीटमेंट, लिया गया बड़ा फैसला
X
इलाज का नया तरीका: अब कोरोना का ऐसे होगा ट्रीटमेंट, लिया गया बड़ा फैसला

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस महामारी को लेकर अच्छी खबर है। देश में धीरे-धीरे कोविड-19 के मामले कम होते जा रहे हैं। नए केसेस में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। इसके साथ ही देश में रिकवरी रेट भी बढ़ रही है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने यह तय किया है कि मौजूदा समय में कोरोना के ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल की समीक्षा की जाएगी। विभाग ने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के एक बड़े ट्रायल का परिणाम आने के बाद यह फैसला किया है।

WHO की अगुवाई में चार दवाओं का हुआ ट्रायल

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की अगुवाई में चार दवाओं पर ट्रायल किया गया, जो कि डेथ रेट को कम करने में बहुत कम मददगार या असफल साबित हुई है। ये चार दवाएं- हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन, रेमडेसिवीर, लोपिनवीर और रीटोनवीर व इंटरफेरॉन हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रीटमेंट के प्रोटोकॉल की समीक्षा अगले संयुक्त टास्क फोर्स की बैठक में की जाएगी।

यह भी पढ़ें: महागठबंधन का घोषणापत्रः वादों की भरमार, सबसे ज्यादा फोकस रहा इनपर…

नए परिणाम के मद्देनजर प्रोटोकॉल को किया जाएगा रिवाइज

संयुक्त टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता डॉ. वीके पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव (Director General Balram Bhargava) करेंगे। वहीं डॉ भार्गव ने कहा कि हम नए परिणाम के मद्देनजर क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल को फिर से रिवाइज करेंगे। बता दें कि हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन को भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करने के लिए अनुमति दे दी है। जबकि रेमेडिसविर को इमरजेंसी के लिए मंजूरी मिली है।

यह भी पढ़ें: रेप पीड़िता का बदला: बलात्कारी की 25 बार चाकू मारकर की हत्या, फिर यूं कबूला जुर्म

CORONA (फोटो- सोशल मीडिया)

405 हॉस्पिटल्स में इन दवाओं के असर पर संदेह

जानकारी के मुताबिक, WHO के सॉलिडैरिटी ट्रायल नाम की इस स्टडी में कहा गया है कि 30 देशों के 405 हॉस्पिटल्स में इन दवाओं के असर पर शक है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस अध्ययन में कोरोना के 11 हजार 266 वयस्क संक्रमितों को शामिल किया गया था। इनमें से 2 हजार 750 मरीजों को रेमेडिसविर, 954 को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ), एक हजार 411 को लोपिनवीर, एक हजार 412 को इंटरफेरॉन, 651 इंटरफेरॉन प्लस लोपिनवीर और 4,088 को अन्य दवाएं दी गईं, जिन पर कोई अध्ययन नहीं हुआ था।

दवा असर करती हैं या नहीं

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि इस ट्रायल का मकसद यह जानना था कि ये दवाएं असर करती हैं या नहीं। इसमें हमने पाया कि ये दवाएं काम नहीं करती हैं। इसका जवाब जानना जरूरी था। उन्होंने कहा कि इंटरफेरॉन जैसी दवाओं के ट्रायल से सामने आया कि यह हॉस्पिटल में भर्ती पेशेंट्स को नुकसान पहुंचाने की कगार पर है। इसलिए इसे जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।

यह भी पढ़ें: यूपी उपचुनाव: नामांकन पत्रों की जांच शुरु, नाम वापसी का आखिरी दिन सोमवार

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story