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जीत जाएंगे कोरोना की जंग
वैज्ञानिक और संस्थान पूरी ताकत से कोरोना वायरस का टीका नाने में रात-दिन एक किए हुये हैं। संक्रमित लोगों के इलाज के लिए तमाम दवाओं पर काम चल रहा है। दुनिया भर में कोरोना के खिलाफ दिख रही एकजुटता और सहयोग अभूतपूर्व है। सबका एक ही सूत्र वाक्य है – हर हाल में जीतनी है ये जंग।“
नई दिल्ली “वैज्ञानिक और संस्थान पूरी ताकत से कोरोना वायरस का टीका नाने में रात-दिन एक किए हुये हैं। संक्रमित लोगों के इलाज के लिए तमाम दवाओं पर काम चल रहा है। दुनिया भर में कोरोना के खिलाफ दिख रही एकजुटता और सहयोग अभूतपूर्व है। सबका एक ही सूत्र वाक्य है – हर हाल में जीतनी है ये जंग।“
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विशेष प्रतिनिधि
कोरोना वायरस को हराने के लिए दुनिया भर में वैज्ञानिक उस मुकाम पर पहुँचने की होड़ में हैं जहां अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। ये मुकाम है कोरोना वायरस का टीका साल- डेढ़ साल के भीतर बनाने का। मानव इतिहास में कोई भी टीका इतने कम समय में विकसित नहीं हुआ है। दबाव बहुत ज्यादा है लेकिन एकजुटता और सहयोग भी अभूतपूर्व है। यही सहयोग और जज्बा उम्मीद जगाए हुये है। इसके साथ ही दुनिया भर में कोरोना वायरस की दवा पर काम चल रहा है और काफी उत्साहजनक नतीजे सामने आ रहे हैं। कोरोना महामारी पर विजय पाने का दृढ़संकल्प इतना मजबूत है कि इस बीमारी का टीका बहुत कम समय में आ सकता है। आज विश्व में 70 से ज्यादा टीकों के डेव्लपमेंट पर काम चल रहा है। कम से कम तीन टीके मानव ट्रायल के चरण में पहुँच चुके हैं। जबकि 67 अन्य प्रीक्लीनिकल स्टेज में हैं। अनेकानेक चुनौतियों के बावजूद वैज्ञानिक और नियामक एजेंसियां ऐसे शॉर्टकट अपना रही हैं ताकि मानवता को जल्दी से जल्दी राहत मिल सके।
पारंपरिक रास्ता छोड़ा
खसरे, इंफ्लुएंज़ा, हीपेटाइटिस बी और चेचक वगैरह बीमारियों के टीकों में इनके ही ‘मृत’ वायरस को इनसानों के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम सक्रिय हो कर और बीमारी वाले ‘जीवित’ वायरस से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। ऐसा टीका बनाने की प्रक्रिया काफी लंबे समय से अपनाई जा रही है लेकिन इसमें समय बहुत लगता है। ऐसे में अब कोरोना वायरस के लिए एक अन्य तरीका अपनाया जा रहा है जिसमें वायरस के आरएनए या डीएनए को प्रयोगशाला में बनाया जाता है। बाद में इसी को इनसान के शरीर में इंजेक्ट कर दिया जाता है। ऐसा करने से भी शरीर का इम्यून सिस्टम बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है।
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आपात स्थिति
वायरस के आरएनए और डीएनए से टीका बनाने की तकनीक 30 साल से अस्तित्व में है लेकिन अभी तक इस प्रक्रिया से तैयार किसी भी बीमारी के टीके को मंजूरी नहीं मिली है। आज की स्थिति इमरजेंसी की है और ऐसे में कोरोना से लड़ने के लिए मंजूरी मिलना तय है। अच्छी बात ये है कि पशुओं पर अभी जो ट्रायल हुए हैं उनके नतीजे उत्साहजनक रहे हैं।