कोरोना: 43% स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा नहीं, क्लास शुरू हुई तो बच्चों की जान को खतरा

कोरोना काल में केंद्र सरकार ने 30 सितंबर तक देश के सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखने का फैसला करके भले ही पैरेंट्स को थोड़े समय के लिए राहत दे दी हो लेकिन बच्चों के ऊपर खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है।

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Published on: 30 Aug 2020 7:28 AM GMT
कोरोना: 43% स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा नहीं, क्लास शुरू हुई तो बच्चों की जान को खतरा
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यूनिसेफ ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर हाथ धोने की व्यवस्था के बिना स्कूल खोले गए तो लाखों बच्चे कोविड-19 संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।

नई दिल्ली: कोरोना काल में केंद्र सरकार ने 30 सितंबर तक देश के सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखने का फैसला करके भले ही पैरेंट्स को थोड़े समय के लिए राहत दे दी हो लेकिन बच्चों के ऊपर खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है।

इस निर्णय की सार्थकता तभी होगी, जब इस मिले हुए समय का लाभ लेते हुए स्कूलों में हाथ धोने के लिए पानी, साबुन के साथ और सेफ डिस्टेंसिंग जैसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने में हो। इन व्यवस्थाओं के बिना स्कूल खोलने की जल्दबाजी बच्चों की जिंदगी जोखिम में डालने जैसी होगी। सवाल स्कूल खोलने के वक्त का नहीं, बल्कि व्यवस्थाओं का है।

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भारत को चीन, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन, द. कोरिया से लेना चाहिए सबक: यूनिसेफ

यूनिसेफ ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर हाथ धोने की व्यवस्था के बिना स्कूल खोले गए तो लाखों बच्चे कोविड-19 संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। केंद्र सरकार को यूनिसेफ की चेतावनी को नजरदांज करना भारी पड़ सकता है।

केंद्र सरकार को तो चाहिए कि वो अमेरिका, चीन, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन, द. कोरिया जैसे विकसित देशों से सबक लें। उन्होंने स्कूल-कालेज को खोलने में क्या-क्या एहतियात बरतें हैं,उस पर गौर करें। उसके बाद अपने देश के स्कूल-कालेजों पर भी उसे लागू करें तभी जाकर बच्चों की जान सुरक्षित बच पायेगी।

बता दें कि उपरोक्त देशों ने तमाम सावधानियों के साथ स्कूल तो खोले थे, लेकिन बच्चों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के बाद तुरंत ही स्कूलों को बंद करना पड़ा। ये सबक हमारे लिए इसलिए भी जरूरी है कि देश के सरकारी स्कूलों की हालत से सब वाकिफ हैं, जहां ज्यादातर स्कूलों में पानी और साबुन तो छोड़िए, बच्चों के बैठने तक के लिए जगह नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बच्चों को बैठा पाना बड़ी चुनौती है।

School स्कूल में प्रार्थना करते बच्चों की फाइल फोटो

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यूनिसेफ पहले ही खतरे को लेकर कर चुका है आगाह

संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने भारत समेत पूरी दुनिया को लेकर एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि दुनिया के 42 फीसदी सेकेंडरी और 56 फीसदी प्राइमरी स्कूलों में हाथ धोने की उचित सुविधा नहीं है। ग्रामीण इलाकों में तो हालत और भी ज्यादा खराब है, जहां तीन में से दो स्कूलों में साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था नहीं है।

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दुनिया के करीब 43 फीसदी स्कूलों में बच्चों के लिए साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है। अगर इस व्यवस्था के बिना स्कूल खोले गए तो दुनिया भर में इससे 82 करोड़ बच्चों के संक्रमित होने का खतरा है।

दुनिया के 24 फीसदी स्कूलों में हाथ धोने के लिए न पानी, उपलब्ध है न साबुन, जबकि 19 फीसदी स्कूलों में पानी तो है, लेकिन साबुन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यानी दुनिया के हर 5 में से दो स्कूलों में साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था नहीं है, जो कोरोना से बचाव के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक है।

Children क्लास रूम में पढ़ाई करते बच्चों की फाइल फोटो

स्कूलों के लिए ये है नई गाइडलाइंस

बता दें कि केंद्र सरकार ने अनलॉक-4.0 के लिए 29 अगस्त को जो नई गाइडलाइंस जारी की है। उसके मुताबिक स्कूल छात्रों को क्लास अटेंड करने के लिए विवश नहीं कर सकते। यह छात्रों की मर्जी पर होगा, कि वह स्कूल जाना चाहते हैं या नहीं। इसके अलावा 50 फीसदी टीचिंग और नान टीचिंग स्टाफ को ऑनलाइन कोचिंग या टेली काउंसलिंग जैसे कामों के लिए स्कूल बुलाया जा सकता है।

स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को 30 सितंबर तक बंद रखने का फैसला किया है। 21 सिंतबर से इसमें कुछ मामलों में छूट दी गई है। जैसे कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के बच्चे टीचर्स से गाइडेंस लेने स्कूल जा सकेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने पैरेंट्स से लिखित परमिशन लेनी होगी।

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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