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हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा पर बड़ा खुलासा, IND.नहीं चीन के रहमोकरम पर अमेरिका

अमेरिका में कोरोना वायरस का संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ रहा है वैसे वैसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें भी बढती जा रही है। ऐसे में ट्रंप ने भारत से बीते दिनों मदद मांगी थी। इस दौरान उन्होंने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की सप्लाई फिर शुरू करने को कहा था।

Aditya Mishra
Published on: 8 April 2020 11:21 AM IST
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा पर बड़ा खुलासा, IND.नहीं चीन के रहमोकरम पर अमेरिका
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नई दिल्ली: अमेरिका में कोरोना वायरस का संक्रमण जैसे-जैसे बढ़ रहा है वैसे वैसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें भी बढती जा रही है। ऐसे में ट्रंप ने भारत से बीते दिनों मदद मांगी थी।

इस दौरान उन्होंने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवाई की सप्लाई फिर शुरू करने को कहा था, साथ में ये भी कहा था कि अगर भारत हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की सप्लाई को शुरू करते हैं, तो काफी अच्छा होगा। लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो इसका जवाब दिया जाएगा।

अभी तक आपने ऊपर जो कुछ भी पढ़ा उस पर अगर सरसरी निगाह डालेंगे तो आपको एक पल के लिए लगेगा कि शायद अमेरिका मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के लिए पूर्ण रूप से भारत पर निर्भर है। अगर आप ऐसा सोचते हैं तो ये सही नहीं है।

बल्कि सच तो ये हैं कि अमेरिका भारत नहीं बल्कि चीन के रहमोकरम पर टिका हुआ है। तो आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर क्या है

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का चीन से कनेक्शन।

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ये है इसका चीन से कनेक्शन

असल में भारत में इसका कच्चा माल जिसे एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआई) कहते हैं, चीन से आता है। भारत में उत्पादक कंपनियां इस कच्चे माल का करीब 70 फीसदी हिस्सा चीन से मंगाती है। चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से इस कच्चे माल की आपूर्ति में व्यवधान आ गया था, लेकिन अब यह फिर से शुरू हो गया है।

यानी इस दवा का उत्पादन काफी हद तक चीन पर निर्भर है। चीन से कच्चा माल आएगा तो ही भारत इसका उत्पादन करेगा और फिर यह अमेरिका को निर्यात करेगा।

अभी काफी माल भारत में तैयार है। लेकिन आगे चलकर इसका उत्पादन चीनी कच्चे माल पर निर्भर करेगा। इसी वजह से इस साल फरवरी में इस ड्रग के चीन से आने वाले कच्चे माल की कीमत करीब तीन गुना बढ़ गई।

जानकारों का कहना है कि भारत को हर साल एचसीक्यू के करीब 2.5 करोड़ टेबलेट की ही जरूरत होती है, यानी इसका उत्पादन भारत की अपनी जरूरतों से कई गुना ज्यादा निर्यात के लिए ही होता है। अब इसमें अगर कोविड 19 से निपटने और उपचार में इस्तेमाल को भी जोड़ दिया जाए तो भी भारत के पास उत्पादन क्षमता बहुत ज्यादा है।

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