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महाराष्ट्र में और बिगड़े हालात, मुंबई के मैदानों के बारे में सरकार का बड़ा फैसला

देश में सबसे खराब स्थिति महाराष्ट्र की है और स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल कोरोना मरीजों में से 30 फीसदी इसी राज्य में है।

Shivani Awasthi
Published on: 7 May 2020 3:56 AM GMT
महाराष्ट्र में और बिगड़े हालात, मुंबई के मैदानों के बारे में सरकार का बड़ा फैसला
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अंशुमान तिवारी

मुंबई। देश में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या सरकार के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। महाराष्ट्र और गुजरात में तो हालात काफी खराब हैं। देश में सबसे खराब स्थिति महाराष्ट्र की है और स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल कोरोना मरीजों में से 30 फीसदी इसी राज्य में है। राज्य के 36 में से 34 जिले कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। सबसे खराब हालत मुंबई की हो गई है और यहां अब बड़े मैदानों में तंबू तानकर कोरोना संक्रमित मरीजों को रखने की व्यवस्था की गई है।

मैदानों में बने तंबुओं के अस्पताल

महाराष्ट्र में एक दिन में 12 सौ से ज्यादा कोरोना के केस मिले हैं और मुंबई में संक्रमितों की संख्या दस हजार के ऊपर पहुंच गई है। अमेरिका में न्यूयॉर्क की तरह भारत में मुंबई की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब राज्य सरकार ने दूसरा कदम उठाया है। कोरोना के मरीजों के लिए अब रेसकोर्स और एमएमआरडीए जैसे मैदानों का भी उपयोग किया जाएगा। मैदानों में तंबू तानकर मरीजों के लिए बेड लगा दिए गए हैं। इससे समझा जा सकता है कि मुंबई में हालात कितने खतरनाक हो चुके हैं।

निजी डॉक्टरों को भी देनी होगी सेवा

मुंबई में कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने एक और नया कदम उठाया है। निजी डॉक्टरों को आदेश जारी कर दिया गया है कि उन्हें अनिवार्य रूप से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देनी होगी नहीं तो उनके लाइसेंस खत्म कर दिए जाएंगे। राज्य चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान बोर्ड के निदेशक डॉ तात्याराव लहाने ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के उपचार के लिए निजी डॉक्टरों को महीने में कम से कम 15 दिनों तक सेवाएं जरूर देनी होंगी।

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आदेश न मानने पर रद्द होगा लाइसेंस

सरकारी अस्पतालों में सेवा न देने वाले डॉक्टरों को कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। डॉक्टर लहाने ने कहा कि यदि 55 साल से कम उम्र के निजी डॉक्टरों ने सरकारी अस्पतालों में सेवा के लिए किए गए सरकारी फोन का जवाब नहीं दिया उनके खिलाफ संक्रामक रोग निवारण अधिनियम 1897 के तहत कार्रवाई होगी और उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए उठाया है। मुंबई में 30000 एलोपैथी डॉक्टर हैं और इनमें से 13000 भारतीय चिकित्सा संघ के सदस्य हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सेवाओं से सरकार को कोरोना मरीजों के इलाज में काफी मदद मिल सकती है।

सरकार ने मांगी सेना और रेलवे से मदद

जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में मुंबई में कोरोना संक्रमण की स्थिति और खतरनाक हो सकती है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले में सेना और रेलवे से भी मदद मांगी है। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, रेलवे और भारतीय सेना सहित केंद्र सरकार के अन्य अस्पतालों से आईसीयू में बेड मुहैया कराने की मांग की है ताकि कोरोना मरीजों के इलाज में सुविधा हो सके।

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एक लाख तक हो सकती है मरीजों की संख्या

महाराष्ट्र में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या करीब 17000 हो गई है। हाल में मुंबई के दौरे पर आई केंद्रीय टीम ने मई महीने में रिकॉर्ड संख्या में लोगों के कोरोना का शिकार होने की आशंका जताई थी। दूसरी ओर राज्य सरकार को आशंका है कि राज्य में कोरोना संक्रमित केसों की संख्या एक लाख तक हो सकती है।

लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान कुछ रियायतों के दौरान कोरोना मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का भी कहना है कि राज्य में कोरोना की स्थिति चिंताजनक है और मैं जल्दी ही इस बाबत मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत करूंगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर केंद्र डॉक्टरों और टीमें महाराष्ट्र भेजने के लिए तैयार है।

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Shivani Awasthi

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