इनसे सीखे: डॉक्टर्स PPE पहन बिना कुछ खाए-पिए 8-8 घंटे कर रहे कोरोना का इलाज

कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में दुनिया भर के डॉक्टर्स दिन रात जुटे हुए हैं। इस बीच भारत से एक अलग तरह की ही तस्वीर देखने को मिल रही है। दरअसल यहां बिना कुछ खाए- पिए पीपीई पहनकर डॉक्टर दिन-रात मरीजों की जान बचाने के काम में लगे हुए हैं।

Aditya Mishra
Published on: 19 April 2020 6:06 AM GMT
इनसे सीखे: डॉक्टर्स PPE पहन बिना कुछ खाए-पिए 8-8 घंटे कर रहे कोरोना का इलाज
X

मुंबई: कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में दुनिया भर के डॉक्टर्स दिन रात जुटे हुए हैं। इस बीच भारत से एक अलग तरह की ही तस्वीर देखने को मिल रही है। दरअसल यहां बिना कुछ खाए- पिए पीपीई पहनकर डॉक्टर दिन-रात मरीजों की जान बचाने के काम में लगे हुए हैं। वे आठ-आठ घंटे तक काम कर रहे हैं। उनके लिए एक-एक जान कितना कीमती है, ये इस बात से समझा जा सकता है।

एशिया के सबसे छोटे बच्चे की कोरोना वायरस से मौत, मचा हड़कंप

कोरोना वायरस की वैक्सीन भी नहीं आएगी काम, अगर हुआ ऐसा…

गर्मी में लगातार काम करते हैं

एक इंटरव्यू में मुंबई के ऐसे ही डॉक्टरों और नर्सों ने अपनी परेशानियों को साझा किया है। डॉक्टरों के मुताबिक, एक बार पीपीई सूट पहनने के बाद वे कुछ भी नहीं कर सकते हैं। पीपीई में कपड़ों की कई लेयर्स होती हैं।

इसे पहनकर उन्हें ऐसे वार्ड मं जाना पड़ता है, जहां कोरोना के मरीज भरे होते हैं। साथ ही यहां कोई एसी नहीं चलता है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुंबई की गर्मी में इन दिनों काम करना कितना मुश्किल है। मेडिकल स्टाफ पसीने में लथपथ रहते हैं, लेकिन पीपीई पहनने के चलते वो पसीना भी नहीं पोछ पाते हैं।

भूखे-प्यासे होता है काम

पीपीई पहन कर 6-8 घंटे तक लगातार काम करना मुश्किल चुनौती होती है। सरकारी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने कहा, 'पीपीई पहनने और उतारने के समय आप अपने चेहरे को छू नहीं सकते। ऐसे में आप भी संक्रमित हो सकते हैं।

पीपीई सूट काफी कीमती होते हैं। ऐसे में आप बार-बार इसे बदल नहीं सकते हैं। हमलोग शिफ्ट शुरू होने से पहले खाना खा लेते हैं। पानी पी लेते हैं और टॉयलेट भी चले जाते हैं, जिससे कि हमें दोबारा पीपीई चेंज करने की नौबत न आए।'

शर्मनाक: कोरोना वारियर की सैनिटाइजर पिलाकर हत्या, पुलिस ने दर्ज किया केस

'डर तो हमें भी लगता है'

कई बड़े सरकारी हॉस्पिटल में चेंजिंग रूम भी नहीं हैं। इसके अलावा वॉर्ड बॉय को पीपीई नहीं दिए जाते हैं। ऐसे में डॉक्टरों को ही सारा काम खुद से करना पड़ता है। एक और डॉक्टर ने कहा, 'हम भी आम इंसान की तरह हैं। हमें भी डर लगता है।

हमारे लिए कोई अलग से रहने के इंतजाम नहीं है। जो कोरोना वॉर्ड में काम करते हैं वो भी और दूसरे मरीजों को देखने वाले दोनों एक ही हॉस्टल में रहते हैं। शिफ्ट खत्म होने के बाद हमलोग तुरंत नहा कर कपड़े चेज़ करते हैं।' इसके अलावा डॉक्टरों को खाने की भी दिक्कत होती है।

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story