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देश पर मंडरा रहा है वैश्विक मंदी का खतरा, अब इस नीति से सुधरेगी अर्थव्यवस्था

कोरोना के चलते दुनिया में वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है। जिसको लेकर दुनियाभर की अथॉरिटीज और संस्थाएं अर्थव्यवस्था को लेकर स्ट्रैटेजी बनाने में जुटी हैं।

Aradhya Tripathi
Published on: 13 April 2020 4:57 PM IST
देश पर मंडरा रहा है वैश्विक मंदी का खतरा, अब इस नीति से सुधरेगी अर्थव्यवस्था
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नई दिल्ली: पूरी दुनिया इस कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। दुनिया के हर देश में इस वायरस का कहर जारी है। जिसके चलते लोगो के काम काज बंद हैं। जिसका असर देश की आर्थिक व्यवस्था पर पड़ रहा है। नतीजन दुनिया में वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है। जिसको लेकर अब दुनियाभर की अथॉरिटीज और संस्थाएं अर्थव्यवस्था को लेकर स्ट्रैटेजी बनाने में जुटी हैं।

सामने आ रही हेलीकॉप्टर मनी की स्ट्रैटेजी

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दुनिया में जारी कोरोना के कहर के कहर बीच दुनिया को आर्थिक मंदी से बचाने के लिए दुनियाभर की कई संस्थाएं रणनीति बनाने में जुटी हैं। इन्हीं स्ट्रैटेजी में से एक 'हेलीकॉप्टर मनी' को अपनाने की बात की जा रही है। सरल भाषा में 'हेलीकॉप्टर मनी को समझे तो इस व्यवस्था के तहत केंद्रीय बैंक सरकार को ऐसे रकम जारी करती है, जिसका पुनर्भुगतान नहीं करना होता है। इसके जरिये आम लोगों के हाथ में अधिक पैसा पहुंचाया जाता है ताकि वो अपना खर्च बढ़ाएं और इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिल सके।

क्या है हेलीकॉप्टर मनी

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हेलीकॉप्टर मनी के जरिये अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाया जाता है। यह मौद्रिक नीति का एक अपरंपरागत टूल है। इसके तहत बड़े स्तर पर पैसों की छपाई की जाती है और आम लोगों तक इसे पहुंचाया जाता है। हेलीकॉप्टर मनी शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल अमेरिकी अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रेडमैन ने किया था। फ्रेडमैन ने इसको लेकर कहा था कि अर्थव्यवस्था में अचानक पैसे बढ़ा देने से सुस्ती से निजात मिलेगी और ग्रोथ में तेजी आएगी। इस तरह की नीति के तहत, केंद्रीय बैंक सरकार के जरिये पैसों की सप्लाई बढ़ा देता है और लोगों तक नया कैश पहुंचाता है। इससे उत्पादों की मांग में इजाफा होता है और मुद्रास्फीति भी बढ़ती है।

चन्द्रशेखर राव ने सुझाया आईडिया

कोरोना वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था में आए दिन तेजी से गिरावट आती जा रही है। ऐसे में सभी के मन में चिंता की रेखाएं बनती जा रही हैं। इसी बीच तेलंगाना के मुख्मंत्री के सी राव ने सुझाव दिया था कि हेलीकॉप्टर मनी के इस्तेमाल से राज्यों को मौजूदा संकट से उबरने में मदद मिलेगी। राव ने मांग की कि जीडीपी का 5 फीसदी फंड क्वांटिटेटिव इजिंग के तहत जारी कर देना चाहिए। क्वांटिटेटिव इजिंग एक ऐसी नीति है, जिसे दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं अपनाती हैं।

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इस तरह की परिस्थितियों से निपटने के लिए यही एक कारगर तरीका माना जाता है। तेलंगाना मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक संकट से उबरने के लिए हमें रणनीतिक आर्थिक नीति की जरूरत है। RBI को क्वांटिटेटिव इजिंग पॉलिसी को लागू करना चाहिए। इसे हेलीकॉप्टर मनी कहते हैं। इससे राज्यों और वित्तीय सं​स्थानों के पास पर्याप्त फंड मिलेगा और इस संकट से ​निकल सकते हैं।

आम लोग के हाथ में बढ़ेगा पैसा

क्वांटिटेटिव मनी में केंद्रीय बैंक पैसों की इसलिए भी छपाई करता है ताकि वो सरकारी बॉन्ड्स खरीद सके। आमतौर पर इन दोनों को अलग-अलग देखा जाता है। इसके तहत केंद्रीय बैंकों द्वारा खरीदे गए एसेट्स पर केंद्र सरकार पेबैक भी करती है। यह केंद्रीय बैंक द्वारा बॉन्ड खरीदने से अलग होता है। हेलीकॉप्टर मनी का मतलब केंद्र सरकार के कर्ज के जरिये सीधे तौर पर फाइनेंसिंग करने से भी अलग होता है।

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हेलीकॉप्टर मनी के जरिये आम लोगों के हाथ में सीधे तौर पर अधिक पैसा होगा। ऐसा होने पर उनके खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और वो तुरंत खरीदारी के लिए निकलेंगे। इसके साथ ही गुड्स व सर्विसेज की मांग भी बढ़ेगी, लिहाजा उत्पादन में भी इजाफा होगा। इससे आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी और ​अर्थव्यवस्था में ग्रोथ देखने को मिलेगी।

अमेरिका और जापान कर चुके हैं इसका इस्तेमाल

इससे पहले 2008-09 के वित्तीय संकट के दौर में अमेरिका में इसका इस्तेमाल किया गया था। जबकि कहा जाता है कि जापान ने भी 2016 में कुछ ऐसा ही किया था। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और जापानी केंद्रीय बैंक प्रमुख हारुहिको कुरोदा के बीच अमेरिकी फेड रिजर्व के पूर्व चेयरमैन बेन बर्नेक की एक स्पीच को लेकर बात हुई थी। बर्नेक ने यह स्पीच 2002 में अमेरिका में दी थी। हालांकि, जापान ने सीधे तौर पर इसे लागू नहीं किया। इस दौरान जापान ने बड़े स्तर पर एसेट्स की खरीदारी की थी। कुछ रिपोर्ट्स में यूरोपियन सेंट्रल बैंक द्वारा भी मार्च 2016 के दौरान इसमें दिलचस्पी दिखाने की बात कही गई है।

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हालांकि, ECB ने इसे लागू नहीं किया था। जानकारों का कहना है​ कि जब किसी अनअपेक्षित तबाही जैसे हालात बनते हैं तो बैंक कर्ज देने से बचते हैं। इस दौरान न तो लोग खर्च करते हैं और न ही कंपनियां कोई इन्वेस्टमेंट करती हैं। इससे बेरोजगारी बढ़ती है और लोगों की इनकम का स्त्रोत कम होता है। इसके आगे लोग अपने खर्च में और कटौती करते हैं और कंपनियां उत्पादन घटा देती हैं। ऐसे में आम लोगों के हाथों में हेलीकॉप्टर मनी के जरिये पैसा आएगा और इस प्रकार मौजूदा आर्थिक संकट से निपटा जा सकता है।

अर्थशास्त्रियों ने की इसकी खिलाफत

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पहले ऐसे कई मौके रहे हैं जब अर्थशास्त्रियों ने हेलीकॉप्टर मनी के आइडिया को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि इससे महंगाई बेतहाशा बढ़ने की आशंका होती है और हाइपर इन्फ्लेशन की स्थिति पैदा हो सकती है। साल 2014 में जर्मनी के एक अर्थशास्त्री ओटमर इस्सिंग ने ​अपने रिसर्च पेपर में इससे करेंसी की साख घटेगी। 2016 में इस्सिंग ने कहा कि यह आइडिया पूरी तरह से विनाशकारी है। इससे सिर्फ एक बात साबित होती है कि केंद्रीय बैंक दिवालिया हो गया है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी इसको लेकर कहा था हेलीकॉप्टर मनी की वजह से ऐसा भी हो सकता है लोग खर्च ही न करें।



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Aradhya Tripathi

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