TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

सावधान हो जाइए, कोरोना वैक्सीन आने में अभी लगेगा इतना और समय

कोरोना वायरस (कोविड-19) का संक्रमण वैश्विक स्तर पर 19 लाख से ज्यादा लोगों को पीड़ित कर चुका है, जबकि 1.26 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस जानलेवा महामारी का तोड़ तलाशने में जुटे हुए हैं।

Aditya Mishra
Published on: 16 April 2020 2:41 PM IST
सावधान हो जाइए, कोरोना वैक्सीन आने में अभी लगेगा इतना और समय
X

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के जानलेवा संक्रमण को रोकने वाली वैक्सीन तलाशने की वैश्विक दौड़ में छह भारतीय कंपनियां भी काम कर रही हैं। लेकिन शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण के तेजी से दुनियाभर में फैलाव के बीच समय के विपरीत चल रही वैक्सीन खोज की दौड़ को वर्ष 2021 से पहले जीतना संभव नहीं दिख रहा है।

कोरोना वायरस (कोविड-19) का संक्रमण वैश्विक स्तर पर 19 लाख से ज्यादा लोगों को पीड़ित कर चुका है, जबकि 1.26 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस जानलेवा महामारी का तोड़ तलाशने में जुटे हुए हैं।

दो साल तक बनाए रखें सोशल डिस्टेंसिंग, नहीं तो खतरनाक हो जाएगा कोरोना

वैक्सीन बनाने में लगेगा इतना समय

फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक गगनदीप कंग के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी को हराने के लिए विस्तार और गति के हिसाब से वैश्विक शोध और विकास प्रयास बेहद बेमिसाल हैं।

लेकिन सीईपीआई (महामारी तैयारी नवाचार गठबंधन) के वाइस चेयरमैन पद पर भी नियुक्त कंग का यह भी कहना है कि किसी भी वैक्सीन के परीक्षण की प्रक्रिया बहुस्तरीय, जटिल और कई अन्य चुनौतियों वाली होती है।

इसके चलते सार्स-कोव-2 (कोविड-19) की वैक्सीन तलाशने में भले ही अन्य बीमारियों की वैक्सीन की तरह 10 साल नहीं लगेंगे, लेकिन किसी वैक्सीन को तलाशने के बाद उसे सुरक्षित, प्रभावी और बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने के लिए कम से कम एक साल का समय अवश्य लगेगा।

केरल के राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के चीफ साइंटिफिक ऑफिसर ई. श्रीकुमार और हैदराबाद के सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायलॉजी के निदेशक राकेश मिश्रा भी मानते हैं कि किसी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल का समय लगता है। परीक्षण के विभिन्न स्तरों को पार करने और उसके बाद मंजूरी मिलने में लगने वाले समय के चलते इस साल कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध होना संभव नहीं है।

कोरोना वायरस से लड़ रही मुंबई से आई Good News, लोगों ने ली राहत की सांस

इस तरह होता है वैक्सीन परीक्षण

वैक्सीन के परीक्षण की शुरुआत जानवरों से की जाती है। लैब टेस्टिंग के दौरान जानवरों पर विभिन्न चरणों में परीक्षण होते हैं। मानवीय चिकित्सकीय परीक्षण का पहला चरण छोटे पैमाने पर कुछ लोगों के साथ चालू होता है।

पहले चरण में इसके सुरक्षित साबित होने पर दूसरे चरण में कुछ सौ लोगों पर परीक्षण होता है। दूसरे चरण के दौरान बीमारी के खिलाफ वैक्सीन के प्रभाव को आंका जाता है। निर्णायक चरण में कई हजार लोगों पर वैक्सीन की बीमारी रोकने की क्षमता परखी जाती है।

निर्णायक चरण में वैक्सीन की क्षमता परखने के दौरान कई महीने का समय लगता है। वैक्सीन तैयार होने के बाद भी यह परखा जाता है कि यह वायरस के बार-बार बदलने वाले सभी रूपों पर प्रभावी है या नहीं।

Covid-19 कब्रिस्तान बनकर तैयार, अब भारत में कोरोना से मरने वाले होंगे यहां दफन



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story