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कोविड-19 भारत में खोलेगा निवेशकों के द्वार, उद्यमियों को बड़ी राहत

कोविड-19 के चलते यूरोपीय देश लगातार चीन पर प्रहार कर रहे हैं। इसका सीधा असर यूरोपियों देशों की ओर से चीन में किया गया निवेश है। कोविड के असर के चलते यूरोपीय देश अपनी कंपनियां चीन से हटा सकते है।

Shivani Awasthi
Published on: 28 April 2020 2:53 PM GMT
कोविड-19 भारत में खोलेगा निवेशकों के द्वार, उद्यमियों को बड़ी राहत
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नोएडा। चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए माना जा रहा था कि जिन कंपनियों ने चीन में अपना कारखाना बनाया है वह पलायन कर भारत आएंगी। इसका सर्वाधिक फायदा व निवेश भारत में होना था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कंपनियों ने भारत की बजाए वियतनाम, ताइवान और थाईलैंड को अपना नया ठिकाना बनाया। जबकि भारत में लालफिताशाही इसके आड़े आ गई। बहरहाल चीन का दावा है कि वह महामारी से उबर चुका है। ऐसे में निवेशकों को रिझाने का प्रयास करेगा।

लालफिताशाही से निवेशकों को रखना होगा दूर

कोविड-19 के चलते यूरोपीय देश लगातार चीन पर प्रहार कर रहे हैं। इसका सीधा असर यूरोपियों देशों की ओर से चीन में किया गया निवेश है। कोविड के असर के चलते यूरोपीय देश अपनी कंपनियां चीन से हटा सकते है। चीन के बाद एशिया में यूरोपीय कंपनियों का नया ठिकाना भारत हो सकता है। ऐसे में यहा तेजी से निवेश बढ़ सकता है। इंतजार लॉकडाउन हटने और निवेशकों के प्रति सरल व सौम्स रवैया अपनाने का हो। कोविड-19 का असर समाप्त होते ही कई कंपनिया देश में निवेश का मन बना रही है। लेकिन सबसे पहले लचर सिस्टम पर नकेल कसनी होगी।

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चीन से 56 कंपनियों ने प्रोडक्शन यूनिट उठाई, भारत में सिर्फ तीन आई

इसका उदाहरण हाल ही में देखने को मिला। चीन से 56 कंपनियों ने पलायन किया। कयास थे कि यह कंपनियां भारत में निवेश करेंगी। भारत सरकार को उम्मीद थी कि युवा जनसांख्यिकी और सस्ते श्रम को देखते हुए अंतत: भारत में कंपनियां स्थानांतरित हो जाएंगी। लेकिन, 56 कंपनियों पर नोमुरा समूह द्बारा किए गए अध्ययन के अनुसार, चीन से उत्पादन को स्थानांतरित करने के लिए, इनमें से केवल तीन भारत में स्थानांतरित हुए, जबकि 26 वियतनाम, 11 ताइवान, और आठ थाईलैंड चली गई।

बाकी ने वियतनाम, ताइवान और थाइलैंड की ओर किया रूख, नोएडा से भी पलायन की तैयारी

एक अध्ययन के अनुसार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों और ताइवान के छोटे द्बीप चीन से कंपनियों की उड़ान का स्वागत करते हुए जीत रहे हैं, जबकि भारत एक युवा आबादी और सस्ते श्रम के साथ भी निवेश को हासिल नहीं कर पा रहा है।

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दवाब बनने से कई कंपनियां करेंगी पलायन

यूरोपीय देशों का दबाव लगातार चीन पर पड़ रहा है। ऐसे में कई ओर कंपनियां भी है जो चीन से पलायन कर सकती है। ऐसे में भारत इसका लाभ ले सकता है। बशर्ते उसे औद्योगिक इकाईयों को लगाने व निवेशकों को सहुलियत देनी होंगी। सरकार की ओर से ऐसी युक्ति पर काम करना होगा जिससे निवेशकों को निवेश करने के दौरान परियोजना पास करने, किसान विवाद, भूमि अधिग्रहण, भ्रष्ट्राचार में लिप्त अधिकारियों, माफियाओं के अलावा अन्य प्रकार की समस्याओं से दूर रखा जा सके।

दिपांकर जैन

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