×

छोटे उद्यमों के लिए बड़ा ऐलान जल्द, तीन लाख करोड़ का राहत पैकेज देने पर विचार

छोटे उद्यमों को पटरी पर लाने के लिए सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार क्षेत्र को संकट से उबारने के लिए तीन लाख करोड़ के लोन पर गारंटी दे सकती है।

Shivani Awasthi
Published on: 28 April 2020 1:59 PM GMT
छोटे उद्यमों के लिए बड़ा ऐलान जल्द, तीन लाख करोड़ का राहत पैकेज देने पर विचार
X

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण घोषित लॉकडाउन ने देश के छोटे उद्यमों (एमएसएमई) की कमर तोड़ दी है। छोटे उद्यमों को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है और उनकी हालत खस्ता होने से सरकार भी चिंतित है। जानकार सूत्रों का कहना है कि छोटे उद्यमों में नई जान फूंकने के लिए सरकार तीन लाख करोड़ का बूस्टर डोज दे सकती है।

लॉकडाउन ने तोड़ी छोटे उद्यमों की कमर

भारत को एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है मगर कोरोना संकट के कारण इतने लंबे लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था को करारा झटका दिया है। छोटे उद्यमों को पटरी पर लाने के लिए सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है। सूत्रों का कहना है कि सरकार क्षेत्र को संकट से उबारने के लिए तीन लाख करोड़ के लोन पर गारंटी दे सकती है।

कर्ज के लिए सरकार देगी गारंटी

सूत्रों का कहना है कि इस बाबत तैयार किए जा रहे हो प्रस्ताव के तहत छोटी कंपनियां अपने क्रेडिट सीमा का 20 फ़ीसदी अतिरिक्त उधार लेने के लिए पात्र होंगी। इस अतिरिक्त कर्ज के लिए सरकार की ओर से गारंटी हासिल होगी। इसके लिए सरकार की ओर से विशेष फंड बनाया जाएगा और अगर कोई उद्यमी कर्ज चुकाने में कामयाब नहीं हो पाया तो उसकी भरपाई इस फंड के जरिए की जाएगी।

ये भी पढ़ेंः मजदूरों के लिए खुशखबरी: हो रही घर वापसी, फंसे 4500 से अधिक को भेजा गया घर

दस करोड़ लोग हुए बेरोजगार

दरअसल छोटे उद्यमों को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता रहा है। कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा कहर छोटे उद्योगों पर ही बरपा है। वित्त मंत्रालय के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि अनुमान है कि लॉकडआउन के चलते करीब 10 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं। खनन, निर्माण, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों को जबर्दस्त झटका लगा है।

राजकोषीय घाटा लक्ष्य का 113.7 फीसदी, प्रमुख आंकड़ों में तेजी

पीएचडी चैंबर (यूपी) के कोचेयरमैन मनीष खेमका का कहना है कि सरकार के सामने बेरोजगारी की सबसे बड़ी समस्या है। इस क्षेत्र में काफी ज्यादा संख्या में लोग बेरोजगार होंगे। इसलिए एमएसएमई को सहारा देना बहुत जरूरी है। एमएसएमई को तत्काल दवा की जरूरत है और सरकार को इसमें तनिक भी देर नहीं करनी चाहिए। राज्य सरकारें भी इस मामले में केंद्र के कदम का इंतजार कर रही हैं।

ये भी पढ़ेंः मिलेगा सस्ता घर:अब महानगरों में होगा खुद का आशियाना, जानिए क्या कहती हैं ये रिपोर्ट

सबसे बुरे दौर में है अर्थव्यवस्था

लॉकडाउन के कारण मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में रुकावट आई है और तैयार माल की खपत भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसका देश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है और पिछले चार दशकों के दौरान देश की अर्थव्यवस्था सबसे बुरे दौर में पहुंच गई है। ऐसे में सरकार बैंकों की राह आसान करने पर पूरा ध्यान दे रही है ताकि छोटे उद्यमों को कर्ज देने के संबंध में उनकी चिंता दूर की जा सके।

ग्रोथ रेट बढ़ाने में मिलेगी मदद

अर्थशास्त्री टेरेसा जॉन का कहना है कि अगर क्रेडिट गारंटी के साथ लोन देने के लिए बैंकों के लक्ष्य तय किए जाते हैं तो एमएसएमई सेक्टर को कर्ज मिल सकेगा और विकास दर को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि लॉकडाउन और लंबा चला तो करीब साढे सात करोड़ एमएसएमई यूनिटें बंद हो सकती हैं। नोटबंदी के बाद कोरोना ने इस सेक्टर को भारी झटका दिया है।

ये भी पढ़ेंः कोरोना से जंग में मदद के लिए आगे आया ये बैंक, सरकार को देगा 11,400 करोड़ रुपये

अन्य देशों में भी दिया जा रहा पैकेज

दुनिया के अन्य देशों में भी सरकारें छोटे व्यवसाय को पटरी पर लाने के लिए राहत पैकेज दे रहे हैं। अमेरिका ने हाल में इस बाबत पे-चेक प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत नए ऋण के लिए 320 अरब डालर देने की घोषणा की थी। फिलीपींस की सरकार ने भी छोटे उद्यमों की मदद के लिए 69 करोड़ डॉलर की मदद देने का ऐलान किया है। अब माना जा रहा है कि भारत सरकार की ओर से भी छोटे उद्यमों को जिंदा रखने के लिए तीन लाख करोड़ का बूस्टर पैकेज दिया जा सकता है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story