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गोमूत्र से साफ कराए हाथ: सेनिटाइजर के तौर पर हुआ इस्तेमाल, नाराज हो गया श्रद्धालु
कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय कर रहे हैं। ख़ास कर मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसी कड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें सेनिटाइजर न होने पर लोगों के हाथ गोमूत्र से साफ़ कराए गये
मुंबई: कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय कर रहे हैं। ख़ास कर मास्क और सेनिटाइजर का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसी कड़ी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें सेनिटाइजर न होने पर लोगों के हाथ गोमूत्र से साफ़ कराए गये। दरअसल, मामला मुंबई के इस्कॉन मंदिर (ISKON Temple) का है, जहां श्रद्धालुओं के हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर के तौर पर गोमूत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस्कॉन मंदिर में सैनिटाइजर के तौर पर इस्तेमाल हो रहा गोमूत्र
दरअसल, मुंबई के इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालुओं के हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर के तौर पर गोमूत्र का इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक़, मंदिर में एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर खत्म हो जाने के कारण श्रद्धालुओं को हाथ धोने के लिए गोमूत्र दिया गया।
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ट्वीट पर शख्स ने दी जानकारी:
इस बारे में एक शख्स ने ट्विटर पर जानकारी दी। राजू नायर नाम के शख्स ने ट्वीट किया, 'आज मेरा दोस्त मुझे अंधेरी में इस्कॉन मंदिर के अंदर मौजूद गोविंदा रेस्तरां लेकर गया था। सुरक्षा जांच के बाद उन्होंने मुझे अपना हाथ दिखाने को कहा और उस पर कोई चीज स्प्रे की, जिसकी गंध बड़ी अजीब थी। जब मैंने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये गोमूत्र है।'
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बिना पूछे गोमूत्र से साफ़ कराया हाथ:
शख्स ने इसके साथ एक फोटो भी शेयर की। उन्होंने ट्वीट कर सवाल किया, 'वे लोग किसी के हाथ पर मूत्र कैसे स्प्रे कर सकते हैं और वो भी बिना पूछे? मैं किसी के मूत्र से हाथ नहीं धोना चाहता हूं। मेरे पास अपना सैनिटाइजर रहता है। ये मेरी आस्था और मूल्यों के खिलाफ है।'
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इस्कॉन मंदिर के पदाधिकारियों ने जारी किया बयान:
हालंकि इस बारे में इस्कॉन मंदिर के पदाधिकारियों का कहना है कि हाथ साफ करने के लिए दी गई चीज साफ गोमूत्र यानी कि गोअर्क थी। इसमें बैक्ट्रिया से लड़ने की क्षमता होती है। पदाधिकारियों ने ये भी बताया कि गोमूत्र का इस्तेमाल सेनिटाईजर खत्म होने पर कुछ ही देर के लिए किया गया था। 15 मार्च की आधे दिन के लिए गोअर्क का प्रयोग किया गया।
बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 37 पहुंच गयी है और भारत में इसका आंकड़ा 126 है।
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