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Drug Addiction: नशे की गिरफ्त में करोड़ों जिंदगियां, 37 करोड़ से ज्यादा लोग करते हैं नशा

Drug Addiction: नशे की समस्या है ही इतनी व्यापक। ये जान लीजिये कि देश में 37 करोड़ से ज़्यादा लोग नशा करते हैं, इनमें से 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं जबकि 17 साल से कम उम्र के 20 लाख नाबालिगों को गांजे की लत है।

Neel Mani Lal
Published on: 19 Aug 2023 5:15 PM IST
Drug Addiction: नशे की गिरफ्त में करोड़ों जिंदगियां, 37 करोड़ से ज्यादा लोग करते हैं नशा
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नशे की गिरफ्त में करोड़ों जिंदगियां, 37 करोड़ से ज्यादा लोग करते हैं नशा: Photo- Social Media

Drug Addiction: आपने अपने इर्दगिर्द जरूर ही किसी न किसी को नशा करते देखा-सुना होगा। नशे की समस्या है ही इतनी व्यापक। ये जान लीजिये कि देश में 37 करोड़ से ज़्यादा लोग नशा करते हैं, इनमें से 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं जबकि 17 साल से कम उम्र के 20 लाख नाबालिगों को गांजे की लत है। ये तो सिर्फ मोटे तौर पर एक आंकड़ा है, असली तस्वीर और भी ज्यादा भयावह हो सकती है। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) के अनुसार भारत में नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन में शामिल लगभग 13 फीसदी लोग 20 वर्ष से कम उम्र के हैं। यही नहीं, बीते एक दशक में भारत में ड्रग्स की खपत 30 प्रतिशत बढ़ चुकी है।

सबसे ज्यादा सेवन शराब का

केंद्र सरकार ने ही पिछले साल सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि देश में 10 से 17 साल की उम्र के 1.58 करोड़ बच्चे मादक पदार्थों के आदी हैं। शीर्ष अदालत के 2016 के फैसले के बाद सरकार ने भारत में मादक द्रव्यों के उपयोग की सीमा और पैटर्न पर एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया था। सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए सरकार द्वारा बताया गया कि भारतीयों द्वारा शराब सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला नशे का पदार्थ है, इसके बाद कैनबिस यानी गंजा-भंग और ओपिओइड (अफीम से बने पदार्थ) हैं।

सरकार के अनुसार, लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं और 5.7 करोड़ से अधिक व्यक्ति हानिकारक या नशे की लत से प्रभावित हैं और उन्हें मदद की ज़रूरत है। सरकार ने कहा कि 3.1 करोड़ व्यक्ति कैनबिस उत्पादों का उपयोग करते हैं और लगभग 25 लाख लोग कैनबिस पर निर्भरता से पीड़ित हैं, जबकि 2.26 करोड़ लोग ओपिओइड का उपयोग करते हैं और लगभग 77 लाख व्यक्तियों को ओपिओइड उपयोग से पैदा हुई समस्याओं के लिए मदद की जरूरत होती है। यह सर्वे सामाजिक कल्याण और अधिकारिता मंत्रालय ने एम्स दिल्ली में नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की मदद से किया था।

चौंकाने वाले आंकड़े

- सर्वे के मुताबिक, देश में करीब 37 करोड़ लोग यानी अमेरिका की आबादी के बराबर लोग नशे की चपेट में हैं। जबकि देश में शराब के आदी लोगों की संख्या 16 करोड़ है जो रूस की आबादी के बराबर है।

- शराब के लती 19 फीसदी लोग रोजाना शराब का सेवन करते हैं जबकि देश की 2.26 करोड़ आबादी यानी कुल आबादी का 2.1 फीसदी हिस्सा अफीम, डोडा, हेरोइन, स्मैक और ब्राउन शुगर जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करता है।

- आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, एनसीटी दिल्ली, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा नशे के आदी लोग हैं।

- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के मुताबिक, इथियोपिया, नाइजीरिया और युगांडा जैसे देशों से दुबई और शारजाह के रास्ते ड्रग्स (कोकीन, हेरोइन) की बड़ी खेप भारत लाई जाती है।

ड्रग्स इस्तेमाल बढ़ने की वजह भी विरोधाभासी है। एक अन्य सर्वे के अनुसार एक ओर बेरोजगारी है और दूसरी ओर आसान धन की उपलब्धता है जिसकी वजह से कम से कम पांच उत्तर-पश्चिमी राज्यों में ड्रग्स के सेवन और लत में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। यह हालिया अध्ययन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में किया गया था जिसके मुताबिक 80 फीसदी मामलों में नशीली दवाओं की लत के पीछे यही दो मुख्य कारण हैं।

उड़ता कश्मीर!

संघर्ष और अशांति से जूझने के बाद अब कश्मीर एक नए संकट का सामना कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नशीली दवाओं की लत कश्मीर में एक गंभीर चिंता का विषय बन रही है, जिससे युवाओं का जीवन तबाह हो रहा है। उनका यह भी कहना है कि हेरोइन जैसी ड्रग्स की खपत में तेजी से वृद्धि हुई है। इसी साल मार्च में केंद्र सरकार ने संसद को बताया था कि जम्मू और कश्मीर में लगभग दस लाख लोग यानी क्षेत्र की लगभग 8 फीसदी आबादी – गांजा-भांग, ओपिओइड या अन्य प्रकार की ड्रग्स का उपयोग करते हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों की संख्या में पहले से कहीं ज्यादा वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में कश्मीर के एक डॉक्टर के हवाले से बताया गया था कि एक दशक पहले तक, हम अपने अस्पताल में प्रतिदिन नशीली दवाओं की लत के 10-15 मामले देखते थे। अब हम एक दिन में 150-200 मामले देखते हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, कश्मीर में 52,000 से अधिक लोगों ने हेरोइन का उपयोग करने की बात स्वीकार की। रिपोर्ट में कहा गया है कि औसतन, एक यूजर ने ड्रग्स पाने के लिए प्रति माह लगभग 88,000 रुपये खर्च किए। असली संख्या कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि बहुत से लोग अपनी लत को न जाहिर करते हैं न स्वीकार करते हैं या फिर मदद नहीं मांगते हैं।

केरल का उदहारण

पंजाब या कश्मीर ही नहीं, केरल में भी यही हाल है। आंकड़ों से पता चलता है कि पुलिस ने नवंबर 2022 तक नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम के तहत 24,701 मामले दर्ज किए। 2021 में दर्ज किए गए 5,695 मामलों की तुलना में यह 333 प्रतिशत की वृद्धि है। एनडीपीएस मामलों की संख्या 2021 में 3,922 से बढ़कर 2022 में 6,116 हो गई जो 55 प्रतिशत की वृद्धि दिखाती है। इसके अलावा, आबकारी अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले 2021 में 11,952 से बढ़कर नवंबर 2022 तक 36,485 हो गए।

स्कूली पाठ्यक्रम से जागरूक करने की सिफारिश

इस बीच एक संसदीय समिति ने स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में नशीली दवाओं की लत, इसके परिणामों और नशामुक्ति उपायों पर अध्याय शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। पैनल ने कहा है कि उचित परामर्श और जागरूकता कार्यक्रमों के साथ स्कूल और कॉलेज के छात्रों को टारगेट करके, देश का लक्ष्य एक ऐसे समाज को बढ़ावा देना होना चाहिए है जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग को एक चरित्र दोष के बजाय एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में समझता है। "युवा व्यक्तियों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग-समस्याएं और समाधान" विषय पर संसदीय स्थायी समिति के अनुसार, यह पहल देश भर में नशीली दवाओं की मांग में कमी और पुनर्वास उपायों को मजबूत करने के व्यापक प्रयासों के अनुरूप है। पैनल की रिपोर्ट इसी महीने लोकसभा में पेश की गयी।

भाजपा की लोकसभा सदस्य रमा देवी की अध्यक्षता वाले पैनल ने भारत में नशीली दवाओं की तस्करी और मादक द्रव्यों के सेवन की समस्याओं को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए कई उपायों का प्रस्ताव दिया है। इसने इथियोपिया, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देशों से मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए बंदरगाहों, हवाई अड्डों और सीमाओं पर उन्नत प्रौद्योगिकी और निगरानी प्रणालियों की तत्काल आवश्यकता बताई है।

Neel Mani Lal

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