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बैंक ग्राहकों को झटका: सरकार का लक्ष्मी विकास बैंक पर एक्शन, जाने पूरी कहानी
इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने बयान में कहा है कि लक्ष्मी विलास बैंक की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती रही है, पिछले तीन सालों में इसने नुकसान उठाया है, जिससे इसका नेटवर्थ खत्म हो चुका है।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) पर 30 दिन के लिए 'मोरेटोरियम' लगातें हुए बैंक के ग्राहकों के लिए पैसे निकालने की सीमा भी तय कर दी है। अब बैंक के ग्राहक अपने खाते से 25000 रुपये से ज्यादा रकम नहीं निकाल सकेंगे। इसके अलावा खबर है कि सिंगापुर सरकार द्वारा समर्थित डीबीएस बैंक संकट में फंसे एलवीबी का अधिग्रहण करने की तैयारी में है।
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लक्ष्मी विलास बैंक की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती रही है
किसी तरह का रणनीतिक प्लान नहीं होने, घटते एडवान्स और बढ़ते नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स की वजह से नुकसान जारी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा ग्राहक बैंक से लगातार अपना पैसा निकाल रहे हैं, जिससे लिक्विडिटी बहुत घट गई है। आरबीआई ने कहा है कि पूरी स्थिति पर विचार करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भरोसेमंद रिवाइवल प्लान नहीं होने और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए 'मोरेटोरियम' के लिए केंद्र सरकार के पास आवेदन करने के अलवा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के सेक्शन 45 के तहत सरकार बैंक पर 'मोरेटोरियम' लगाती है।
LVB (Photo by social media)
एलवीबी को इस बेलआउट पैकेज का प्रस्ताव भारतीय रिर्जव बैंक ने दिया है
इधर, खबर आ रही है कि सिंगापुर सरकार द्वारा समर्थित डीबीएस बैंक संकट में फंसे एलवीबी का अधिग्रहण करेगा। बताया जा रहा है कि एलवीबी को इस बेलआउट पैकेज का प्रस्ताव भारतीय रिर्जव बैंक ने दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक डीबीएस बैंक 2500 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदेगा और कैपिटल एडिक्रेसी को 12.5 प्रतिशत तक स्थिर करने का प्रयास करेगा। इस अधिग्रहण से भारत में ग्रोथ की तलाश कर रहे डीबीएस की पहुंच लक्ष्मी विकास बैंक की 560 शाखाओं के ग्राहकों और कारोबार तक हो जायेगी और एलवीबी के जमाकर्ताओं और बांडधारकों को पैसा वापस मिल सकेगा।
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बता दे कि तमिलनाडु के करूर में अपना मुख्य आधार रखने वाला लक्ष्मी विलास बैंक बीते तीन सालों से वित्तीय संकट से जूझ रहा था। इस पर लगातार बढ़ रहे घाटे, कर्ज का दबाव और पूंजी की कमी का प्रभाव नजर आ रहा था। इसने कई दफा पूंजी जुटाने के प्रयास किए, मगर हालात बेहतर नहीं हुए।
रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव
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