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900 मौतों से हिला देश: आत्महत्या से बिछ गई थीं लाशें, जब धर्मगुरु ने किया मजबूर
अमेरिका के गुयाना में 42 साल पहले थ 900 लोगों से ज्यादा लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी। ये सभी लोग एक धार्मिक पंथ पीपल्स टेंपल ग्रुप को माना करते थे।
गुयाना: आज का दिन दक्षिण अमेरिका के गुयाना में काला दिन साबित हुआ था, जब एक साथ 900 लोगों से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। सामूहिक आत्महत्या का ये मामला 42 साल पहले गुयाना के जोन्सटाउन से सामने आया था। ये सभी लोग एक धार्मिक पंथ पीपल्स टेंपल ग्रुप को माना करते थे। आत्महत्या करने वाले लोगों में पंथ की स्थापना करने वाला जिम जोनस भी शामिल था। बता दें कि इसे आधुनिक इतिहास में सामूहिक आत्महत्या की सबसे बड़ी घटना माना जाता है।
कौन था जिम जोनस?
1950 के दशक में इस पंथ की स्थापना जिम जोनस ने की थी, जो कि एक पादरी था। जोन्स शुरुआती दौर में नस्लभेद (Racism) के खिलाफ बातें किया करता था, यहीं वजह रही कि धार्मिक पंथ पीपल्स टेंपल से बड़ी तादाद में अफ्रीकी अमेरिकन्स भी शामिल हुए। क्योंकि उस दौर में ब्लैक पीपुल अपने अधिकारों के लिए आवाजें उठाने लगे थे। इस ग्रुप में मेक्सिकन, यहूदी और गोरे लोग भी शामिल थे। इसके अलावा जिम सिविल राइट्स को लेकर भी काफी मुखर था।
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(फोटो- सोशल मीडिया)
एक बेहतर दुनिया बनाने का वादा
जिम ने ना केवल नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाई, बल्कि कई कलर के रंग के बच्चों को गोद भी लिया (Adopt) था। उसका केवल एक ही बेटा था। जिम अपने साथ जुड़े लोगों को ये एहसास दिलाना चाहता था कि जंग, अवसाद और परेशानियों का सामना कर रहे अमेरिकी लोगों के लिए एक आदर्श समाज की स्थापना की जा सकती है। जिम ने लोगों के डर और असुरक्षा को देखते हुए वादा किया कि वो एक बेहतर दुनिया की स्थापना करने जा रहे हैं, जहां सभी एक समान रहेंगे।
आर्थिक धोखेबाजी और दुराचार के लगे आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स में जिम की एक पूर्व फॉलोअर के हवाले से लिखा गया है कि जिम जोंस अपने आप को बुद्ध, गांधी और लेनिन का रूप बताते थे। जिम के पंथ से जुड़े कई लोग अनपढ़ भी थे और कई ऐसे भी थे जो बहुत पढ़े लिखे थे। ये सभी एक साथ मिलकर एक आदर्श समाज की स्थापना करने के लिए जी जान से जुट गए। वहीं 1970 के दशक में जिम के पंथ पर ऐसे आरोप लगे कि उन्होंने आर्थिक धोखेबाजी की हैं। यही नहीं पंंथ के लोगों के साथ दुराचार के आरोप का भी जिम को सामना करना पड़ा।
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जब फॉलोअर्स के हाथ नहीं लगा कुछ भी
वहीं अपने खिलाफ बढ़ती आलोचना को देखते हुए जिम ने फैसला किया कि वो अपने पंथ को गुयाना ले जाएंगे। उन्होंने अपने पंथ से जुड़े लोगों से यह वादा कि वो गुयाना चलकर एक आदर्श समाज बनाएंगे। हालांकि आदर्श समाज की आस लगाए जिम के समर्थकों को ऐसा कुछ हाथ नहीं लगा। पंथ के लोग फील्ड पर कड़ी मेहनत करते थे और अगर किसी ने जोनस के प्रशासन पर सवाल उठाया तो फिर उसे सख्त सजा मिलती थी। लोगों से उनके पासपोर्ट तक छीन लिए गए थे।
(फोटो- सोशल मीडिया)
अमेरिकी नेता ने उठाया ये कदम
वहीं दूसरी ओर जिम को ड्रग्स की लत लग चुकी थी और उसकी मानसिक स्थिति भी खराब हो चुकी थी। जिम को यह लगने लगा था कि अमेरिकन सरकार अब उसे खत्म कर देगी। वहीं साल 1978 में पंथ के पूर्व सदस्यों ने अमेरिका के एक नेता लियो रायन को इस मामले की जांच करने को कहा। इसके बाद लियो 17 नवंबर को जोनसटाउन में पहुंचे। वहीं जब वह अगले दिन वहां से जाने लगे तो कई लोगों ने लियो से कहा कि वो उन्हें अपने साथ ले जाए।
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900 से ज्यादा लोगों ने किया था सामूहिक सुसाइड
ये सब देख जोनस चिंतित हो गया और अपने समर्थकों से लियो और उसके साथियों को मारने का आदेश दे दिया। देखते ही देखते जोनस के फॉलोअर्स ने लियो और उनके साथियों को मार गिराया। वहीं अगले दिन जिम ने सबको मेन पेवेलियन में आने को कहा। उसने कहा कि अब एक क्रांतिकारी कदम उठाना होगा। उस दिन करीब 900 से ज्यादा लोगों ने सामूहिक सुसाइड कर लिया था, जिनमें एक तिहाई केवल बच्चे शामिल थे।
पहले मरने वाले लोगों में सबसे यंग सदस्य थे, क्योंकि वहां पर मौजूद नर्स और पैरेंट्स ने इंजेक्शन में फल, जूस और साइनाइड दे दिया था। इसके बाद युवाओं को साइनाइड दे दिया गया। वहीं जो लोग ऐसा नहीं करना चाहते थे यानी जो इस सामूहिक आत्महत्या में शामिल नहीं होना चाहता था, उसे गन प्वाइंट पर ऐसा करने पर मजबूर किया गया। ऐसा करके वहां पर 900 से ज्यादा लोगों की लाशें बिछ गईं।
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