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डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस तरह बने थे देश के पहले राष्ट्रपति, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें

देश की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलने के साथ ही राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। इसके बाद वर्ष 1957 में वे दोबारा राष्ट्रपति चुने गए। इस तरह वे भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रपति पद प्राप्त किया था।

Ashiki
Published on: 27 Feb 2021 5:53 PM GMT
डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस तरह बने थे देश के पहले राष्ट्रपति, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस तरह बने थे देश के पहले राष्ट्रपति, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें

नई दिल्‍ली: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की आज पुण्यतिथि है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म जीरादेई (बिहार) में 3 दिसंबर 1884 को हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। पिता फारसी और संस्कृत भाषाओं के विद्वान तो माता धार्मिक महिला थीं। राजेन्द्र प्रसाद बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा छपरा के जिला स्कूल से हुई थी।

कहा जाता है कि मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की और फिर कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर लॉ के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। लॉ करने के बाद वह एक बड़े वकील के रूप में प्रैक्टिस करते रहे। साथ ही वह भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। आइये जानते हैं डॉ राजेंद्र प्रसाद से जुड़ी कुछ खास बातें...

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महात्मा गांधी के सहयोगी

डॉ. राजेंद्र प्रसाद उन भारतीय नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें अपने सहयोगी के रूप में चुना और साबरमती आश्रम की तर्ज पर सदाकत आश्रम की एक नई प्रयोगशाला का दायित्व भी सौंपा था।

dr. rajendra prasad

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का व्यक्तित्व

राजेंद्र प्रसाद चाहे धर्म हो, वेदांत हो, साहित्य हो या संस्कृति, शिक्षा हो या इतिहास, राजनीति, भाषा, वे हर स्तर पर अपने विचार व्यक्त करते थे। 'सादा जीवन, उच्च विचार' के अपने सिद्धांत को अपनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी वाणी में हमेशा ही अमृत बनाए रखते थे। राजेंद्र प्रसाद परंपरा के अनुसार हमेशा धोती-कुर्ता और सर पर टोपी पहनते थे।

दो बार लगातार बने राष्ट्रपति

देश की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलने के साथ ही राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। इसके बाद वर्ष 1957 में वे दोबारा राष्ट्रपति चुने गए। इस तरह वे भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रपति पद प्राप्त किया था। उन्हें सन् 1962 में अपने राजनैतिक और सामाजिक योगदान के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी नवाजा गया।

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डॉ. राजेंद्र प्रसाद का निधन

12 साल तक पद पर बने रहने के बाद वे 1962 में राष्ट्रपति पद से हटे और अपना शेष जीवन पटना के निकट एक आश्रम में बिताया, जहां 28 फरवरी, 1963 को बीमारी के कारण उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।

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