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Decision on Stridhan: शादी में मिले धन पर महिला का पूर्ण एकाधिकार, अगर किसी ने लिया तो ये हो सकती है सजा

Decision on Stridhan: हुआ ये था कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लुंड्रा थाना क्षेत्र निवासी बाबूलाल यादव की पत्नी ने दहेज के अलावा परिचितों व परिवारवालों द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस दिलाने की मांग अंबिकापुर के फैमिली कोर्ट में की थी।

Neel Mani Lal
Published on: 14 July 2023 5:47 AM GMT
Decision on Stridhan: शादी में मिले धन पर महिला का पूर्ण एकाधिकार, अगर किसी ने लिया तो ये हो सकती है सजा
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Decision on Dowry (photo: social media )

Decision on Stridhan : विवाह से पहले, विवाह के दौरान या उसके बाद महिला को उपहार में दी गई संपत्तियां उसकी "स्त्रीधन" संपत्तियां होती हैं।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ये बात कही है।

क्या कहा कोर्ट ने

- महिला को अपना "स्त्रीधन" अपनी खुशी से खर्च करने का पूर्ण अधिकार है।

- पति अपने संकट के समय अपनी पत्नी के "स्त्रीधन" का इस्तेमाल कर सकता है।

- यदि पति स्त्रीधन का इस्तेमाल करता है तो उस दशा में उसका नैतिक दायित्व है कि वह अपनी पत्नी को उसके स्त्रीधन का मूल्य या संपत्ति लौटाए।

- स्त्रीधन संपत्ति, संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकती। इस पर पति अधिकार नहीं जता सकता है।

क्या था मामला

हुआ ये था कि छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के लुंड्रा थाना क्षेत्र निवासी बाबूलाल यादव की पत्नी ने दहेज के अलावा परिचितों व परिवारवालों द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस दिलाने की मांग अंबिकापुर के फैमिली कोर्ट में की थी। इस पर परिवार न्यायालय ने संपत्ति वापस करने के निर्देश दिए थे। इसके खिलाफ बाबूलाल यादव ने फैमिली कोर्ट के फैसले को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में इस आधार पर चुनौती दी थी कि स्त्रीधन वापसी के लिए स्वतंत्र आवेदन जमा करने की कोई व्यवस्था नहीं है।

दो अलग अलग फैसले

याचिका की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की दो डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसले सुनाए थे। एक बेंच ने स्त्रीधन वापसी के लिए स्वतंत्र आवेदन को सही ठहराया था जबकि दूसरी डिवीजन बेंच ने स्वतंत्र आवेदन के प्रावधान को गलत ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी थी। दो विपरीत फैसले आने पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा द्वारा तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया गया और चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस संजय के अग्रवाल व जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। अंततः सभी पहलुओं को परखने के बाद हाई कोर्ट बेंच ने स्त्रीधन पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। ये फैसला अब एक नजीर बन गया है।

क्या है स्त्रीधन

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 के अनुसार एक महिला (युवती, विवाहित या विधवा) द्वारा निम्नलिखित स्रोतों से प्राप्त संपत्ति उसकी पूर्ण संपत्ति है :

ऐसी अर्जित संपत्ति जो विरासत से, वसीयत या समझौते के माध्यम से, बंटवारे से, रख-रखाव के बदले, उपहार से, व्यक्तिगत कौशल या परिश्रम से, खरीदारी से, अपने स्वयं के धन की सहायता से, किसी अन्य तरीके से अर्जित की गई संपत्ति, या किसी डिक्री या पुरस्कार के तहत या प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से प्राप्त संपत्ति है।

इसके अलाव वे उपहार जो विवाह से पहले महिला को मिले हैं, विवाह के अवसर पर मिले हैं, पति द्वारा विवाह के बाद दिए गए उपहार, पति के रिश्तेदारों या माता पिता के रिश्तेदारों द्वारा दिए गए उपहार, बेटों और रिश्तेदारों से प्राप्त उपहार, ससुर, सास द्वारा दिए गए उपहार, पिता, माता और भाई द्वारा दिए गए उपहार, दोस्तों द्वारा दिए गए उपहार आदि स्त्रीधन हैं।

- चल और अचल दोनों संपत्तियां स्त्रीधन में शामिल हैं। स्त्रीधन की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यह कोई भी राशि हो सकती है।

- अगर कोई महिला शादी के दौरान और बाद में अपने पति को कोई संपत्ति उपहार में देती है, तो वह स्त्रीधन का हिस्सा नहीं है।

- स्त्रीधन दहेज नहीं माना जाता क्योंकि स्त्रीधन को दुल्हन पक्ष के सदस्यों द्वारा दुल्हन को उसकी अपनी संपत्ति स्थापित करने के लिए एक कदम के रूप में दिया जाने वाला स्वैच्छिक उपहार माना गया है। जबकि दहेज, दूल्हे या उसके परिवार द्वारा की जाने वाली एक प्रकार की मांग है।

Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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