रक्षा बजट में कटौती पर स्थाई समिति ने उठाए सवाल, फंड को लेकर दिया बड़ा बयान

रक्षा मामलों की स्थाई समिति का कहना है कि सशस्त्र सेना को अत्याधुनिक हथियारों के लिए ज्यादा फंड की आवश्यकता है, लेकिन, 2020-21 में उसकी मांगों से 35 फीसदी कम फंड मुहैया कराई गई है। समिति का मानना है कि इससे अत्याधुनिक हथियारों, जहाजों, टैंक और दूसरी जरूरतों को पूरा करने में सशस्त्र सेनाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा

suman
Published on: 13 March 2020 5:23 PM GMT
रक्षा बजट में कटौती पर स्थाई समिति ने उठाए सवाल, फंड को लेकर दिया बड़ा बयान
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नई दिल्ली रक्षा मामलों की स्थाई समिति का कहना है कि सशस्त्र सेना को अत्याधुनिक हथियारों के लिए ज्यादा फंड की आवश्यकता है, लेकिन, 2020-21 में उसकी मांगों से 35 फीसदी कम फंड मुहैया कराई गई है। समिति का मानना है कि इससे अत्याधुनिक हथियारों, जहाजों, टैंक और दूसरी जरूरतों को पूरा करने में सशस्त्र सेनाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

स्थाई समिति ने शुक्रवार को जानकारी दी कि साल 2020-21 के लिए रक्षा मंत्रालय को बजट में 1.13 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि मंत्रालय को जरूरत 1.75 लाख करोड़ रुपये की है, ऐसे में 61,968.06 करोड़ रुपये कम आवंटित किए गए हैं।

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इसके अलावा सेवाओं के लिए करोड़ों आवंटित

समिति ने यह भी कहा कि इसके अलावा सेवाओं के लिए 1,02,432 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि जरूरत 1,61,849.20 करोड़ रुपये की थी। ऐसे में इस मद में 59,416.63 करोड़ रुपये कम आवंटित हुए हैं। समिति ने कहा कि मंत्रालय के बजट के आवंटन में कमी की वजह से बुनियादी ढांचे सहित आधुनिक हथियार, विमान, जहाज, टैंकों की खरीद, भूमि, भवन और अन्य जरूरी परियोजनाएं प्रभावित होंगी। समिति का मानना है कि सबसे आधुनिक सैन्य हथियार और अन्य साजो-सामान विकसित कर या खरीदकर हम अपने उत्तरी और पश्चिमी पड़ोसियों से बराबरी कर सकते हैं। ऐसे में पूरे बजट का आवंटन जरूरी है।

रक्षा मंत्रालय के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने इस बात करते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों में कर्मियों की संख्या को तर्कसंगत बनाना चाहता था। उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि कैसे हम प्रौद्योगिकी को शामिल कर सकते हैं, क्या यह जवानों की पूरक हो सकती है। जबकि पश्चिम और उत्तर की सीमाओं को सक्रिय कर दिया है, इसलिए हम अपने रक्षा बलों और जनशक्ति संख्याओं की आवश्यकता को पूरी तरह से दूर नहीं कर सकते। लेकिन हम देख रहे हैं कि हम इसे कैसे प्रौद्योगिकी के माध्यम से अनुकूलित कर सकते हैं।

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सेना के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एसके सैनी ने रक्षा संबंधी स्थायी समिति को लेकर कहा कि हमने जम्मू-कश्मीर और भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों में लंबी सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से जमीनी स्तर पर जवानों की जरूर होती है। उन्होंने कहा कि यह एक कारण है जिस वजह से आवंटित बजट और राजस्व व्यय के अनुपात में एकरूपता नहीं आ पाती है

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